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Rajat Sharma’s Blog: अमित शाह ने ग़िले-शिकवे दूर कर कैसे मांगा जाटों का समर्थन

अमित शाह ने कहा, बीजेपी का जाट समुदाय के साथ पुराना रिश्ता है और इसे छोटी-मोटी बातों पर नहीं तोड़ा जा सकता।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: January 27, 2022 17:59 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

उत्तर प्रदेश से जुड़े एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को जाट नेताओं से मुलाकात की। इस दौरान हुई बातचीत में शाह ने विधानसभा चुनावों में बीजेपी के लिए जाट समुदाय का समर्थन मांगा।

जाट समुदाय की विभिन्न 'खाप पंचायतों' के करीब 253 नेताओं ने बुधवार को शाह से मुलाकात कर अपनी मांगें रखीं। जाट नेताओं की प्रमुख मांगों में जाटों के लिए नौकरी में आरक्षण,  चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न, गन्ना किसानों को बकाया रकम का तत्काल भुगतान और जेवर एयरपोर्ट का नाम जाट महाराजा के नाम पर रखना शामिल है। अमित शाह ने कहा, केंद्र सरकार जाटों की इच्छाओं का सम्मान करेगी और उन्हें उम्मीद है कि जाट बीजेपी को उसी तरह अपना समर्थन देते रहेंगे जैसे उन्होंने 2014, 2017 और 2019 के चुनावों में दिया था।

अमित शाह ने कहा, ‘बीजेपी का जाट समुदाय के साथ पुराना रिश्ता है और इसे छोटी-मोटी बातों पर नहीं तोड़ा जा सकता।’ शाह ने नेताओं से उनकी शिकायतों के बारे में पूछा और उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया। उन्होंने कहा, ‘जब-जब हमारी पार्टी ने जाटों का समर्थन मांगा, उन्होंने हमेशा हमारी मदद की। कुछ कमी भी रही तो भी जाट बीजेपी से दूर नहीं हुए। मैं भी जयंत चौधरी (RLD प्रमुख) को चाहता हूं, लेकिन उन्होंने घर गलत चुन लिया है। हालांकि (मेलजोल की) संभावनाएं कभी खत्म नहीं होतीं, भविष्य में कुछ भी हो सकता है।’

अमित शाह ने RLD प्रमुख जयंत चौधरी के बारे में सार्वजनिक रूप से इतना खुलकर कभी नहीं बोला था। जाट नेताओं के साथ बैठक बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के आवास पर हुई थी, और पश्चिमी यूपी के बीजेपी नेता संजीव बालियान की मदद से प्रवेश ने इसका आयोजन किया था।

मुलाकात के बाद बालियान आत्मविश्वास से भरे नजर आए। उन्होंने कहा, जाट मतदाता चुनाव से पहले भले ही बीजेपी से नाराज रहते हों, लेकिन वे वोट अंततः बीजेपी को ही देते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव RLD प्रमुख जयंत चौधरी के कंदे पर बंदूक रखकर अपने सियासी समीकरण साध रहे हैं। उन्होंने कहा, गठबंधन दोनों नेताओं के बीच हो सकता है, लेकिन जमीन पर इसका कोई असर नहीं है (दूसरे शब्दों में, पश्चिमी यूपी में मुसलमानों और जाटों के बीच पढ़ें)। बालियान ने कहा, चुनाव के बाद RLD के बीजेपी खेमे में शामिल होने की संभावना बन सकती है। उन्होंने इंडिया टीवी के रिपोर्टर से कहा, ‘राजनीति में कुछ भी हो सकता है।

पश्चिमी यूपी के जाट बेल्ट में खाप पंचायतों द्वारा लिए गए फैसलों को अंतिम माना जाता है, और ये फैसले अक्सर पार्टियों द्वारा लिए गए पॉलिटिकल स्टैंड पर भारी पड़ते हैं। यही वजह है कि खाप पंचायतों के प्रमुखों को बैठक में बुलाया गया था, जिसकी अध्यक्षता समुदाय के एक सम्मानित नेता चौधरी जयवीर सिंह ने की थी।

बैठक के बाद चौधरी जयवीर सिंह ने कहा, ‘हमें अखिलेश यादव से कोई दिक्कत नहीं है। एकमात्र समस्या यह है कि उनके शासन में गुंडागर्दी और लूटपाट की घटनाएं बढ़ जाती हैं, बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं रहतीं। इसीलिए जाट पहले बीजेपी का समर्थन करते थे। योगी के राज में हमारे घरों की महिलाएं बिना किसी दिक्कत के बाहर आती जाती हैं।

योगी आदित्यानाथ के विरोधी भी मानते है कि उनके राज में कानून और व्यवस्था मे सुधार हुआ है। अपराधियों में पुलिस का, कानून का खौफ है और आम लोग खुद को महफूज महसूस करते हैं। अगर एक वरिष्ठ जाट नेता योगी के शासन की तारीफ करता है तो यह बीजेपी के लिए काफी मायने रखता है, क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों की आबादी 17 पर्सेंट से ज्यादा है।

