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Rajat Sharma's Blog | अतुल की आत्महत्या का सबक: दहेज कानून में बदलाव

अतुल सुभाष की आत्महत्या बहुत सारे सवाल खड़ी करती है। क्या अतुल का कसूर ये था कि उसकी अपनी पत्नी से अनबन हो गई? क्या उसका कसूर ये था कि उसके पास समझौते के लिए तीन करोड़ रुपये नहीं थे?

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : Dec 12, 2024 16:30 IST, Updated : Dec 12, 2024 16:30 IST
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Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

आज मैं आपको बड़े दुखी मन से 34 साल के एक नौजवान की दर्दनाक आत्महत्या के बारे में बताना चाहता हूं। इस सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अपनी पत्नी द्वारा दर्ज किए गए झूठे मामलों और 3 करोड़ रुपये की मांग से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। ये केस मिसाल है कि हमारा दहेज विरोधी कानून कितना क्रूर है, कैसे इसका दुरुपयोग हो सकता है और कैसे इस अंधे कानून ने एक नौजवान और उसके पूरे परिवार को  बर्बाद कर दिया। वो कोर्ट के चक्कर लगा लगाकर थक गया। पुलिस के आगे हाथ जोड़-जोड़ कर रोता रहा और जब इंसाफ की कोई उम्मीद नहीं बची तो उसने फांसी लगाकर जान दे दी।

मौत को गले लगाने से पहले अतुल ने 24 पन्नों का नोट लिखा। फिर डेढ़ घंटे का वीडियो बनाया। अपनी पूरी दास्तां बताई, अपनी आखिरी इच्छा बताई, फिर दीवार पर लिखकर चिपकाया कि Justice Is Due और फांसी लगाकर जान दे दी। अतुल सुभाष ने अपने सुसाइड नोट में जो लिखा, अपने आखिरी वीडियो में जो कहा, वो आपके रोंगटे खड़े कर देगा। अतुल सॉफ्टवेयर इंजीनियर था, बेंगलुरु में अच्छी नौकरी थी, अच्छी सैलरी थी, लेकिन पिछले तीन साल में पत्नी से अनबन के चलते बात कोर्ट तक पहुंची। दहेज विरोधी कानून के तहत मामला दर्ज हुआ। फिर एक के बाद एक 9 केस दर्ज हो गए।

अतुल कोर्ट में पेशी के लिए बैंगलूरू से जौनपुर के चक्कर काट-काट कर परेशान हो  गया, माता-पिता और भाई भी मुकदमों में फंस गए। समझौते के लिए पत्नी ने तीन करोड़ रुपये मांगे। अदालत से इंसाफ के बजाय तारीख पर तारीख मिलती रही। अतुल सिस्टम से इतना परेशान हो गया कि उसने जिंदगी की बजाय मौत को चुना। अब बेंगलुरु पुलिस अतुल की पत्नी और उसके परिवार वालों से पूछताछ करेगी। अतुल को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का केस दर्ज हुआ है। लेकिन इससे क्या होगा? उन बूढ़े मां-बाप का बेटा वापस तो नहीं आएगा, जो उनके बुढ़ापे का सहारा था। आज जिसने भी दहाड़े मार कर रोती हुई, बेहोश होकर गिरती अतुल की मां की तस्वीरें देखीं, उसका  कलेजा फट गया।

अतुल की मौत ने फिर दहेज कानून पर सवाल खड़े कर दिए। हमारी न्याय व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगा दिए। ये सच है कि जिंदगी से जरूरी कुछ नहीं, मौत किसी समस्या का निदान नहीं। लेकिन अतुल की मौत ने सबको सोचने के लिए मजबूर कर दिया। अतुल सुभाष के मां-बाप बिहार के समस्तीपुर में रहते हैं। सोमवार की रात बैंगलुरू में उसने ख़ुदकुशी कर ली। आत्महत्या करने से पहले अतुल  ने सुसाइड नोट लिखा, अपना वीडियो अपलोड किया, अपने केस से जुड़े ई-मेल अपने जानने वालों को, एक NGO को भेजे। इसके साथ-साथ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को भी मेल भेजकर अपनी पूरी दास्तां बताई।

अतुल ने लिखा कि वह अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार से तंग आ गए हैं। कोर्ट से भी न्याय के बजाय तारीख पर तारीख मिल रही है। अतुल ने सुसाइड नोट में लिखा कि उनके खिलाफ मुकदमेबाजी में उनके मां-बाप और भाई भी पिस रहे हैं। इन मुसीबतों से निजात का एक ही रास्ता है, ख़ुदकुशी। अतुल की पत्नी दिल्ली में रहती है, सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। पत्नी ने अतुल के खिलाफ IPC दफा 498 के साथ साथ कई दूसरी धाराओं में अलग-अलग 9 केस जौनपुर में फाइल किए।

