देश भर में हिन्दुओं की आबादी घटने और मुसलमानों की आबादी बढ़ने पर जमकर बहस हुई। असल में ये रिपोर्ट आई है कि देश में पिछले 65 साल के दौरान हिन्दुओं की आबादी आठ प्रतिशत कम हो गई है और मुसलमानों की आबादी 44 प्रतिशत बढ़ गई। इसके बाद बीजेपी के नेताओं ने आबादी के इस असंतुलन को कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीतियों का नतीजा बताया। बीजेपी के नेताओं ने इल्ज़ाम लगाया कि कांग्रेस आज़ादी के बाद से ही सनातन के ख़िलाफ़ रही है। इसी का नतीजा है कि देश में हिन्दू घट रहे हैं, मुसलमान बढ़ रहे हैं और अब कांग्रेस मुसलमानों को आरक्षण देने की बात कह रही है। लेकिन कांग्रेस ने इस रिपोर्ट को चुनाव के दौरान असली मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने की साज़िश बता दिया। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने कहा कि अभी तो इस तरह के और मुद्दे उछाले जाएंगे क्योंकि BJP को समझ आ गया कि चुनाव हाथ से निकल चुका है लेकिन अमित शाह ने कहा कि तीन चरणों में बीजेपी दो सौ के आंकड़े तक पहुंच गई है और बाकी चार चरणों में चार सौ पार हो जाएगी। असदुद्दीन ओवैसी ने अलग बात कही। उन्होंने कहा कि मुसलमानों पर आबादी बढ़ाने का इल्जाम सरासर गलत है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर अमित शाह और स्वर्गीय गुरूजी गोलवलकर के नाम लेकर उनके भाई बहनों की संख्या तक गिना दी। कहा, आबादी का मुद्दा और कुछ नहीं, बीजेपी की भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की साजिश का हिस्सा है।
जिस रिपोर्ट की चर्चा हो रही है, वह रिपोर्ट प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकर परिषद ने तैयार की है। ये रिपोर्ट 1950 से 2015 तक 65 साल के आंकड़ों का अध्ययन करके तैयार की गई है। इस रिपोर्ट में भारत के अलावा, पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, म्यांमार, मालदीव, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में आबादी में बदलाव का अध्ययन किया गया है। इस रिपोर्ट में सबसे बड़ी बात ये कही गई है कि 1950 से 2015 के बीच भारत में हिंदुओं की आबादी में क़रीब 8 % की गिरावट आई है, वहीं, मुस्लिम समुदाय की आबादी क़रीब 44 % बढ़ गई। 1950 में देश की कुल आबादी में हिंदू लगभग 85 % थे लेकिन 2015 में हिंदू 78 % ही रह गए। दूसरी तरफ 1950 में देश की कुल आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग 10 % थी जो 2015 में बढ़कर 14% हो गई, यानी आबादी में हिंदुओं का हिस्सा तो घट गया पर, मुसलमानों की आबादी बढ़ गई। इस रिपोर्ट में एक और खास बात ये है कि भारत में पिछले 65 साल में हिंदुओं को छोड़कर बाकी ज़्यादातर धर्मों की आबादी बढ़ी है। उसमें भी मुसलमानों की आबादी सबसे ज़्यादा बढ़ी है। 65 साल पहले देश में ईसाई लगभग 2.25 % थे, 2015 में अब ईसाईयों की जनसंख्या ढाई परसेंट से ज़्यादा हो गई। इसी तरह सिख समुदाय की आबादी 1.25 % से बढ़कर 1.85 % हो गई। बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या भी बढ़ी है। भारत में सिर्फ़ जैन और पारसी समुदायों की आबादी पिछले 65 साल में कम हुई है।
गौर करने वाली बात ये है कि सिर्फ़ भारत में ही नहीं, भारत के पड़ोसी देशों में भी हिंदुओं की आबादी कम हुई है, जैसे नेपाल और म्यांमार में, भूटान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में हिंदुओं की संख्या में जबरदस्त कमी आई है। इस रिपोर्ट को तैयार करने में शामिल अर्थशास्त्री प्रोफ़ेसर शमिका रवि ने कहा कि भारत के सारे पड़ोसी देशों में बहुसंख्यक आबादी बढ़ी है लेकिन भारत में उल्टा हुआ है। यहां बहुसंख्यकों की आबादी कम हुई है और अल्पसंख्यकों की जनसंख्या बढ़ी है। प्रोफ़ेसर शमिका रवि ने कहा कि इसके लिए धर्मान्तरण और घुसपैठ जैसे कई कारण हो सकते हैं। जैसे ही यह रिपोर्ट सार्वजनिक हुई, इस पर सियासत शुरू हो गई। