कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कल आधी रात के आसपास तकरीबन एक हज़ार लोगों की भीड़ फाटकों को तोड़ते हुए अस्पताल में जबरन घुस गई और पुरुष और महिला इमरजेंसी वॉर्ड को तहस-नहस कर दिया। भीड़ ने कीमती मशीनें, दवाएं, कम्प्यूटर, सीसीटीवी कैमरे नष्ट कर दिए और डॉक्टरों के रेस्टरूम और पुलिस बैरक में भी तोड़फोड़ की। भीड़ ने पुलिस वाहनों में आग लगा दी और डॉक्टरों के धरनास्थल को तहस -नहस कर दिया। दरअसल, बुधवार की रात को कई हज़ार लोग आंदोलनकारी डॉक्टरों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए धरनास्थल पर पहुंचे थे, और उपद्रवियों ने इसी का फायदा उठाया। कोलकाता पुलिस को आंसू गैस छोड़नी पड़ी और लाठीचार्ज करना पड़ा। सुबह कोलकाता पुलिस के कमिशनर विनीत गोयल ने आरोप लगाया कि मीडिया पुलिस के खिलाफ झूठा और सुनियोजित कैम्पेन चला रहा है और ये घटना उसी का नतीजा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी ने कोलकाता पुलिस के आग्रह किया कि वो 24 घंटे के अंदर उपद्रवियों को पकड़े, चाहे वे किसी भी पार्टी के क्यों न हो। बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में आरोप लगाया कि इस उपद्रव के पीछे तृणमूल कांग्रेस के गुंडों का हाथ था और ये सब कुछ ममता बनर्जी के इशारे पर हुआ। घटनास्थल पर मौजूद आंदोलनकारी डाक्टरों का आरोप था कि ये उपद्रवी ऊपरी मंज़िल पर सेमीनार हॉल में जाकर तोड़फोड़ करना चाहते थे, जहां महिला डॉक्टर के साथ 9 अगस्त को बलात्कार हुआ था और उसके बाद निर्ममता से उनकी हत्या हुई थी।
इस नृशंस हत्या को लेकर ममता बनर्जी की अपनी पार्टी में भी आवाज उठी। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेन्दु शेखर राय, डॉक्टर की बर्बर हत्या के विरोध में हुए प्रोटेस्ट में शामिल हुए। सुखेन्दु शेखर राय ने कहा कि कोलकाता पुलिस किसी काम की नहीं हैं, पुलिस ने इस केस में लापरवाही की, सबूतों के साथ छेड़छाड़ की। राय ने कहा कि जो पुलिस तीन दिन के बाद घटनास्थल पर डॉग स्क्वायड के साथ पहुंची हो, उस पुलिस से क्या उम्मीद की जाए। डॉक्टर की हत्या के विरोध में इस वक्त भी पूरे देश में प्रदर्शन जारी हैं। डॉक्टर्स ने कई राज्यों में कैंडल मार्च निकाला, राजनीतिक दलों ने प्रोटेस्ट किया। अब सबसे ज्यादा नाराजगी इस बात को लेकर है कि अब तक ममता बनर्जी ने आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। कोलकाता पुलिस ने संदीप घोष से पूछताछ करना भी जरूरी नहीं समझा। पश्चिम बंगाल की सरकार ने संदीप घोष के हटाने के बजाए उसका ट्रांसफर करके नेशनल मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया था। इससे नाराज छात्रों ने नेशनल मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के घर और ऑफिस में ताला डाल दिया। अब राजनीतिक दल और प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर डॉक्टर संदीप घोष की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। हालांकि सीबीआई ने इस केस की जांच शुरू कर दी है, डॉक्टर की हत्या के आरोपी संजय रॉय को अपनी हिरासत में ले लिया, मेडिकल कॉलेज के सेमीनार हॉल से सबूत इकट्ठे किए। अब सीबीआई उन सारे लोगों से पूछताछ करेगी जो उस रात हॉस्पिटल में मौजूद थे,जब डॉक्टर की हत्या हुई। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि ममता की पुलिस ने इस जघन्य हत्या को पहले आत्महत्या , फिर अप्राकृतिक मौत क्यों कहा, पुलिस ने सबूतों को मिटाने की कोशिश क्यों की, ममता की सरकार में वो कौन है जो प्रिंसिपल संदीप घोष को बचाने की कोशिश कर रहा है।