अतुल ने अपने वीडियो में कहा कि पिछले दो साल में कोर्ट में 120 से भी ज़्यादा तारीखें लग चुकी हैं। उन्हें साल में सिर्फ 23 छुट्टी मिलती है। लेकिन वह कोर्ट में पेशी के लिए बैंगलूरू से जौनपुर के 40 चक्कर लगा चुका है। हर बार परेशानी और नई तारीख के सिवा कुछ नहीं मिला। अतुल ने कहा कि उनकी पत्नी ने उसके पूरे परिवार को झूठे केस में फंसा दिया है। दहेज प्रताड़ना के अलावा मारपीट, धमकी, और तो और अपने पिता की हत्या का केस भी कर रखा है। अतुल ने कहा कि पत्नी चार साल के बेटे से मिलाने के एवज में भी 30 लाख रुपये की मांग कर रही है। वो न माता-पिता और भाई को कोर्ट के चक्कर लगाते हुए देख सकते हैं, न अपने बच्चे से दूर रह सकते हैं, और न इतना पैसा दे सकते हैं। इसलिए मुक्ति का एक ही रास्ता है कि वो अपनी जान दे दें।

अपने सुसाइड नोट में अतुल ने अपनी सास निशा सिंघानिया के बारे में लिखा है। अतुल ने लिखा है कि उनकी सास ने पूछा कि तुमने अब तक सुसाइड क्यों नहीं किया? इसके जवाब में अतुल ने कहा कि अगर वो मर गए, तो आप लोगों की पार्टी कैसे चलेगी? अतुल ने सुसाइड नोट में लिखा कि इसके बाद उनकी सास ने कहा कि पार्टी तब भी चलेगी, तेरा बाप पैसे देगा, पति के मरने के बाद सब पत्नी का होता है। अपने वीडियो में अतुल ने सास की इसी बात को अपनी आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण बताया और कहा कि उनके दिए पैसों से ही सारा खेल चल रहा है।  इसलिए सुसाइड कर लेंगे, तो ये मामला भी ख़त्म हो जाएगा।

अतुल ने वीडियो में अपनी आख़िरी इच्छा बताईं। अपने परिवार के लोगों को सलाह दी कि वो उसकी पत्नी निकिता सिंघानिया या उनके परिवार के सदस्यों से कभी भी कैमरे के बगैर दो चार लोगों को साथ लिए बिना न मिलें, वरना वो कोई नया इल्ज़ाम लगा देंगे। अतुल ने कहा कि मरने के बाद उनकी पत्नी और उसके परिवार के किसी सदस्य को उनके पार्थिव शरीर के आस-पास भी न आने दिया जाए। अतुल ने अपने वीडियो में निचले स्तर की न्यायपालिका के काम-काज पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने जिन पांच लोगों को अपनी मौत का ज़िम्मेदार ठहराया, उनमें पहला नाम जौनपुर की फैमिली कोर्ट की लेडी जज का है।

अतुल का इल्ज़ाम है कि फैमिली कोर्ट की जज उनको परेशान करने में पत्नी और उसके परिवार का साथ देती हैं। उन्होंने मामला सेटल करने के बदले में पैसे मांगे थे। कोर्ट के क्लर्क भी पैसे लेकर ऐसी तारीख़ें लगाते थे, जिससे वो परेशान हों। अतुल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कम से कम आत्महत्या के बाद उनके परिवार को इंसाफ़ मिलेगा। अतुल ने अपने आखिरी वीडियो में कहा कि अगर उनकी मौत के बाद भी जज और कोर्ट के भ्रष्ट कर्मचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई न हो, तो उनकी अस्थियों को कोर्ट के बाहर नाली में बहा दिया जाए।

