सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को मनीष सिसोदिया की जमानत अर्ज़ी खारिज होने के कुछ ही मिनट बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने दो मंत्रियों, सिसोदिया और सत्येंद्र जैन का इस्तीफा मंजूर कर लिया और इसे उपराज्यपाल के पास भेज दिया। ऐसी खबरें हैं कि अन्य मंत्रियों पर काम का बोझ कम करने के लिए आम आदमी पार्टी के दो विधायक, सौरभ भारद्वाज और आतिशी को मंत्री बनाया जा सकता है।
सत्येंद्र जैन पिछले 9 महीने से तिहाड़ जेल में हैं, वहीं उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया 18 विभागों को संभाल रहे थे। सिसोदिया के पास वित्त, योजना, लोक निर्माण, श्रम, उत्पाद शुल्क, शिक्षा, तकनीकी और उच्च शिक्षा, विजिलेंस, पर्यटन, गृह, स्वास्थ्य, शहरी विकास, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण, बिजली, पानी और उद्योग जैसे अहम विभाग थे। सत्येंद्र जैन को पिछले साल मई महीने में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था जबकि सिसोदिया दिल्ली शराब घोटाले में सीबीआई की हिरासत में है।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सिसोदिया के वकील से कहा कि जमानत के लिए या तो ट्रायल कोर्ट या दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा: 'यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का मामला है। क्या आप राहत पाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के सामने यही दलीलें नहीं रख सकते? आपके पास दिल्ली हाईकोर्ट जाने के भी उपाय हैं। आप हाईकोर्ट जाएं, जो हमारे फैसलों से बंधा है...आप इन सभी बातों को सक्षम कोर्ट के सामने रख सकते हैं। नहीं तो फिर ऐसा होगा कि जमानत याचिकाओं पर विचार के लिए भी लोग सीधे सुप्रीम कोर्ट आएंगे और यह ऐसे मामलों की सुनवाई का पहला मंच बन जाएगा। दिल्ली में घटना होने का मतलब यह नहीं है कि आप सीधे सुप्रीम कोर्ट आ जाएं.. आपके पास निचली अदालत के साथ-साथ दिल्ली हाईकोर्ट के पास जाने के भी उपाय हैं। हमें उस प्रक्रिया में दखल नहीं देना चाहिए।"
इस बीच, सीबीआई ने संकेत दिया है कि वह सिसोदिया की पांच दिन की हिरासत की मियाद बढ़ाने की मांग करेगी । सुप्रीम कोर्ट में सिसोदिया की जमानत अर्ज़ी खारिज होने के तुरंत बाद, डिप्टी सीएम के इस्तीफे की तीन पन्नों की चिट्ठी मीडिया को जारी की गई।
अपने इस्तीफे की चिट्ठी में सिसोदिया ने लिखा – “मैं और मेरा भगवान जानते हैं कि ये सभी आरोप झूठे हैं। ये आरोप वास्तव में कायरों और कमजोरों की साजिश से ज्यादा कुछ नहीं हैं, जो लोग अरविंद केजरीवाल की सच की राजनीति से डरे हुए हैं। मैं उनका निशाना नहीं हूं, आप [केजरीवाल] उनके निशाने पर हैं। क्योंकि आज दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता आपको एक ऐसे नेता के रूप में देख रही है जिसके पास देश के लिए एक विजन है और उसे लागू करके लोगों के जीवन में बड़े बदलाव लाने की क्षमता है।’