संदीप घोष ऐसा कौन सा राज़ जानते हैं जिसके कारण तमाम केसों में शिकायत होने के बाद भी डॉक्टर घोष के खिलाफ एक्शन नहीं हुआ? संदीप घोष पर सवाल उठने की एक नहीं, कई वजहें हैं। पहली तो ये कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के तौर पर इस पूरे मामले को दबाने की कोशिश की, हत्या को आत्महत्या का रंग देने की कोशिश की। दूसरा, डॉक्टर संदीप घोष का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड भी काफी गड़बड़ है लेकिन अपनी राजनीतिक पहुंच के कारण संदीप घोष के खिलाफ कभी कोई एक्शन नहीं हुआ। संदीप घोष पेशे से आर्थोपेडिक डॉक्टर हैं और जिस वक्त ये घटना हुई, उस समय वो आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल थे। वो 4 साल से इस पद पर थे और इन चार सालों में उनके खिलाफ कई बार शिकायतें हुई। मामला विजिलेंस विभाग तक गया। दो बार उनका ट्रांसफर हुआ लेकिन कुछ ही दिन बाद उन्हें फिर से इसी मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल के तौर पर बहाल कर दिया गया। इससे उनके रसूख और राजनीतिक कनेक्शन का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। डॉक्टर संदीप घोष पर भ्रष्टाचार के कई इल्जाम लग चुके हैं। उन पर गलत तरीके से बायो-मेडिकल कचरा बेचने का आरोप है, अस्पताल की पार्किंग में घोटाले का इल्जाम है और तमाम टेंडरों में रिश्वत लेने का आरोप है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में काम कर चुके डॉक्टर अख्तर अली ने कहा कि संदीप घोष हॉस्पिटल में कमीशनखोरी का रैकेट चलाते थे, टेंडरों में 20 परसेंट कमीशन लेते थे और अगर कोई उनके खिलाफ आवाज उठाए तो जूनियर डॉक्टर्स को फेल करने की धमकी देते थे और अपने काम के लिए जूनियर डॉक्टर्स को गेस्ट हाउस में बुलाकर शराब पिलाते थे।
बुधवार को इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा कि कोलकाता में लेडी डॉक्टर की वीभत्स हत्या से पूरा देश स्तब्ध है, पीड़िता को न्याय दिलाने की, आरोपियों को बचाने की कोशिश अस्पताल और स्थानीय प्रशासन पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है। राहुल गांधी ने लिखा कि इस घटना ने सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर मेडिकल कॉलेज जैसी जगह पर डॉक्टर्स सुरक्षित नहीं हैं तो किस भरोसे अभिभावक अपनी बेटियों को पढ़ने बाहर भेजें? राहुल का पोस्ट आने के बाद ममता बनर्जी ने जवाब दिया। ममता ने कहा कि कांग्रेस और सीपीएम के लोग उन पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन इन पार्टियों के नेताओं को बताना चाहिए जब उनके राज्यों में महिलाओं पर अत्याचार हुए, तब उन्होंने क्या किया। ममता ने कहा कि वह सभी राजनीतिक दलों से कहना चाहती हैं कि इस तरह के मामलों में सियासत न करें। ममता बनर्जी ने कहा कि जब उन्हें कोलकाता में लेडी डॉक्टर की हत्या की खबर मिली, उस वक्त वो झाड़ग्राम में थी। उन्होंने उसी वक्त पुलिस कमिश्नर से बात की, तुरंत मौके पर जाकर जांच करने और सभी अपराधियों को पकड़ने का निर्देश दिया। ममता ने कहा कि उन्होंने लेडी डॉक्टर के मां-बाप से बात की, उन्हें सांत्वना दी, न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया। ये बात हैरान करने वाली है कि जिस मेडिकल कॉलेज में इतना जघन्य अपराध हुआ, उसके प्रिंसिपल से पुलिस ने पूछताछ तक नहीं की। प्रिंसिपल को हटाने के बजाए उसे दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया गया। कौन है वो जो संदीप घोष को संरक्षण दे रहा है? क्या संदीप घोष का किसी पर इतना एहसान है? क्या उसके सीने में छुपा हुआ कोई राज़ है?
मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर बेटी के साथ जो जुल्म हुआ वो कितना वहशियाना, कितना भयानक था, इसका पता मंगलवार को मुझे इस केस में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के डिटेल्स बताते समय महसूस हुआ। एक बार को रूह कांप उठी। पोस्टमॉर्टम का जिक्र आया तो कलेजा मुंह को आ गया। ये सोचकर दिल रोता है कि उस बेकसूर लड़की के माता-पिता पर क्या बीत रही होगी? ये केस बहुत गंभीर है, ऐसे मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए, न किसी को बचाने की कोशिश होनी चाहिए। सभी संवेदनशील लोगों को मिलकर सोचना चाहिए कि ऐसा क्या करें कि ऐसी दरिंदगी, ऐसी हैवानियत फिर कभी न हो। (रजत शर्मा)
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