बांग्लादेश में अन्तरिम सरकार के गठन की कोशिशें जारी हैं, मुख्य सलाहकार अर्थशास्त्री मोहम्मद युनूस गुरुवार को ढाका पहुंचने वाले हैं। राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर दिया है, विपक्षी नेता बेगम खालिदा जिया और उनकी पार्टी के 254 नेताओं को जेल से रिहा कर दिया गया है, लेकिन पूरे देश में अभी भी अराजकता का माहौल है। सड़कों, थानों से पुलिसवाले गायब हैं। मंगलवार की रात ढाका के कई इलाकों में दंगाइयों ने लूटपाट और आगज़नी की। सेना के एक मेजर जनरल को बर्खास्त कर दिया गया है। बड़ी बात ये है कि बांग्लादेश में राष्ट्रपति ने हिंसक प्रदर्शन के आरोप में गिरफ्तार किए गए दंगाईयों को भी रिहा करने के आदेश भी दे दिए हैं। प्रदर्शनकारियों की ये बड़ी मांग थी जिसे बांग्लादेश की सेना की सलाह पर राष्ट्रपति ने मान लिया, लेकिन इसके बाद भी हालात बिगड़ रहे हैं।
अब चुन-चुनकर शेख हसीना के समर्थकों, उनकी पार्टी के नेताओं और हिन्दुओं को निशाना बनाया जा रहा है। शेख हसीना की पार्टी के जिला अध्यक्ष के फाइव स्टार होटल को जला दिया गया जिसमें 24 लोग जिंदा जल गए। बांग्लादेश क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मशरफे मुर्तजा का घर आग के हवाले कर दिया गया। कम से कम 34 मंदिरों पर हमला किया गया, 4 मंदिरों को जला दिया गया, 39 जिलों में हिन्दुओं के घरों में लूटपाट की गई। कई घरों में आग लगा दी गई। दो हिन्दू काउंसलर्स की हत्या कर दी गई। भारत सरकार ने इस बात पर सबसे ज्यादा चिंता जताई है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए बांग्लादेश की सेना के साथ सम्पर्क में हैं, सेना से कहा गया है कि वो जल्दी हालात को काबू में करें और बांग्लादेश में मौजूद भारतीय नागरिकों और बांग्लादेशी हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करें। इस वक़्त बांग्लादेश में लगभग 19 हज़ार भारतीय नागरिक रह रहे हैं, जिनमें से 9 हज़ार छात्र हैं। बांग्लादेश में रहने वाले ज़्यादातर भारतीय छात्र भारतीय उच्चायोग की सलाह पर जुलाई महीने में ही अपने देश लौट आए थे।
ये बात सही है कि भारत की इस वक्त दो चिंताएं हैं। पहली ये है कि बांग्लादेश में मौजूद भारतीयों और वहां रहने वाले हिन्दुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और दूसरी बात, बांग्लादेश से भारत आने वाले लोगों को रोकने की कोशिश करना, अपनी सीमाओं की सुरक्षा को मजबूत करना। सरकार का फोकस अभी इस बात पर नहीं है कि बांग्लादेश में जो हुआ उसके पीछे कौन है। सरकार को चिंता बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दुओं की सुरक्षा की है क्योंकि वहां हिंदुओं पर हमले शुरू हो गए हैं। पिछले 24 घंटों में बांग्लादेश के 39 ज़िलों से हिंदुओं के घरों, दुकानों, मंदिरों पर हमले किए गए, तोड़फोड़ करने और लूट-पाट के साथ आग लगाने की खबरें आई हैं।
ढाका और दूसरे बड़े शहर चट्टोग्राम के अलावा नरसिंहपुर, मेहरपुर, नरसिंगदी, खुलना, राजशाही और सिलहट में हिंदुओं पर हमला किया गया, दंगाइयों की भीड़ चुन-चुनकर हिंदुओं को निशाना बना रही है, उन्हें पीटा जा रहा है, उनकी हत्या हो रही है, हिंदुओं के मंदिरों पर हमले हुए हैं, कई जगह से मंदिरों को आग लगाने की ख़बरें आ रही हैं। असल में बांग्लादेश के ज़्यादातर हिंदू, शेख़ हसीना की अवामी लीग के समर्थक रहे हैं, इसलिए कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र शिबिर के कारकून हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं। पुलिस हिंदुओं पर हमले करने वालों को रोक पाने में नाकाम रही है। खुलना डिविज़न के मेहरपुर क़स्बे में दंगाइयों ने इस्कॉन मंदिर को निशाना बनाया। मूर्तियां तोड़ीं और फिर मंदिर में आग लगा दी।
ढाका में इस्कॉन टेंपल के निदेशक सुमोहन दास ने बताया कि उनको कई ज़िलों से मंदिरों पर हमले की ख़बर मिली है, हिन्दू महिलाओं को टारगेट किया जा रहा है। सुमोहन दास ने बताया कि बांग्लादेश में वैसे तो 1971 के बाद से हिंदू कभी भी सुरक्षित नहीं रहे, लेकिन, इस बार शेख़ हसीना के सत्ता से हटते ही मानो हिंदुओं पर क़यामत टूट पड़ी है। बांग्लादेश के नरसिंगदी ज़िले के एक काली मंदिर पर उपद्रवियों ने हमला कियास मंदिर में तोड़-फोड़ की। मौके पर पुलिस मौजूद थी लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। बांग्लादेश के दूसरे सबसे बड़े शहर चट्टोग्राम के हिंदूबहुल मुहल्ले हज़ारी गली में दंगाईयों की भीड़ घुस गई, कई मंदिरों पर पथराव किया गया, इसके बाद एक मंदिर के बाहर आग लगा दी गई। दंगाइयों ने चट्टोग्राम के हज़ारी गली मुहल्ले की ज्यादातर दुकानें लूट ली। बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी तकरीबन एक करोड़ 30 लाख है, जो कुल आबादी का करीब 8 प्रतिशत है। भारत विभाजन के बाद 1951 में बांग्लादेश में हिन्दुओं की आबादी 22 प्रतिशत थी।
