प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में हैं। वे अपने तीन दिनों के यूरोप दौरे के चूसरे चरण में यहां पहुंचे हैं। पीएम मोदी डेनमार्क के पीएम और वहां की रानी से मुलाकात करेंगे । इसके साथ ही दूसरे भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के दौरान वे स्वीडन, आइसलैंड, फिनलैंड और नॉर्वे के नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।
सोमवार को उन्होंने जर्मनी के चांसलर ओलाफ़ शोल्ज़ के साथ विभिन्न् विषयों पर लंबी चर्चा की। उन्होंने भारत और जर्मनी के इंटर गवर्नमेंटल परामर्श में भाग लिया। लेकिन पीएम मोदी की बर्लिन यात्रा का मुख्य आकर्षण प्रवासी भारतीयों के लिए दिया गया उनका करिश्माई भाषण था। यूरोप के अलग-अलग हिस्सों से आए प्रवासी भारतीयों ने सोमवार रात बर्लिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोरदार स्वागत किया।
नरेंद्र मोदी ने अपने पुराने अंदाज में प्रवासी भारतीयों को अपनी आठ साल पुरानी सरकार की उपलब्धियों और भारत की भविष्य की योजनाओं के बारे में भी बताया। मोदी ने कहा-'21वीं सदी भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। आज नए भारत ने अपना मन बना लिया है और संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। कोई देश एक नए रास्ते पर तभी चलता है जब वह एक संकल्प करता है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करते दिखाता है।'
भाषण के दौरान कई बार भीड़ ने ‘मोदी है तो मुमकिन है’, ‘मोदी वन्स मोर’ का नारा लगाया। मोदी ने बताया कि कैसे नौकरशाही और लालफीताशाही की बाधाओं से बचने के लिए उनकी सरकार ने 25 हजार से ज्यादा शर्तों को पूरी तरह से हटा दिया है और करीब 1500 कानूनों को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा, '2014 में जीतने के बाद, हम 2019 में और ज्यादा बहुमत से जीते, क्योंकि देश के युवा तेजी से तरक्की हासिल करने के लिए राजनीतिक स्थिरता की जरूरत को समझते हैं और उन्होंने बटन (ईवीएम) दबाकर तीन दशकों की राजनीतिक अस्थिरता को समाप्त कर दिया है।
थिएटर पोस्टडैमेर प्लाट्ज में मोदी के भाषण के दौरान 1600 से ज्यादा अप्रवासी भारतीय मौजूद थे जिसमें छात्र, रिसर्चर्स और प्रोफेशनल भी शामिल थे। अपने घंटे भर के भाषण में मोदी ने कहा कि एक नए भारत ने दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ने का मन बना लिया है। उन्होंने विदेशों में बसे भारतीयों से यह अनुरोध किया कि वे आगे आएं और विदेशों में 'मेक इन इंडिया' जैसे प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देकर अपनी मातृभूमि में अपने भाइयों की मदद करें।
मोदी ने कहा, 2014 से पहले भारत एक ‘वर्क इन प्रोग्रेस’ पर था, लेकिन एनडीए शासन के आठ वर्षों में भारत ने हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है। चाहे ईज ऑफ लिविंग हो, क्वालिटी ऑफ लाइफ हो, रोजगार में आसानी, शिक्षा की गुणवत्ता, संचार और यात्रा की गुणवत्ता हो या फिर उत्पादों की गुणवत्ता, हर क्षेत्र में भारत ने तरक्की की है। मोदी ने कहा भारत में 2014 के आसपास 200-400 स्टार्ट-अप थे, आज 68,000 स्टार्ट अप और दर्जनों यूनिकॉर्न हैं। जिनमें से कुछ पहले ही 10 अरब डॉलर के मूल्यांकन के साथ डेका-कॉर्न बन गए हैं।
