Thursday, January 09, 2025
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Rajat Sharma’s Blog | G-20 शिखर सम्मेलन : मोदी का विज़न

अगर भारत को ग्लोबल लीडर बनना है, तो G-20 बड़ा ज़रिया हो सकता है क्योंकि दुनिया की GDP में 80 परसेंट भागीदारी G-20 में शामिल देशों की है, दुनिया का 75 परसेंट अन्तरराष्ट्रीय व्यापार G-20 देशों के बीच होता है. दुनिया की दो तिहाई आबादी G-20 देशों में रहती है और दुनिया का 60 परसेंट भौगोलिक क्षेत्र G-20 का देशों का है.

Written By: Rajat Sharma
Published : Sep 09, 2023 16:49 IST, Updated : Sep 09, 2023 16:49 IST
इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।
Image Source : इंडिया टीवी इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

G-20 शिखर सम्मेलन आज दिल्ली के भारत मंडपम कन्वेन्शन सेंटर में शुरू हो गया. सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफ्रीकन यूनियन को G-20 में बतौर सदस्य शामिल करने की घोषणा की. आज जब प्रधानमंत्री भाषण दे रहे थे, उस समय मंच पर इंडिया की बजाय भारत लिखा हुआ था. इससे पहले G-20 शिखर सम्मेलन 18 देशों में हो चुका है लेकिन भारत में पहली बार हो रहा है और किसी भी देश ने इसको इतने बड़े पैमाने का आयोजन नहीं बनाया जितना बड़े स्केल पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे पहुंचा दिया. कुछ लोग ये पूछ सकते हैं , इससे क्या फायदा? भारत को इससे क्या मिलेगा? उन लोगों को समझना चाहिए कि अगर भारत को ग्लोबल लीडर बनना है, तो G-20 बड़ा ज़रिया हो सकता है क्योंकि दुनिया की GDP में 80 परसेंट भागीदारी  G-20 में शामिल देशों की है, दुनिया का 75 परसेंट अन्तरराष्ट्रीय व्यापार G-20 देशों के बीच होता है. दुनिया की दो तिहाई आबादी G-20 देशों में रहती है और दुनिया का  60 परसेंट भौगोलिक क्षेत्र G-20 का देशों का है. सोचिए, ये कितना बड़ा मंच है. इसीलिए मोदी ने G-20 के महत्व को समझा, इसके सदस्य देशों को समझाया  और इस मंच को दुनिया का सबसे बड़ा मंच बनाने की दिशा में आगे बढ़े. 

इससे पहले G-20 की बैठकें जिन देशों में होती थी, वहां नेताओं के भाषण होते थे, कुछ प्रस्ताव पास होते थे और बैठक खत्म होती थी, लेकिन मोदी ने इसे जनता से जोड़ा, आम लोगों की भागीदारी इसमें बढ़ाई. पिछले साल दिसंबर में G-20 की अध्यक्षता भारत को मिली, तब से लेकर अब तक हमारे देश में G-20 की अलग-अलग 220 बैठकें हो चुकीं. सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में तीन सौ सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, इनमें पूरे देश के 18 हजार कलाकारों ने हिस्सा लिया. दुनिया भर के एक लाख से ज्यादा प्रतिनिधि इनमें शामिल हुए. हमारे देश के डेढ़ करोड़ लोग किसी ने किसी रूप में इन कार्यक्रमों का हिस्सा बने. मतलब मोदी ने उस मंच को,जो पहले सिर्फ राष्ट्राध्यक्षों का मंच था, उसे सदस्यों देशों के लिए पब्लिक टू पब्लिक कॉन्टैक्ट का मंच बना दिया. ये बड़ी बात है, इससे बिजनेस बढ़ेगा, टूरिज्म बढ़ेगा, रोजगार बढ़ेगा और मोदी ने G-20 की जो थीम रखी है - वन अर्थ, वन फेमिली, वन फ्यूचर, उसके लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी. पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने भी इसकी तारीफ की है. मनमोहन सिंह ने कहा है कि उन्हें अपने जीवन में G20 सम्मिट भारत में होते देखकर तसल्ली है और उन्हें भारत के सुनहरे भविष्य को लेकर पूरा भरोसा है. डॉक्टर मनमोहन सिंह कांग्रेस के नेता सबसे बुजुर्ग, सबसे अनुभवी नेता हैं, इसलिए मनमोहन के लफ्ज़ मायने रखते हैं, लेकिन राहुल गांधी इस सबसे बहुत ख़ुश नहीं हैं. 

राहुल इस वक्त बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में हैं. उन्होंने वहां प्रेस कॉन्फ्रेंस की, मोदी सरकार पर तमाम आरोप लगाए. कहा, भारत में लोकतन्त्र खतरे में हैं.अल्पसंख्यकों और छोटी जातियों के लोग सुरक्षित नहीं हैं. बेरोजगारी चरम पर है. राहुल जो यहां कहते हैं वही ब्रसेल्स में कहा, लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि जब भारत में G-20 शिखर बैठक हो रही है, उस वक्त राहुल ने ब्रसेल्स में चीन की तारीफ की. कहा, चीन दुनिया में मैन्युफैक्चरिंग का लीडर बना हुआ है, चीन ने BRI का कॉन्सैप्ट दिया, ये सब भारत में भी होना चाहिए लेकिन भारत के पास अभी उस तरह का विज़न नहीं है. राहुल गांधी यूरोप में जाकर कर ये कह रहे हैं कि भारत के पास फ्यूचर का विजन नहीं है. चीन की प्लानिंग और विजन राहुल को अच्छा लग रहा है लेकिन अब अगर कोई राहुल के विजन , उनकी सोच पर सवाल उठाए तो उन्हें बुरा लगेगा. क्या ये सोच ठीक है कि जिस वक्त पूरी दुनिया की निगाह भारत पर हो, जिस वक्त दुनिया के बड़े बड़े देशों के राष्ट्राध्यक्ष दिल्ली में हों, जिस वक्त पूरी दुनिया में G-20 सम्मिट की चर्चा हो, उस वक्त भारत की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का सबसे प्रभावशाली  नेता यूरोप में बैठकर भारत की कमियां गिनाए? भारत को कोसे? भारत को नीचा दिखाने की कोशिश करे? क्या ये ठीक सोच है? जब दिल्ली में G-20 सम्मिट हो रही है, ठीक उसी वक्त राहुल का यूरोप जाना, ये इत्तेफाक तो नहीं हो सकता. ये तो सोच समझ कर, रणनीति के तहत तय किया गया होगा. क्या ये रणनीति सही है? देश के हित में है? ये सब राहुल गांधी तो न सोचेंगे और न समझेंगे लेकिन कम से कम कांग्रेस के नेताओं को तो सोचना चाहिए. (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 08 सितंबर, 2023 का पूरा एपिसोड

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