जाट पश्चिमी यूपी के 21 जिलों की 97 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करते हैं। मथुरा में करीब 40 फीसदी, बागपत में 30 फीसदी और सहारनपुर में 20 फीसदी आबादी जाटों की है। चूंकि पहले चरण का मतदान पश्चिमी यूपी में ही होने जा रहा है, इसलिए सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जाट किसका समर्थन करते हैं। बैठक के बाद नोएडा से जाट नेता गजेंद्र सिंह अत्री ने कहा कि जाटों को अब बीजेपी से कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने तो गृह मंत्री को ‘चौधरी अमित शाह’ तक कह दिया।

हिंदू-मुस्लिम, जाट बनाम गैर-जाट और जाति बिरादरी जैसे मुद्दे अब खास मायने नहीं रखते। जाट समुदाय के दिमाग में कानून-व्यवस्था सबसे ऊपर है। शाह की बैठक के बाद सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में RLD सुप्रीमो जयंत चौधरी शामिल थे। उन्होंने ट्वीट किया: ‘न्योता मुझे नहीं, उन 700 से ज्यादा किसान परिवारों को दो जिनके घर आपने उजाड़ दिए!’ RLD नेता मेराजुद्दीन ने शाह की खाप नेताओं के साथ मुलाकात को 'राजनीतिक स्टंट' करार दिया। उन्होंने कहा, ‘बीजेपी जाटों को पहले भी धोखा देती आई है और आगे भी धोखा देगी।’

ओबीसी नेता ओम प्रकाश राजभर, जिनका पश्चिमी यूपी में कोई जनाधार नहीं है, ने कहा: ‘इस तरह के दिखावे से कुछ नहीं होगा। जाटों को बीजेपी की असलियत समझ आ गई है। सिर्फ लॉलीपॉप देने से काम नहीं चलेगा।’ गुरुवार को अमित शाह ने जाट वोटरों को रिझाने के लिए मथुरा में घर-घर जाकर प्रचार किया।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश को लेकर बीजेपी की चिंता वाजिब है। इसके दो कारण हैं। पहला, अखिलेश यादव का जयंत चौधरी के साथ गठबंधन, और दूसरा, एक साल से ज्यादा चले किसान आंदोलन का प्रभाव। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट और मुसलमानों का वोट जीत हार तय करता है। अगर किसान आंदोलन का वोटरों के दिमाग पर असर हुआ, तो बीजेपी को नुकसान हो सकता है। इसकी वजह ये है कि आमतौर पर मुसलमनों का वोट बीजेपी को नहीं मिलता है। पिछले चुनाव में जाट बीजेपी के साथ लामबंद थे, तो बीजेपी ने पश्चिमी यूपी के 21 जिलों की 97 विधानसभा सीटों में से 82 सीटें जीती थी। समाजवादी पार्टी को सिर्फ 9 सीटें मिली थीं, जबकि बीएसपी 3 और कांग्रेस 2 सीटों पर सिमट गई थी।

जाट वोटों के महत्व के कारण ही बीजेपी नेतृत्व किसी भी कीमत पर जाटों को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकता। अमित शाह ने आगे बढ़कर पहल की, जाट नेताओं से बात की, उनकी नाराजगी दूर की, उन्हें जाटों और अपनी पार्टी के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों की याद दिलाई और उनकी सभी मांगों को पूरा करने का वादा किया।

यह एक काबिले तारीफ और ऐतिहासिक कदम था। इसलिए बैठक से बाहर निकले कुछ जाट नेताओं ने उन्हें 'चौधरी अमित शाह' कहा। उनमें से कुछ ने ‘अमित शाह जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए। कुछ लोग कह सकते हैं कि जो लोग बीजेपी नेता के घर से निकले, वे क्या समाजवादी पार्टी के नारे लगाते।

जाट महाराजा के नाम पर जेवर एयरपोर्ट का नाम रखने का वादा हो, या उन्हें आरक्षण देने का वादा हो, या फिर जाटों को सत्ता में उचित भागीदारी देने की बात हो, ये सब सियासी बातें हो सकती हैं, लेकिन सपा के शासन की योगी राज से तुलना में जाट नेता जो अपनी बहन-बेटियों की सुरक्षा की बात करते हैं, कानून व्यवस्था की बात करते हैं, उसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।

इन बातों का जमीन पर बड़ा असर हो सकता है। यह मुद्दा हर जाट परिवार से जुड़ा है और इसका निश्चित रूप से असर पड़ेगा। कानून-व्यवस्था इस बार पश्चिमी यूपी में सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 26 जनवरी, 2022 का पूरा एपिसोड

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