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि अब साफ़ हो गया है कि पिछले साठ साल में कांग्रेस के राज में भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने की साज़िश रची जा रही थी। प्रियंका गांधी ने कहा कि बीजेपी वाले तो कुछ भी बकवास करते रहते हैं, ये कोई मुद्दा नहीं है। अमेठी में स्मृति ईरानी ने कहा कि इस रिपोर्ट ने कांग्रेस की नीतियों की पोल खोल दी है। अब देश को पता चल गया है कि कांग्रेस के राज में किस तरह हिंदुओं को सताया, दबाया गया। इसी का नतीजा है कि हिन्दुओं के देश में हिन्दुओं की संख्या घट रही है।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि 2021 की जनगणना अब तक हुई ही नहीं तो आबादी का ये आंकड़ा आया कहां से ? तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी ऐसे नक़ली मुद्दों में फंसाकर जनता को बेवक़ूफ़ बना रही है। विश्व हिन्दू परिषद के नेता सुरेंद्र जैन ने कहा कि आंकड़ों में तो मुस्लिम आबादी 44 % बढ़ी पर अगर घुसपैठियों को जोड़ दें, तो मुस्लिम आबादी इससे भी ज़्यादा बढ़ी है। आबादी बढ़ने के साथ साथ मुसलमानों में आक्रामकता बढ़ रही है और ये देश के लिए ख़तरनाक है। लेकिन असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि ये मुसलमानों का हौसला तोड़ने की साजिश है। ओवैसी ने कहा कि मुल्क में जो हिन्दू-मुसलमान हो रहा है, वो कोई नई बात नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके चेले-चपाटे रोज़ हिन्दुओं को डराते हैं कि मुसलमानों की आबादी बढ़ रही है। ओवैसी ने कहा कि अगर बीजेपी को नहीं रोका गया तो वो दिन दूर नहीं जब भारत एक हिंदू राष्ट्र बन जाएगा। चूंकि चुनाव का वक्त है इसलिए आबादी में असंतुलन की इस रिपोर्ट के तथ्यों पर बात होने के बजाय सियासी बयानबाज़ी हो रही है। इसका असर चुनाव में भी होगा लेकिन ये मुद्दा वाक़ई गंभीर है।
भारत जैसे विविधताओं वाले देश में जहां हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी और दूसरे समुदाय मिल जुलकर रहते हैं, मिली-जुली आबादी है, वहां जनसंख्या का असंतुलन होने से बहुत सारी समस्याएं पैदा होती हैं। समाज का ताना-बाना टूटता है। संसाधनों पर कब्जे की लड़ाई शुरू होती है और इस तरह की समस्याएं उन इलाकों में ज्यादा देखी गई हैं जहां आबादी का अनुपात बिगड़ गया। असम और केरल इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। पश्चिम बंगाल के कुछ इलाके, पूर्वी उत्तर प्रदेश , बिहार में सीमांचल, राजस्थान में भरतपुर और हरियाणा में नूंह का क्षेत्र, जहां जहां आबादी में असंतुलन हुआ, वहां से अक्सर लड़ाई, दंगे और सांप्रदायिक तनाव की खबरें आती हैं। ये कोई सिर्फ भारत की बात नहीं है, दुनिया में ऐसे कई देश हैं, जो इस समस्या से जूझ रहे हैं । इसलिए हमें भी सावधान रहने की ज़रूरत है। आज जिस रिपोर्ट का जिक्र हमारे देश में हो रहा है, उसी तरह की रिपोर्ट दुनिया के कुछ समाजशास्त्रियों ने जारी की है जिसमें कहा गया है कि अगर इसी रफ्तार से मुसलमानों की आबादी बढ़ती रही तो 2060 तक दुनिया में मुसलमानों की आबादी ईसाइयों से ज्यादा हो जाएगी। अगर इसी रफ्तार से मुसलमानों की आबादी बढ़ती रही, तो 2070 तक भारत दुनिया में सबसे ज्यादा मुसलमानों की आबादी वाला देश बन जाएगा। चूंकि कांग्रेस के नेता कह चुके हैं कि देश के संसाधनों पर पहल हक़ मुसलमानों का है, विरोधी दलों के नेता मुस्लिम आरक्षण का वादा कर रहे हैं, इसलिए ज़ाहिर है कि इस मुद्दे को चुनाव से जोड़ा जाएगा और कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से सवाल पूछे जाएंगे। (रजत शर्मा)
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