अतुल का ये कथन हमारे सिस्टम पर करारा प्रहार है। ये संयोग है कि मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने भी दहेज विरोधी क़ानून के दुरुपयोग पर चिंता जताई। जस्टिस बीवी नागरत्ना और एन कोटिश्वर सिंह ने कहा कि महिलाओं को दहेज उत्पीड़न से बचाने के लिए IPC में दफा 498A जोड़ी गई थी, लेकिन अब इस क़ानून का इस्तेमाल पति के साथ-साथ उसके परिवार को फंसाने के लिए ज़्यादा होने लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब घरेलू विवाद बढ़ जाते हैं, तो अक्सर ये देखा जाता है कि पत्नी और उसके परिवार वाले पति के पूरे परिवार के ख़िलाफ़ मुक़दमा कर देते हैं ताकि पति से अपनी मांगें मनवाई जा सकें। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों को सलाह दी कि वो दहेज मामलों में बहुत सावधानी से काम लें, पत्नी अगर अपने पति के पूरे परिवार के ख़िलाफ़ इल्ज़ाम लगाए, तो ऐसे मामलों की बारीक़ी से पड़ताल करें।

अतुल सुभाष की आत्महत्या बहुत सारे सवाल खड़ी करती है। क्या अतुल का कसूर ये था कि उसकी अपनी पत्नी से अनबन हो गई? क्या उसका कसूर ये था कि उसके पास समझौते के लिए तीन करोड़ रुपये नहीं थे? क्या उसका कसूर ये था कि उसने कोर्ट में कुछ लोगों को पैसे नहीं खिलाए? किसी भी इंसान के लिए बैंगलोर से बार-बार केस लड़ने जौनपुर जाना कितना दुखदायी हो सकता है। अदालत से इंसाफ की उम्मीद छूट जाना, कितनी तकलीफ दे सकता है। अतुल का केस इसका एक ज्वलंत उदाहरण है। सुप्रीम कोर्ट ने दहेज के कानून के बारे में क्या कहा, उसे ध्यान से सुनने और समझने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा दहेज का कानून इसीलिए बनाया गया था कि महिलाओं को दहेज के उत्पीड़न से बचाया जा सके। लेकिन अब किसी भी पारिवारिक विवाद में इस कानून का इस्तेमाल पति और उसके परिवार को फंसाने के लिए होता है। असल में आईपीसी की धारा 498A वो कानून है जिसमें पुलिस बिना वॉरंट के गिरफ्तार कर सकती है और इस केस में जमानत नहीं मिलती। बीसियों बार इस तरह के मामले सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सामने आए हैं और बार-बार अदालतों ने कहा है कि पारिवारिक झगड़े में FIR करने से पहले पुलिस को प्राथमिक जांच करनी चाहिए।

सुलह समझौता कराने के लिए हर जिले में एक परिवार कल्याण कमेटी होनी चाहिए, लेकिन कुछ नहीं हुआ। कोर्ट के दो फैसले ऐसे हैं जिन्हें यहां बताने की जरूरत हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा था कि धारा 498A का दुरुपयोग करके महिलाओं ने 'लीगल टेरर' (कानूनी आतंक) मचा रखा है और  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि ‘शादी विवाह से जुड़े हर मामले’  दहेज से संबंधित उत्पीड़न के आरोपों के साथ बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए जा रहे हैं। अगर इसका दुरुपयोग ऐसे ही जारी रहा तो ये विवाह संस्था को ‘बिल्कुल ख़त्म’ कर देगा।

अदालतों की इतनी बड़ी चेतावनी के बावजूद आज भी ये कानून जैसा का तैसा है और हजारों परिवार बर्बाद हो चुके हैं। हजारों बूढ़े मां-बाप जेल में बंद हैं। न्याय की कोई उम्मीद नहीं है। अतुल का केस इसी त्रासदी की तरफ इशारा करता है। उसकी मां हाथ जोड़कर इंसाफ मांग रही है लेकिन ये कानून इतना सख्त है कि कोई भी पत्नी इसका इस्तेमाल करके अपने पति को प्रताड़ित कर सकती है, आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर सकती है। और ये राय अदालतों ने बार बार व्यक्त की है।

इसीलिए अगर अतुल सुभाष की मौत से कोई सबक लेना है तो वो यही होगा कि इस कानून को ऐसा बनाया जाए कि कोई इसका दुरुपयोग न कर सके। फिर कोई अतुल  झूठे मामलों की वजह से आत्महत्या करने को मजबूर ना हो। अतुल ने दीवार पर लिखा था  इंसाफ मिलना अभी बाकी है। हालांकि अतुल को इंसाफ कब मिलेगा, हमारे नेताओं को दहेज विरोधी कानून पर विचार करने का वक्त मिलेगा, ये अभी कहना मुश्किल है क्योंकि संसद में लोगों की समस्याओं पर विचार करने की बजाय दूसरे विषयों पर हंगामा चल रहा है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 11 दिसंबर, 2024 का पूरा एपिसोड

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