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Rajat Sharma’s Blog: कृष्ण की नगरी द्वारका में कैसे भर गई दरगाह और मजारें

बेट द्वारका की आबादी अभी 10 हजार के आस-पास है, जिसमें हिंदुओं की संख्या 1,000 से 1,500 के बीच है और मुसलमान बहुसंख्यक हैं।

Written By: Rajat Sharma
Updated on: October 05, 2022 19:29 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

आज मैं आपको एक खुराफाती प्लान के बारे में बताना चाहता हूं। मैं आपको बताऊंगा कि भगवान कृष्ण की नगरी देवभूमि द्वारका कुछ लोगों के कारण किस कदर बुरी हालत में है। वह नगरी जहां श्रीकृष्ण का महल था, वहां कैसे गैरकानूनी कब्जे करके दरगाहें और मजारें बना दी गईं। मैं बताऊंगा कि कैसे कुछ लोगों ने गुजरात की देवभूमि द्वारका जिले में ओखा तट से दूर बेट द्वारका द्वीप में एक लाख वर्ग फीट की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया।

द्वारका धाम एक अरब से भी ज्यादा हिंदुओं के 4 पवित्र धामों में से एक है। यही वह जगह है जहां भगवान कृष्ण अपने सहपाठी सुदामा से मिले थे। द्वारका में भगवान कृष्ण की लगभग 5,000 साल पुरानी एक प्राचीन मूर्ति है। पिछले कुछ वर्षों से  इस पवित्र भूमि पर कब्जा करके  लोगों ने यहां मजारें, दरगाहें, गोदाम और रिहाइशी इमारतें खड़ी कर दी थीं।

पिछले चार दिनों में गुजरात सरकार ने 50 से ज्यादा अतिक्रमणों को ढहाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया और लगभग एक लाख वर्ग फुट सरकारी जमीन को कब्जे से मुक्त करा लिया।

आज मैं आपको बताऊंगा कि स्वार्थी तत्वों ने कैसे इस इलाके पर कब्जा कर लिया जिससे हिंदुओं को अपनी संपत्ति बेचने और द्वीप छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा? इंडिया टीवी के रिपोर्टर निर्णय कपूर बेट द्वारका गए और वहां बने सभी अवैध ढांचों और अवैध कब्जों के बारे में जानकारी जुटाई। अवैध कब्जे के खिलाफ संयुक्त ध्वस्तीकरण अभियान को शनिवार को ओखा नगर पालिका और द्वारका जिला प्रशासन के अधिकारियों ने मिलकर शुरू किया।

ऑपरेशन ‘क्लीन-अप’ के दौरान बालापर, अभयामाता मंदिर, हनुमान डांडी रोड, ओखा नगर पालिका वॉर्ड ऑफिस, धींगेश्वर महादेव मंदिर और कई अन्य इलाकों में अवैध निर्माण को तोड़ा गया। अतिक्रमणकारियों ने सरकारी बंजर भूमि और वन भूमि को भी नहीं बख्शा था।

अधिकारियों ने बुलडोजर से दरगाह सिद्दी बाबा, दरगाह बाला पीर, दरगाह कमरुद्दीन शाह पीर, हजरत दौलत शाह पीर और आलम शाह पीर की मजार को ध्वस्त कर दिया। किसी भी तरह के हंगामे को रोकने के लिए गुजरात पुलिस, राज्य रिजर्व पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के एक हजार से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था। पूरे ऑपरेशन की निगरानी देवभूमि द्वारका के जिला कलेक्टर, राजकोट रेंज के IG पुलिस, SP रैंक के 3 अधिकारियों, 9 DSP और 20 इंस्पेक्टरों ने की थी।

लाखों हिंदुओं, विशेष रूप से कृष्ण भक्तों के इस पूजनीय स्थान पर इतने दरगाह और मजार कैसे बन गए? अपने धार्मिक महत्व के अलावा, बेट द्वारका का रणनीतिक महत्व भी है क्योंकि यह अरब सागर में अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा के काफी पास है। बेट द्वारका और कई अन्य छोटे द्वीप ओखा नगरपालिका के वार्ड नंबर 5 के अंतर्गत आते हैं। पिछले कुछ सालों में बकायदा प्लान बनाकर सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण किए गए।

सरकारी जमीन, खासतौर पर बंजर जमीन और वन भूमि के साथ-साथ हिंदू मंदिरों के आस-पास के इलाके भी अवैध कब्जा करने वालों के निशाने पर थे। अधिकांश अवैध निर्माणों को दरगाह और मजार का नाम दिया गया था। कब्जा की गई जमीन पर सी-फेसिंग रिहाइशी इमारतें खड़ी कर दी गई थीं। तटीय इलाकों में यह दिखाने के लिए गोदाम बना लिए गए थे कि अवैध निर्माण का इस्तेमाल मजहबी और सामुदायिक कामों के लिए किया जा रहा था।

जिला प्रशासन ने अवैध ढांचों और उनका निर्माण करने वाले व्यक्तियों की पहचान करने के लिए एक सर्वे किया। जिन लोगों ने यहां अवैध कब्जे किए उनमें सालेह मोहम्मद संघार, अयूब सुमाणिया, तालिब लतीफ जडेजा, हामिद टी. जडेजा और हुसैन अलेना जडेजा के नाम मुख्य रूप से शामिल हैं।