मोदी ने श्रोताओं से कहा, ‘2014 में मैं अपने बाबुओं से पूछता था कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं। तब वे मुझे बताते थे कि उनके बच्चे आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अब जब मैं अपने बाबुओं से पूछता हूं, तो वे कहते हैं कि उनके बच्चे अब स्टार्ट-अप में हैं। मोदी ने कहा-‘नया भारत अब एक सुरक्षित भविष्य के बारे में नहीं सोचता है, बल्कि यह जोखिम लेने के लिए तैयार है, कुछ नया करने को तत्पर है।'
उन्होंने भारतीय किसानों की तारीफ भी की और कहा, 'ऐसे समय में, जब दुनिया गेहूं की गंभीर किल्लत से जूझ रही है, हमारे किसान दुनिया का पेट भरने के लिए आगे आए हैं। जब भी मानवता पर संकट आता है, भारत एक समाधान के साथ आगे आता है। यह न्यू इंडिया है, यही न्यू इंडिया की ताकत है।’ एक समय था जब किसी नई कंपनी को रजिस्टर कराने में महीनों लग जाते थे। हमने सभी बाधाओं को दूर किया और अब देश में किसी भी नई कंपनी को रजिस्टर कराने में केवल 24 घंटे लगते हैं। इससे शासन में लोगों का भरोसा बहाल हो रहा है।'
नरेंद्र मोदी ने नाम लिए बिना कांग्रेस पर निशाना साधा, लेकिन पंजा (कांग्रेस का चुनाव चिन्ह) का जिक्र करते हुए अपनी हथेली दिखा दी। मोदी ने कहा एक पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था कि केंद्र से राज्यों को अगर एक रुपया भेजा जाता है तो अंतिम लाभार्थी तक केवल 15 पैसा पहुंचता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, ‘वो कौन सा पंजा था, जो 85 पैसे घिस लेता था?... पिछले 8 वर्षों में हमारी सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत सीधे 22 लाख करोड़ रुपये लाभार्थियों के खाते में भेजा।'
मोदी ने यह भी पूछा कि भारत को एक संविधान बनने में 70 साल से ज्यादा का वक्त क्यों लगा। दरअसल वह जम्मू और कश्मीर के अलग संविधान का जिक्र कर रहे थे जो आजादी के बाद से लागू था। इसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्राप्त था। लेकिन 5 अगस्त, 2019 को संसद ने आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया था। पीएम मोदी ने कहा, ‘देश एक था, लेकिन हमारे पास दो संविधान थे। हमें एक संविधान बनाने में 70 साल लग गए। लेकिन इतना समय क्यों लगा? हमने अब इसे लागू कर दिया है।'
जर्मनी में भारतीय प्रवासी पीएम मोदी की बर्लिन यात्रा से खासे उत्साहित हैं। जर्मनी में दो लाख से ज्यादा भारतीय रहते हैं। उनमें से क़रीब 1 लाख 60 हज़ार लोगों के पास भारतीय पासपोर्ट है। करीब 43 हज़ार भारतीय मूल के लोगों ने जर्मनी की नागरिकता ले ली है। प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए सैकड़ों हिन्दुस्तानी बर्लिन के ऐतिहासिक ब्रैंडेनबर्ग गेट पर जमा हुए थे। ब्रैंडनबर्ग गेट पर पूरे भारत की झांकी दिखी। प्रधानमंत्री के स्वागत में गुजरात का गरबा हुआ। कोई महाराष्ट्र की वेश-भूषा में आया था तो कोई साउथ इंडियन ड्रैस में। बहुत से महिलाएं पारंपरिक गुजराती ड्रेस पहनकर आई थीं। मोदी भी इन लोगों से गर्मजोशी से मिले। इस दौरान उन्होंने ड्रम भी बजाया।
इससे पहले दिन में मोदी ने जर्मन चांसलर के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत का मानना है कि रूस और यूक्रेन के बीच लड़ाई में कोई विजेता नहीं होगा। इस युद्ध से पूरी दुनिया का नुकसान होगा और विकासशील एवं कम विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर इसके अधिक गंभीर प्रभाव पड़ेगे। दोनों नेताओं ने इस युद्ध को तुरंत खत्म करने का आह्वान किया। जर्मनी ने वर्ष 2030 के लिए निर्धारित क्लाइमेट एक्शन टारगेट के लिए भारत को 10 बिलियन यूरो देने का वादा किया, जिसमें रिन्यूएबल सोर्सेज से 50 प्रतिशत