लेकिन, कट्टरपंथियों के हमलों की वजह से एक करोड़ से ज्यादा हिंदू बांग्लादेश से भागकर भारत आ गए। अब एक बार फिर से ऐसा ही ख़तरा मंडरा रहा है। बांग्लादेश में बरीशाल डिवीज़न के फिरोज़पुर ज़िले में दंगाइयों ने हिंदू बस्ती पर हमला किया, हिन्दुओं के घरों पर पथराव हुआ, लूटपाट हुई और फिर कई घरों को आग के हवाले कर दिया गया। लोग जान बचाने के लिए अपने घर छोड़कर भागे। इसी तरह के तमाम वीडियो बांग्लादेश से आ रहे हैं। इसीलिए हिन्दुओं की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई जा रही है। योग गुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि बांग्लादेश में जिस तरह हिंदुओं के मंदिरों और घरों को निशाना बनाया जा रहा है, उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गंभीरता से लेना चाहिए। स्वामी रामदेव ने कहा कि भारत को पूरी ताकत से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे ज़ुल्म का विरोध करना चाहिए, उनकी हिफ़ाज़त के लिए ज़रूरी क़दम उठाने चाहिए।
RSS की अखिल भारतीय कार्य़कारिणी के सदस्य भैयाजी जोशी ने भी सरकार से अपील की है कि वो बांग्लादेश में हिंदुओं की हिफ़ाज़त के लिए ज़रूरी क़दम उठाए। भैयाजी जोशी ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले की जो ख़बरें आ रही हैं, वो चिंताजनक हैं। उन्हें उम्मीद है कि सरकार हिंदुओं की रक्षा के लिए क़दम ज़रूर उठाएगी। संघ की चिंता जायज़ है। स्वामी रामदेव की बात सही है कि बांग्लादेश में जो हालात है, उससे सतर्क रहने की जरूरत है। सबको एक साथ मिलकर बांग्लादेश के हिन्दुओं के लिए खड़े होने की जरूरत है क्योंकि बांग्लादेश में इस वक्त कानून और व्यवस्था पूरी तरह ठप हो चुकी है।
विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि बांग्लादेश में जिस तरह हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है, उससे ऐसा लगता है कि इसके पीछे पाकिस्तान की ISI हो सकती है। आलोक कुमार ने कहा कि भारत सरकार, बांग्लादेश में हिंदुओं की हिफ़ाज़त के लिए हर मुमकिन क़दम उठाए। बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री ने भी भारत सरकार से अपील की है कि वो बांग्लादेश के प्रताड़ित हिंदुओं की रक्षा के लिए ज़रूरी क़दम उठाए और जो हिन्दू बांग्लादेश से भारत आना चाहते हैं, हमारी सरकार उनके लिए दरवाजे खोल दे। बांग्लादेश में इस वक्त हिन्दू खौफ के साये में जी रहे हैं। कट्टरपंथी और जमात-ए-इस्लामी के समर्थक हिन्दुओं पर हमले कर रहे हैं, उनकी संपत्तियों को लूट रहे हैं, मंदिरों को आग लगा रहे हैं, हिन्दुओं की हत्या कर रहे हैं। जो तस्वीरें वहां से आ रही हैं वो वाकई परेशान करने वाली हैं।
मुसीबत ये है कि हिन्दू इस वक्त बांग्लादेश से भागकर भारत भी नहीं आ सकते क्योंकि हर तरफ सड़कों पर खून के प्यासे दंगाई घूम रहे हैं। अब वे लोग खामोश हैं जो पिछले एक साल से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध कर रहे थे। हालांकि सरकार ने बांग्लादेश के फौजी अफसरों से संपर्क किया है, डिप्लोमैटिक चैनल्स के जरिए हिन्दुओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है लेकिन मुश्किल ये है कि बांग्लादेश में फिलहाल न तो कोई सरकार है, पुलिस नाम की कोई चीज नहीं है। क्योंकि दंगाईयों ने तमाम पुलिस थाने फूंक डाले हैं। पुलिस वाले या तो खुद जान बचाकर भाग रहे हैं या फिर दंगाईयों की भीड़ में शामिल हो गए हैं। सेना के अफसरों को समझ नहीं आ रहा है कि वो करें तो क्या करें क्योंकि एक तरफ अंतरिम सरकार के गठन का रास्ता निकालना है, दूसरी तरफ कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी की मांगें भी सुननी है, जो उन अफसरों को हटाने की मांग कर रही है, जिन्हें शेख हसीना का करीबी माना जाता है। बहरहाल हमारे देश में लोगों की और सरकर की एक ही प्राथमिकता है, वहाँ रहने वाले हिन्दू भाई बहनों की जान कैसे बचाई जाए। (रजत शर्मा)
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