मुख्यमंत्री केजरीवाल की तारीफ करते हुए पत्र में सिसोदिया ने लिखा - ‘अरविंद केजरीवाल आज देश भर में आर्थिक संकट, गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से जूझ रहे करोड़ों लोगों की आंखों में उम्मीद का नाम बन गए हैं... उन्होंने बहुत कोशिश की थी कि मैं आपका (केजरीवाल) साथ छोड़ दूं। मुझे डराया, धमकाया, लालच दिया। जब मैं उनके सामने नहीं झुका तो मुझे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। सच्चाई के रास्ते पर चलते हुए जेल जानेवाला मैं दुनिया का पहला आदमी नहीं हूं... मेरे खिलाफ लगाए गए ये सभी आरोप फर्जी हैं और ये कायर और कमजोर लोगों द्वारा रची गई साजिश से ज्यादा कुछ नहीं है। ये लोग अरविंद केजरीवाल की सच्चाई की राजनीति से घबराए हुए लोग हैं।'
पत्र में सिसोदिया ने लिखा: “सरकारी स्कूल के लाखों बच्चों और उनके माता-पिता की दुआएं मेरे साथ हैं। मेरे पास सबसे बड़ी चीज उन हजारों शिक्षकों का आशीर्वाद है, जिन्होंने दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी।“ सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी का अंत इन क्रांतिकारी पंक्तियों के साथ की- 'सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है।'
अब सवाल उठता है कि क्या सिसोदिया और जैन दोनों ने अपना इस्तीफा केजरीवाल को पहले ही दे दिया था, क्योंकि दोनों के इस्तीफे को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने मंजूर कर लिया। हैरानी की बात है कि पिछले नौ महीने जेल में रहने के बावजूद केजरीवाल ने जैन को अपने कैबिनेट से नहीं हटाया। दूसरी ओर, सिसोदिया का इस्तीफा गिरफ्तारी के 48 घंटे के भीतर मंजूर कर लिया। क्या केजरीवाल अब इसे नैतिकता का मुद्दा बनाकर जनता के बीच जाएंगे?
बीजेपी के वरिष्ठ नेता रवि शंकर प्रसाद मंगलवार को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस पूरी करके जा ही रहे थे तभी उन्हें दोनों मंत्रियों के इस्तीफा मंजूर करने की जानकारी मिली। वे लौटे और कहा कि यह दिल्ली में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं की जीत है कि एक मंत्री जेल में है और दूसरा सीबीआई की हिरासत में है।
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने विक्टिम कार्ड खेलते हुए कहा कि सिसोदिया को दिल्ली की शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए दंडित किया गया है। आप नेताओं ने कहा, सिसोदिया और जैन दोनों अब मंत्री नहीं हैं, लेकिन पार्टी उनके साथ मजबूती से खड़ी है।
एक ओर टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सिसोदिया की गिरफ्तारी को 'राजनीतिक प्रतिशोध' बताते हुए सार्वजनिक तौर पर आम आदमी पार्टी का समर्थन किया लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सवाल उठाया कि जब कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को दिल्ली हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया तो केजरीवाल और उनके सहयोगी चुप क्यों थे।
मनीष सिसोदिया के मामले में सीबीआई कुछ भी कहे, अदालत जो भी फैसला सुनाए, केजरीवाल और बाकी विरोधी पार्टियों के लोग इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घसीटेंगे। इसे गौतम अडानी से जोड़ेंगे। वे सरकार पर विरोधियों का गला दबाने और दोस्तों को बचाने का आरोप लगाते रहेंगे। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने इस्तीफा क्यों दिया?
