बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार कोई नई बात नहीं है। इस तरह की खबरें अक्सर आती रहती हैं, लेकिन इस बार हिन्दुओं पर साज़िश के तहत सुनियोजित हमले हो रहे हैं। बांग्लादेश से हिन्दुओं को खत्म करने की साजिश हो रही है और बहाना बनाया जा रहा है कि शेख हसीना के तख्ता पलट का। चूंकि बांग्लादेश में ज्यादातर हिन्दू आबादी शेख हसीना की पार्टी के समर्थक हैं, क्योंकि शेख हसीना कट्टरपंथ के खिलाफ है, हिन्दुओं को बराबरी का हक देने की बात कहती हैं, ये बात कट्टरपंथियों को अच्छी नहीं लगती। इसीलिए जैसे ही शेख हसीना ने देश छोड़ा,तो कट्टरपंथियों ने हिन्दुओं को चुन-चुनकर निशाना बनाना शुरू कर दिया। बांग्लादेश में हिन्दुओं के कत्लेआम की तस्वीरों ने पूरी दुनिया को चौंका दिया, देखने वालों के रोंगटे खड़े हो गए। हिन्दुओं के इस नरसंहार के खिलाफ पूरी दुनिया में प्रदर्शन हुए। वाशिंगटन, टोरंटो, मॉंट्रियल, लंदन और कई अन्य शहरों में हिन्दुओं ने न्याय की मांग करते हुए प्रदर्शन किए। पहली बार बांग्लादेश के नाराज हिन्दू एकजुट होकर लाखों की संख्या में सड़कों पर उतरे। इस वक्त भी ढाका की सड़कों पर हजारों प्रदर्शनकारी बैठे हैं। ये सब हिन्दुओं पर हुए जुल्म से आहत हैं, इंसाफ की मांग कर रहे हैं, आपराधियों को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे हैं। ढाका, चट्टोग्राम, राजशाही, खुलना, सिलहट, बरीशाल, मैमनसिंह, नारायणगंज और जैसोर में बेगुनाह हिन्दुओं के घरों, दुकानों और मंदिरों पर हमले हुए, ये लोग उसका विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हुए।
बांग्लादेश की अन्तरिम सरकार में गृह मामलों के सलाहकार रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद सखावत हुसैन ने हिन्दुओं से हाथ जोड़कर माफी मांगी। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की सरकार, पुलिस, प्रशासन और सेना हिन्दुओं की रक्षा करने में नाकाम रही, इसके लिए वह हिन्दुओं से माफी मांगते हैं। सखावत हुसैन ने कहा कि सरकार पूरी कोशिश करेगी कि हिन्दुओं पर हो रहे हमलों को रोका जाए क्योंकि इससे पूरी दुनिया में बांग्लादेश की छवि खराब हुई है। अंतरिम सरकार के प्रधान सलाहकार मोहम्मद युनूस मंगलवार को ढाका के सुप्रसिद्ध ढाकेश्वरी मंदिर पहुंचे और हिन्दू नेताओं से बात की। इधर, हिन्दुओं ने भी एलान कर दिया है कि बांग्लादेश उनका भी मुल्क है, इस मुल्क के लिए हिन्दुओं ने भी कुर्बानियां दी है, इसलिए हिन्दू इस्लामी कट्टरपंथियों से डरकर भागेंगे नहीं, देश छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे, अपने हक के लिए लड़ेंगे या फिर बांग्लादेश में ही मर जाएंगे। राहत की बात ये है कि बांग्लादेश में अब पुलिस काम पर लौट आई है। जो पुलिसवाले थाने पर भीड़ के हमलों के कारण भाग गए थे, वे सेना की मदद के लिए ड्यूटी पर लौट आए हैं। लेकिन बांग्लादेश के हिन्दुओं के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि शेख हसीना ने इतनी जल्दी हार कैसे मान ली? उन्होंने अपने विरोधियों को काउंटर क्यों नहीं किया?
बांग्लादेश के कुछ जानकारों से मेरी बात हुई। उन्होंने बताया कि छात्र आंदोलन पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और जमात-ए-इस्लामी ने कब्जा कर लिया था। बाहर के मुल्कों से हसीना विरोधी यू-ट्यूबर्स ने झूठी सूचनाओं का कैंपेन इतनी तेजी से चलाया कि बात हाथ से निकल गई। हसीना सरकार समझ ही नहीं पाई कि इसे कैसे हैंडल करें। दूसरी बात इन जानकारों ने बताई कि हसीना ने सबसे बड़ी गलती ये कि कि उन्होंने थल सेनाध्यक्ष को अपना समझा और उनपर पूरी तरह भरोसा किया। जिस दिन हसीना ने इस्तीफा दिया, उससे एक दिन पहले रविवार को, अवामी लीग ने ढाका में 25 लाख लोगों को इकट्ठा करने का प्लान बनाया था। ये शक्ति प्रदर्शन हो सकता था और शेख हसीना को एक बार फिर ‘आयरन लेडी’ साबित कर देता। पर शुक्रवार को थल सेनाध्यक्ष जनरल वकार उज़-ज़मां पीएम हाउस पहुंचे। उन्होंने हसीना को सलाह दी कि वह दूसरे शहरों से अपने समर्थकों को ढाका न बुलाएं। आर्मी चीफ ने तर्क दिया कि अगर आपने अपने समर्थकों को बुलाया तो BNP और जमात-ए-इस्लामी के लोगों को सेना नहीं रोक पाएगी। उन्होंने कहा कि अभी मैंने उन लोगों को शहर में घुसने से रोका हुआ है। पर इन्हीं जानकारों का कहना है कि आर्मी चीफ ने शेख हसीना को डबल क्रॉस किया। जब उन पर यकीन करके शेख हसीना ने अपनी रैली कैंसिल कर दी, उसके बाद सेना ने जमात-ए-इस्लामी के लोगों को शहर में एंट्री दे दी।
सोमवार को सुबह-सुबह आर्मी चीफ ने हसीना को सूचना दी कि एयरपोर्ट के पीछे की तरफ से हजारों BNP और जमात-ए-इस्लामी के लोग शहर में प्रवेश कर गए हैं। थोड़ी देर बाद वो फिर पीएम हाउस आए और हसीना से कहा कि जितनी जल्दी वो ढाका छोड़ दें, उनके लिए बेहतर होगा। अवामी लीग के लोगों को लगता है कि आर्मी चीफ ने उनकी नेता को धोखा दिया। जो कहा, उसका बिलकुल उल्टा किया। इसीलिए नई सरकार बनने के बाद बाकी सबको हटा दिया गया, पर आर्मी चीफ अभी भी अपनी जगह बने हुए हैं। (रजत शर्मा)
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