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Rajat Sharma's Blog : हिजाब पर अदालतों को अंतिम फैसला लेने दें

देश हिजाब जैसे विवाद से आगे निकल चुका है लेकिन अपने सियासी फायदे के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है और लोग अपने-अपने ढंग से मतलब निकाल रहे हैं।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : February 15, 2022 16:20 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

उत्तर प्रदेश विधानसभा के दूसरे चरण में सोमवार को 55 सीटों पर वोट डाले गए। दूसरे राउंड में कुल 61 फीसदी मतदाताओं ने अपने वोट डाले। वहीं पड़ोसी राज्य उत्तराखंड की 70 सीटों पर हुए चुनाव में 65.1 फीसदी वोटिंग हुई। जबकि गोवा की कुल 40 विधानसभा सीटों के लिए हुए चुनाव में 78 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई। 

 
यूपी में दूसरे राउंड में 9 जिलों की जिन 55 सीटों पर वोटिंग हुई है, वे मुस्लिम बहुल जिले हैं । यह वही इलाका है जहां बीजेपी ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 55 में से 38 सीटें जीतकर शानदार चुनावी सफलता हासिल की थी। वहीं समाजवादी पार्टी को महज 15 सीटों से संतोष करना पड़ा था। पिछले चुनाव में बीजेपी का स्ट्राइक रेट बेहतर था क्योंकि मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच बंट गए थे। लेकिन सोमवार को समाजवादी पार्टी के नेताओं ने यह दावा किया कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती कहीं से भी इस रेस में नहीं हैं। पहली बार बीजेपी नेताओं ने यह दावा किया कि उन्हें मुस्लिम मतदाताओं और खासतौर से मुस्लिम महिलाओं का समर्थन मिल रहा है। 

उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कानपुर देहात में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मुस्लिम मतदाताओं से बीजेपी का समर्थन करने की अपील की। उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी को मुस्लिम महिलाओं के वोट मिल रहे हैं। ये महिलाएं तीन तलाक कानून को खत्म किए जाने की वजह से उनकी पार्टी की मूक समर्थक रही हैं।  प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में मुस्लिम महिलाओं का जिक्र कई बार किया। 

उन्होंने कहा- 'मेरी मुस्लिम बहनें चुपचाप, बिना किसी शोर-शराबे के, मन बनाकर मोदी को आशीर्वाद देने के लिए घर से निकल रही हैं।  हमारी मुस्लिम महिलाएं-बहन-बेटियां जानती हैं कि जो सुख-दुख में काम आता है, वही अपना होता है...यूपी के लोगों ने इन्हें 2014, 2017 और 2019 में फिर एक बार हराया और अब 2022 में भी घोर परिवारवादी फिर से हारेंगे। इस बार उत्तर प्रदेश में रंगों वाली होली 10 दिन पहले ही मनाई जाएगी। 10 मार्च को जब चुनाव नतीजे आएंगे, धूम-धाम से रंगों वाली होली शुरू हो जाएगी।'

अपने भाषण में मोदी ने मुस्लिम बेटियों औऱ महिलाओं के अलावा मुस्लिम पुरुषों की भी बात की। मोदी ने उन्हें याद दिलाया कि कैसे पिछले सात साल में उन्होंने मुस्लिम लड़कियों की ज़िंदगी आसान बनाई है। मोदी ने कहा कि तीन तलाक से सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की ही जिंदगी बर्बाद नहीं होती थी बल्कि उनके पिता और भाइयों की भी मुश्किलें बढ़ जाती थीं।  
 
बीजेपी के नेता जानते हैं कि ज्यादातर मुसलमान उन्हें वोट नहीं देते लेकिन पिछले चुनावों में इन इलाकों में बीजेपी को मुसलमानों के 8 प्रतिशत वोट मिले थे। जब हमारे रिपोर्टर, मुस्लिम मतदाताओं से बात करते हैं तो मुस्लिम समाज के लोग यह तो मानते हैं कि राशन टाइम पर मिलता है, बेईमानी नहीं होती। मकान, गैस कनेक्शन देने में हिदू और मुसलमान के बीच कोई भेदभाव नहीं हुआ। मुस्लिम मतदाता यह भी मानते हैं कि कानून-व्यवस्था में जो सुधार हुआ, उससे उनकी ज़िंदगी में बदलाव आया है। जीवन में सुकून आया है। अब रोज-रोज के झगड़े और दंगों से छुटकारा मिला है। लेकिन इसके बाद भी वे बीजेपी को वोट नहीं देंगे।

यह पूछे जाने पर कि वे बीजेपी को वोट क्यों नहीं देंगे? एक शख्स ने कहा कि मौलवी साहब का फरमान आया है, किसी ने कहा कि हम तो हमेशा से बीजेपी के खिलाफ वोट देते आ रहे हैं। किसी का कहना है कि बीजेपी वाले हिंदू-मुसलमान करते हैं और धर्म के आधार पर समाज में विभाजन की कोशिश करते हैं। बीजेपी के नेता आजकल याद दिलाते हैं कि बीजेपी ने तीन तलाक का कानून खत्म करके महिलाओं को राहत दी है, इसलिए मुस्लिम महिलाएं इस बार उनके लिए वोट करेंगी। तो फिर हिंदू-मुसलमान कौन करता है? धर्म के आधार पर समाज में विभाजन की कोशिश कौन करता है? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है। 

