विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच सोमवार को लोकसभा ने एक प्रमुख चुनाव सुधार विधेयक को पारित कर दिया। इस विधेयक में आधार कार्ड को मतदाता पहचान पत्र से स्वैच्छिक रूप से जोड़ने का प्रावधान है। विपक्षी दलों ने मांग की कि इस विधेयक को विचार के लिए संयुक्त प्रवर समिति के पास भेजा जाए।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, यह विधेयक एक महत्वपूर्ण चुनाव सुधार है और संसद की एक स्थायी समिति पहले ही मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के सुझाव का समर्थन कर चुकी है। उन्होंने कहा, इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई व्यक्ति एक से अधिक चुनाव क्षेत्र में अपने वोट का पंजीकरण न करा सके। रिजिजू ने कहा कि इस विधेयक के ज़रिए चुनाव डेटा को आधार कार्ड से जोड़ने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा।
विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'आप एक प्रमुख विधायी दस्तावेज को ऐसे नहीं थोप सकते जिसमें कई खामियां हैं।' एक अन्य कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, आधार अधिनियम ‘बहुत स्पष्ट है। यह सब्सिडी, लाभ, सेवाओं, अनुदान, मजदूरी और अन्य के लक्षित वितरण के उपयोग के लिए अनुमति देता है, जबकि मतदान एक कानूनी अधिकार है।’ AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल ‘मतदाताओं की पहचान और उन्हें मताधिकार से वंचित करने’ के लिए किया जा सकता है। CPI(M) ने कहा, इस नए विधेयक में गुप्त मतदान का सिद्धांत कमज़ोर हो सकता है और वोटर के मत की गोपनीयता के का उल्लंघन हो सकता है, साथ ही नागरिकों की निजता (privacy) के अधिकार के उल्लंघन होने का भी खतरा है।
किरेन रिजिजू ने कहा, इस तरह के जुड़ाव से प्राइवेसी के अधिकार के उल्लंघन को लेकर विपक्ष द्वारा व्यक्त की जा रही आशंकाएं ‘निराधार’ हैं। उन्होंने कहा, आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना स्वैच्छिक है और यह अनिवार्य नहीं है। रिजिजू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 26 सितंबर 2018 के फैसले की गलत व्याख्या की जा रही है जिसमें आधार अधिनियम की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए निजता के अधिकार को सुनिश्चित किया गया है। अगस्त 2019 में चुनाव आयोग ने प्रस्ताव दिया था कि सरकार को चुनाव कानूनों में संशोधन करके चुनाव पंजीकरण अधिकारियों को यह शक्ति देनी चाहिए कि वे ‘पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से’ मौजूदा एवं नए मतदाताओं का आधार नंबर प्राप्त कर सकें।
रिजिजू ने कहा, विधेयक में पहले से ही एक प्रावधान है जो कहता है कि आधार के अभाव में मतदाता के रूप में नामांकन के लिए कोई भी आवेदन तब तक खारिज नहीं किया जा सकता जब तक मतदाता चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित वैकल्पिक दस्तावेज प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने के इस कदम से फर्जी मतदान समाप्त हो जाएगा और मतदाता सूची विश्वसनीय हो जाएगी।
यह समझना ज़रूरी है कि इस बिल को जल्दबाजी में नहीं लाया गया है। वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का यह मुद्दा लंबे समय से विभिन्न मंचों पर उठता रहा है। विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने पूर्व में मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की मांग की थी। ऐसा लगता है कि अब उनका रुख बदल गया है।
हक़ीक़त तो ये है कि अप्रैल 2018 में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर विधानसभा चुनाव से पहले फर्जी वोटिंग की जांच के लिए मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की मांग की थी। राज्य कांग्रेस ने तब आरोप लगाया था कि लगभग हर निर्वाचन क्षेत्र में 30 से 40 हजार फर्जी मतदाता हैं और पूरे राज्य में तकरीबन 45 लाख ऐसे मतदाताओं के नाम सूची में है जिन्हें सत्यापित करने और जिनकी जांच करने की ज़रूरत है। इसी तरह 2019 में महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने फर्जी वोटिंग की जांच के लिए वोटर ID को आधार से जोड़ने का सुझाव दिया था और तत्कालीन मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने उस समय NCP के इस सुझाव से सहमति जताई थी।
हमारे चुनाव डाटा बेस के प्रबंधन में सबसे बड़ी समस्या है, एक ही व्यक्ति द्वारा कई चुनाव क्षेत्रों में वोटर के रूप में अपनी नाम पंजीकृत कराना। इसका एक कारण यह भी हो सकता है कि बहुत से मतदाता बार-बार अपना निवास स्थान बदलते हैं और अपने पिछले पंजीयन को हटाए बिना नई जगह पर अपना नाम पंजीकृत करवा लेते हैं। आधार से लिंक होने से कई जगहों पर एक ही मतदाता के सूची में नाम होने की समस्या को आसानी से हल किया जा सकता है। अगर एक बार वोटर आईडी को आधार से लिंक किया गया, तो जब भी वह कोई नए पंजीकरण के लिए वेदन करेगा तो इलेक्टोरल रोल डेटा सिस्टम मतदाता के पिछले पंजीयन के बारे में मतदाता पंजीकरण अधिकारियों को फौरन सतर्क कर देगा। इससे पूरे मतदाता सूची डेटा बेस को सुधारने में मदद मिलेगी और फर्जी मतदान को हमेशा, हमेशा के लिए खत्म किया जा सकेगा।
विपक्ष द्वारा निजता के अधिकारों के हनन को लेकर जो आशंकाएं जताई जा रही हैं, वे निराधार लगती हैं। मतदान केंद्र के अंदर एक मतदाता द्वारा डाला गया वोट हमेशा गुप्त रहता है। केंद्र और राज्य सरकारें आधार के ज़रिए पहले ही पूरे भारत में लाखों फर्जी राशन कार्डों को रद्द कराने में कामयाब हो चुकी हैं, और विभिन्न मदों में सब्सिडी हासिल करने वाले फर्जी लोगों के नाम हटाने के लिए भी आधार का इस्तेमाल किया गया है। आधार को वोटर आईडी से जोड़ने से किसी की निजता का हनन नहीं होगा। वहीं, दूसरी ओर फर्जी वोटिंग की समस्या पर एक झटके में अंकुश लग जाएगा। (रजत शर्मा)
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