अब तक तो आम आदमी पार्टी की पॉलिसी यह रही है कि कितने भी आरोप लगें, मंत्री चाहे जेल में रहें लेकिन इस्तीफा देने की जरूरत नहीं पड़ी। सत्येन्द्र जैन नौ महीने से जेल में हैं, मगर न तो उनसे इस्तीफा मांगा गया और ना ही उन्होंने इस्तीफा दिया। मनीष सिसोदिया के मामले में भी केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने का इंतजार किया और जब उनके पक्ष में फैसला नहीं आया तो फिर मनीष सिसोदिया के पहले से तैयार इस्तीफे का ऐलान हुआ। जब मनीष का इस्तीफा हो गया तो जेल में बंद सत्येंद्र जैन अपने पद पर कैसे बने रह सकते थे । उसका ऐलान भी करना पड़ा। साफ है कि जेल में बंद मंत्रियों के पास इस्तीफा देने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था।
केजरीवाल के लिए एक और परेशानी की बात ये है कि इन दोनों के इस्तीफे के बाद कैबिनेट में जो वरिष्ठ मंत्री बचे हैं वे भी मुसीबत में हैं। डीटीसी बस खरीद मामले में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत पर सीबीआई जांच की तलवार लटक रही है। सीबीआई ने दिल्ली के बस घोटाले की भी जांच शुरू कर दी है। मंगलवार को दिल्ली के नंदनगरी डिपो में सीबीआई की रेड हुई है। अगर सीबीआई को घोटाले के सबूत मिले तो फिर कैलाश गहलोत की मुसीबतें भी बढ़ेंगी।
केजरीवाल के लिए चिंता की दूसरी बात ये है कि शराब घोटाले की आंच अब पंजाब में भगवंत मान सरकार तक पहुंचने लगी है। पंजाब में भी शराब को लेकर आबकारी नीति (एक्साइज पॉलिसी) बदली गई। वहां भी पॉलिसी को बदलने के बाद उसे रातों-रात वापस ले लिया गया। नई शराब नीति के लिए जो ऑनलाइन फॉर्म रिलीज किए थे उन्हें वेबसाइट से हटा दिया गया है। इल्जाम ये है कि पंजाब की आबकारी नीति भी दिल्ली की ही तर्ज पर बनी थी। इसके बाद लाइसेंस रिन्यू करने के लिए ऑनलाइन फॉर्म जारी किए गए थे लेकिन मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद ऑनलाइन फॉर्म वापस लेने का फैसला हुआ।
पंजाब के शराब कारोबारी और विपक्ष के नेता पहले से ही इस नई शराब नीति का विरोध कर रहे थे। विपक्ष का आरोप है कि पंजाब की जो नई आबकारी नीति बनी उसका सारा ड्राफ्ट दिल्ली में मनीष सिसोदिया के घर पर ही तय किया गया। पॉलिसी ऐसी बनाई गई कि पंजाब में शराब का सारा कारोबार बाहर के व्यापारियों के हाथों में चला जाएगा। इसीलिए अब अकाली दल और बीजेपी के नेता पंजाब की शराब नीति की भी सीबीआई जांच कराने की मांग कर रहे हैं।
बीजेपी के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने दावा किया कि उन्होंने पिछले साल सितंबर में ही ईडी और सीबीआई को चिट्ठी भेजकर पंजाब में हो रहे शराब घोटाले की शिकायत की थी। सिरसा का आरोप है कि पंजाब सरकार की एक्साइज पॉलिसी बनाने के लिए पंजाब के आबकारी मंत्री और अफसर दिल्ली आते थे और मनीष सिसोदिया के घर पर मीटिंग होती थी। इन लोगों ने ऐसी पॉलिसी बनाई कि होलसेल का काम सिर्फ दो ही पार्टियों को मिले। सिरसा ने सीबीआई को जो चिट्ठी भेजी था उसमें राघव चड्ढा, मनीष सिसोदिया, विजय नायर, पंजाब की SAS नगर विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक कुलवंत सिंह समेत 14 लोगों को नामजद आरोपी बनाने की मांग की थी। सिरसा का आरोप है कि जिन कंपनियों पर केस चल रहे हैं, जो कंपनियां ब्लैकलिस्टेड हैं, उन्हें पंजाब में शराब का कारोबार सौंपने की तैयारी हो रही है।
जिस तरह से शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया फंसे हैं अगर उस तरह पंजाब में भी एक्शन हुआ और पंजाब सरकार के मंत्री लपेटे में आए तो केजरीवाल के लिए जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। चूंकि पंजाब सरकार ने शराब के ठेकों के लिए जो ऑनलाइन फॉर्म जारी किए थे उन्हें वापस लेते हुए वेबसाइट से हटा लिया है, इसलिए संदेह और बढ़ गया है। यही कारण है कि अब पंजाब में भी विरोधी दलों ने भगवंत मान और अरविन्द केजरीवाल पर हमले तेज कर दिए हैं। (रजत शर्मा)
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