सोमवार को उत्तर प्रदेश में वोट देने आईं मुस्लिम महिला मतदाताओं के बीच 'हिजाब' एक बड़ा मुद्दा नजर आया। हमारे रिपोर्टर्स ने बरेली, रामपुर, बदायूं, मुरादाबाद में वोट देने आई महिलाओं से बात की और उनसे यह पूछा कि कर्नाटक के हिजाब विवाद को लेकर वो क्या सोचती हैं? क्या वोट देते समय वो हिजाब के मुद्दे को ध्यान में रखेंगी? ज्यादातर मुस्लिम महिला मतदाताओं की शिकायत यही थी कि हिजाब या किसी भी तरह का पोशाक पहनना उनके व्यक्तिगत पसंद-नापसंद का मामला है और इसमें दख़ल दिया जा रहा है। सरकार को ऐसे मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि यूपी की मुस्लिम महिला मतदाताओं को यह मुद्दा कितना प्रभावित करता है।

कर्नाटक में हिजाब विवाद के बीच नौवीं-दसवीं के स्कूल सोमवार को फिर से खुल गए। कई स्कूलों में मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहनकर आईं, मगर हाईकोर्ट के आदेश का पालन कराते हुए स्कूल प्रशासन ने इन लड़कियों से कहा कि वह हिजाब उतारकर ही स्कूल के अंदर जा सकती हैं और क्लास अटेंड कर सकती हैं। बहुत सी छात्राओं ने अपने हिजाब हटाए और स्कूल जाकर पढ़ाई की। लेकिन, शिवमोगा के एक सरकारी स्कूल की 13 छात्राएं इस आदेश मानने को तैयार नहीं हुईं। इन छात्राओं और इनके माता-पिता की स्कूल के शिक्षकों के साथ बहस भी हुई। बहुत समझाने के बाद भी इन छात्राओं ने अपने हिजाब हटाने से इंकार कर दिया। हाईकोर्ट के आदेश की वजह से स्कूल प्रशासन उन्हें क्लास अटेंड करने की इजाजत नहीं दे सका और ये 13 छात्राएं घर लौट गईं।

कोप्पल के एक स्कूल में मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर आईं, उन्हें क्लास में भी जाने दिया गया। हालांकि, कुछ देर बाद प्रशासन के निर्देश पर उन्हें हिजाब निकालकर क्लास में जाने को कहा गया। सभी छात्राओं ने इस निर्देश का पालन किया और हिजाब हटाकर क्लास अटेंड की। ठीक इसी तरह कलबुर्गी के एक सरकारी स्कूल में नियमों के हिसाब से मुस्लिम छात्राओं को हिजाब के साथ आने की इजाजत है। इसलिए सोमवार को जब यह स्कूल खुला, तो मुस्लिम छात्राओं को हिजाब के साथ एंट्री दे दी गई। हालांकि, बाद में डिप्टी कमिश्नर के निर्देश पर हिजाब पहनकर आई छात्राओं से हिजाब हटाने को कहा गया और फिर छात्राओं ने अपने हिजाब हटाए और क्लास अटेंड की। यह विवाद महाराष्ट्र में भी फैल रहा है जहां लातूर के पास औसा में एनसीपी के बैनर तले हजारों महिलाओं ने समर्थन में धरणा-प्रदर्शन किया। इन महिलाओं ने मांग की कि उन्हें शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने की अनुमति दी जाए।

उधर, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने हिजाब विवाद को गैर-जरूरी बताया है। मदनी ने कहा कि सबको कर्नाटक हाईकोर्ट के फ़ैसले का इंतज़ार करना चाहिए। योग गुरु स्वामी स्वामी रामदेव ने कहा कि कौन क्या पहनना चाहता है, कैसे रहना चाहता है, यह किसी व्यक्ति की अपनी पसंद है और इस पर विवाद नहीं होना चाहिए। सभी को, अपने देश और लोकतंत्र को मज़बूत करना चाहिए।

स्वामी रामदेव की बात सही है कि देश हिजाब जैसे विवाद से आगे निकल चुका है लेकिन अपने सियासी फायदे के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है और लोग अपने-अपने ढंग से मतलब निकाल रहे हैं। कुछ लोग हिजाब को इस्लाम में अनिवार्य बताते हैं और इसे कुरान से जोड़ते हैं। लेकिन इस्लामिक विद्वान बताते हैं कि हिजाब का जिक्र कुरान में कहीं भी महिलाओं के लिबास के तौर पर नहीं हुआ है। हिजाब का जिक्र कुरान में पार्टीशन या पर्दा के तौर पर हुआ है। कुरान में 'खिमार' शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका मतलब दुपट्टा या चुनरी होता है।

दूसरी बात यह है कि क्या बच्चियां स्कूल-कॉलेज में पहले हिजाब पहनकर आती थीं और अब इस पर पाबंदी लगाई गई है? इसपर उड्डुपी कॉलेज के प्रिंसिपल कहते हैं कि पिछले 35 साल से कोई लड़की हिजाब पहनकर नहीं आई। अब पीएफआई और सीएफआई के भड़काने पर उन्होंने हिजाब पहनकर क्लास में आने पर जोर दिया। उड्डुपी कॉलेज के प्रिंसिपल यह भी कहते हैं कि स्कूल या कॉलेज तक हिजाब पहनकर आने में कोई पाबंदी नहीं है, सिर्फ क्लासरूम में यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य है। वैसे भी इस मामले की सुनवाई अदालत में चल रही है। गेंद अब सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पाले में है। इसलिए इसपर अंतिम फैसला अदालतों को लेने दें। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 14 फरवरी, 2022 का पूरा एपिसोड

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