स्वाधीनता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 2024 के लिए बड़ा संदेश दिया। अपना चुनावी कैंपेन लॉन्च कर दिया, बिना चुनाव की बात किए, बिना किसी का नाम लिए, उन्होंने विरोधी दलों को करारा जवाब दिया। पहले मोदी ने अपने 9 साल की उपलब्धियां गिनाईं। गरीबों के लिए घर, मुद्रा योजना से बढ़े कारोबार, MSME को मदद, घर घर जल, आयुष्मान भारत, जन औषधि केंद्र, किसानों के लिए यूरिया, जैसे अनेक कामों का जिक्र किया। कैसे भारत की अर्थव्यवस्था पिछले 9 साल में दुनिया मे दसवें नंबर से पांचवें नंबर पर पंहुची, ये बताया। फिर मोदी ने आने वाले 5 साल का विज़न समझाया। मिडिल क्लास पर फोकस, शहरों में घर बनाने के लिए मदद, सस्ता इंटरनेट डेटा और मंहंगाई पर काबू का भरोसा दिलाया। मोदी ने दावा किया कि आने वाले 5 साल में वो भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया की तीसरे सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाएंगे।
इसके बाद मोदी ने अगले 25 साल की बात की। 2047 में भारत को विकसित देश बनाने का सपना दिखाया। दुनिया के बदलते वर्ल्ड ऑर्डर के बारे में समझाया और भाषण के अंत में मोदी ने विरोधी दलों के जले पर नमक छिड़का। बताया कि अगर भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना है तो देश को मजबूत सरकार की फिर जरूरत होगी। मोदी ने पहले बताया कि मैं वापस आऊंगा, लालकिले की प्राचीर से अगले साल फिर संबोधन करूंगा, और इसके बाद मोदी ने फाइनल एसॉल्ट किया। नरेन्द्र मोदी ने अपना चुनाव एजेंडा साफ कर दिया। मोदी ने लोगों से तीन बुराइयों से लड़ने के लिए सहयोग मांगा – एक, भ्रष्टाचार, दूसरा, परिवारवाद औऱ तीसरा, तुष्टिकरण। अब ये कोई सीक्रेट नहीं है कि ये तीनों प्रहार विरोधी दलों के नए गठबंधन पर है। वो गठबंधन जो मोदी का मुकाबला करने के लिए बनाया गया है।
लाल किले की प्राचीर पर जो दिखाई दिया, वो विंटेज मोदी का रूप था। स्वाधीनता दिवस पर जो सुनाई दिया उससे लगा पुराना फाइटर मोदी फिर मैदान में है। वैसे भी मोदी के बारे में मुझे ये लगता है कि वो विपरीत परिस्थितियों में ज्यादा असरदार होते हैं। मुझे नहीं लगता है कि विरोधी दलों ने भी इस बात की जरा भी उम्मीद की होगी कि लाल किले की प्राचीर से मोदी इतनी साफ-साफ और इतनी खरी-खरी बातें कहेंगे। लेकिन मोदी तो मोदी हैं। वो अपने हिसाब से चलते हैं। उन्होंने विरोधी दलों की बातों का चुन-चुनकर जवाब दिया। छोटी से लेकर हर बड़ी बात पर का उत्तर दिया। जैसे टेलीप्रॉम्पटर को लेकर बहुत कुछ कहा जाता है। मोदी ने अपने भाषण में टेलीप्रॉम्पटर का सहारा नहीं लिया। मोदी का धाराप्रवाह बोलने का पुराना जोश दिखाई दिया। डेढ़ घंटे तक सिर्फ नोट्स की मदद से बोलना आसान नहीं होता।
इल्जाम था कि मोदी मणिपुर पर बोलने से बचते हैं, उन्होंने लाल किले की प्राचीर से भरोसा दिलाया कि मणिपुर में जल्दी शांति कायम होगी। मोदी ने लोगों को अहसास कराया कि वो पॉजिटिव सोचते हैं, सिर्फ देश के बारे में सोचते हैं। लेकिन उनके विरोधी सिर्फ नेगेटिव बातें करते हैं और सिर्फ अपने परिवार की चिंता करते हैं। भाषण में मोदी के तीन मुख्य मुद्दे थे – भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण। विरोधी दलों के गठबंधन के जितने भी नेता जो CBI और ED से परेशान हैं, राहुल, ममता, लालू, पवार, केजरीवाल, स्टालिन सब के सब मोदी पर जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके राजनीति करने का आरोप लगाते हैं। मोदी ने इसलिए भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया। हालांकि इस मामले में विपक्ष अजित पवार जैसे नेताओं का नाम लेकर कहेगा कि वो वॉशिंग मशीन से धुलकर आए हैं। लेकिन परिवारवाद ऐसा मामला है, जहां मोदी की चोट का सबसे ज्यादा असर होगा। मोदी का अपना कोई परिवार नहीं है। उन्होंने देशवासियों को बार बार ‘मेरे परिवारजन’ कहकर संबोधित किया। 140 करोड़ लोगों को अपना परिवार बताया।
अपने 90 मिनट के संबोधन में मोदी ने करीब 48 बार ‘मेरे परिवारजन’ शब्द का इस्तेमाल किया। इसका असर जन मानस पर होगा। तुष्टिकरण का जिक्र करके मोदी ने बीजेपी के कोर वोटर को मैसेज दिया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वो कभी वोटों के लिए तुष्टिकरण की राजनीति नहीं करेंगे, लेकिन नरेन्द्र मोदी ने दो बातें ऐसी कहीं जिनका परोक्ष मतलब ये था कि अगर देश की जनता ने उन्हें तीसरी बार चुना तो उसका कितना दूरगामी परिणाम होगा। इसीलिए मोदी ने 2047 में भारत को अमेरिका जैसे ताकतवर देशों की श्रेणी में पहुंचाने की बात की। उन्होंने लोगों को सावधान किया कि 1000 साल पहले पृथ्वीराज चौहान को हराने की एक गलती हुई थी। इसकी सज़ा देश ने एक हजार साल तक पाई, लेकिन अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। अब भारत कभी फिर से गुलाम ना बने, यह सुनिश्चित किया जाएगा। इसका असली मतलब ये था कि फिर से गलती नहीं करनी है, अगर चूक हुई, तो लम्हों की खता होगी और सजा सदियों तक मिलेगी। (रजत शर्मा)
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