ऊर्जा की सोर्सिंग और 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन उत्पादन क्षमता विकसित करना शामिल है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के परिणामों के बारे में मोदी ने जो कहा है, वह प्रैक्टिकल आकलन पर आधारित है। उन्होंने कहा कि युद्ध न केवल यूक्रेन को बल्कि दुनिया भर के अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं को भी भारी नुकसान पहुंचा रहा है। यूक्रेन में युद्ध के कारण ईंधन, खाद और गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं। भारत ने भले ही कई देशों में गेहूं भेजना शुरू कर दिया हो, लेकिन इसे लंबे समय तक बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। युद्ध कोई समाधान नहीं है। रूस और यूक्रेन दोनों को युद्ध समाप्त करना होगा और बातचीत की टेबल पर आना होगा।
पीएम मोदी की जर्मनी यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच 14 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए और इसमें सबसे महत्वपूर्ण समझौता रिन्यूएबल एनर्जी का है।
बर्लिन की चांसलरी यानी जर्मन सरकार के हेडक्वार्टर में प्रधानमंत्री का शानदार स्वागत किया गया। दोनों देशों के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत से पहले प्रधानमंत्री मोदी और जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। मोदी और ओलाफ की मुलाकात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि जर्मनी, यूरोप की आर्थिक महाशक्ति है। जर्मनी दुनिया की चौथे नंबर की सबसे बड़ी इकोऩॉमिक पावर है और भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। इस वक्त भारत में 1700 से ज्यादा जर्मन कंपनियां कारोबार कर रही हैं। 1600 से ज्यादा कंपनियां इंडो-जर्मन सहयोग से चल रही हैं। इसके अलावा 600 से अधिक इंडो-जर्मन जॉइंट वेंचर्स काम कर रहे हैं। जर्मनी में भारतीय कंपनियों का कारोबार भी बढ़ा है। इस वक्त 200 से ज्यादा भारतीय कंपनियां जर्मनी में बिजनेस कर रही हैं। इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी और जर्मन चासंलर के बीच सिर्फ यूक्रेन- रूस पर ही नहीं बल्कि आपसी व्यापारिक रिश्तों पर भी बात हुई।
इस साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह पहला विदेशी दौरा है। यूक्रेन-रूस युद्ध की पृष्ठभूमि में यह दौरा बहुत अहम है। क्योंकि ज्यादातर यूरोपीय देश रूस के खिलाफ एकजुट हैं। लेकिन ये भी सही है कि यूरोपीय देशों की रूस पर निर्भरता भी ज्यादा है। ज्यादातर यूरोपीय देशों को पाइप लाइन के जरिए गैस की सप्लाई रूस ही करता है। अगर रूस ने सप्लाई बंद कर दी तो यूरोपीय देशों के लिए मुश्किल हो सकती है। जहां तक भारत का सवाल है तो तेल के मामले में रूस पर भारत की निर्भरता सबसे कम है। भारत रूस से सिर्फ दो प्रतिशत ऑयल इंपोर्ट करता है।
इसलिए भारत पर कोई दबाव नहीं है। दूसरी बात भारत ने न तो रूस का विरोध किया न ही यूक्रेन का समर्थन किया है। भारत ने बार-बार कहा कि वह शान्ति चाहता है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका के दबाव के बाद भी भारत ने रूस के खिलाफ वोट नहीं डाला। दूसरी तरफ यूक्रेन को सहायता भी भेजी। रूस से सस्ता तेल खरीदने का फैसला किया। मोदी के इन्हीं फैसलों के कारण यूरोपीय देशों को समझ आ गया कि भारत अपनी आजाद विदेश नीति पर चल रहा है जो उसके राष्ट्रीय हितों के अनुकूल है। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 02 मई, 2022 का पूरा एपिसोड