बेट द्वारका द्वीप अपने द्वारकाधीश मुख्य मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। बेट-द्वारका और इसके आस-पास कुल 42 टापू हैं। मुख्य द्वीप के अलावा बाकी सारे टापू वीरान पड़े रहते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि कई ऐसे टापुओं पर भी अवैध निर्माण हो गए जहां कोई रहता ही नहीं है। गुजरात की मुख्य भूमि से वहां जाने के लिए नाव का इस्तेमाल करना पड़ता है। कोस्टल सिक्योरिटी एजेंसियों के लिए धार्मिक स्थान के नाम पर बनी ऐसी इमारतें सिर दर्द बन जाती हैं। मजार या दरगाह के नाम पर अवैध काम किए जाते हैं। हमारे संवाददाता निर्णय कपूर तो यह देखकर हैरान रह गए कि गुजरात के मेनलैंड से इतनी दूर टापुओं पर बिल्डिंग बनाने का मैटेरियल कैसे पहुंचाया गया।

बेट द्वारका भारत और पाकिस्तान की समुद्री सीमा से महज 58 समुद्री मील दूर है। हाल के दिनों में कोस्ट गार्ड्स ने पाकिस्तान के कई तस्करों को भारत की समुद्री सीमा में पकड़ा है, औ साथ ही ड्रग्स की खेप भी पकड़ी गई हैं। सुरक्षा एजेंसियों को खबर मिली थी कि खाली टापुओं पर बनी ये धार्मिक इमारतें असल में तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के लिए इस्तेमाल हो रही थीं।

गुजरात पुलिस के राजकोट रेंज के IG संदीप सिंह ने इंडिया टीवी के रिपोर्टर को बताया कि बेट द्वारका में रहने वाले ज्यादातर लोग मछली पकड़ने का धंधा करते हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से अवैध कारोबार से जुड़े कई लोगों ने इन टापुओं पर डेरा जमाना शुरू कर दिया था। वे गुजरात की मुख्य भूमि से निर्माण सामग्री लाते थे और अवैध निर्माण करते थे। इन अवैध इमारतों को वे मजार या दरगाह का नाम दे देते थे ताकि धार्मिक इमारत होने के चलते उनका अवैध निर्माण बचा रहे और उनका गैरकानूनी धंधा चलता रहे।

पिछले 4 दिनों के ध्वस्तीकरण अभियान के दौरान कई बाहुबलियों की रिहाइशी संपत्तियों को भी ढहाया गया है। इन बाहुबलियों में से एक का नाम सफर पांजरी है। पांजरी ने एंटी CAA -NRC प्रोटेस्ट के बहाने स्थानीय मुसलमानों को भड़काने का काम किया था। एक और बाहुबली जिसका घर बेट द्वारका में गिराया गया है उसका नाम हाजी गनी पिलानी है। उसका एक बेटा ड्रग्स तस्करी के आरोप में भारत की जेल में बंद है तो दूसरा बेटा पाकिस्तान में सलाखों के पीछे है।

द्वारका जिले के एसपी नीतीश पांडेय ने कहा, पहले भी अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान चलाए गए थे, लेकिन वे नाकाम साबित हुए। लोगों ने फिर से सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर लिया। इसकी एक वजह तो यह है कि यहां पर कई तरह के कानून लागू हैं। कोस्टल एरिया निर्माण कानून भी यहां लागू है, नगर निगम के नियम भी लागू होते हैं और इन दोनों के आपसी टकराव का फायदा अवैध कब्जा करने वाले उठाते हैं। पांडेय ने कहा कि इसीलिए इस बार प्रशासन ने व्यापक कार्य योजना बनाकर कार्रवाई की है।

बेट द्वारका की आबादी अभी 10 हजार के आस-पास है, जिसमें हिंदुओं की संख्या 1,000 से 1,500 के बीच है और मुसलमान बहुसंख्यक हैं। पहले बेट द्वारका में गिनती के लोग रहते थे क्योंकि समुद्र होने के चलते यहां पीने के पानी की दिकक्त थी और रोजगार के साधन भी नहीं थे। धीरे-धीरे मछुआरों ने यहां रहना शुरू किया, लेकिन मुसलमानों की बढ़ती आबादी के चलते बहुत से हिंदू बेट द्वारका छोड़कर चले गए।

बेट द्वारका मंदिर के मुख्य पुजारी ने कहा कि हर साल 5-10 हिंदू परिवार बेट द्वारका छोड़कर चले जाते हैं। उन्होंने कहा कि कोई अवैध कब्जे से परेशान होकर बेट द्वारका छोड़ देता है, तो कुछ लोग यहां की अवैध गतिविधियों से तंग आकर चले जाते हैं। सरकार के ध्वस्तीकरण अभियान से बेट द्वारका मंदिर के पुजारी बेहद खुश हैं।

कृष्ण की नगरी बेट द्वारका की डेमोग्राफी बिल्कुल बदल चुकी है। हिंदू परिवार धीरे-धीरे करके यहां से जा रहे हैं जबकि मुस्लिम आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है। बेट द्वारका न सिर्फ हिंदू तीर्थ स्थल के लिहाज से बल्कि सुरक्षा के हिसाब से भी बहुत संवेदनशील है। पाकिस्तान की तटरेखा यहां से काफी नजदीक है। ड्रग तस्करों और माफिया को यह इलाका सूट करता है क्योंकि बेट द्वारका के आस-पास के बहुत से टापू वीरान रहते हैं।

यह अच्छी बात है कि प्रशासन अब ऐक्शन में आया है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जब यहां अवैध कब्जे हो रहे थे, जानबूझ कर अवैध तरीके से दरगाह और मजारें बनाई जा रही थीं, तब किसी ने ध्यान क्यों नहीं दिया? इस सवाल का जवाब मिलना ज़रूरी है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 04 अक्टूबर, 2022 का पूरा एपिसोड

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