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Rajat Sharma Blog: किसान आंदोलन: क्या इसके पीछे सियासी मक़सद है?

शंभू बॉर्डर पर दो हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। पुलिस के साथ साथ पैरामिलिट्री फोर्सेज को भी तैनात किया गया है। हालांकि सरकार ने किसान नेताओं से दो दौर की बात की है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated on: February 14, 2024 16:40 IST
Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Farmers Movement- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर एन चीफ रजत शर्मा

हरियाणा-पंजाब सीमा पर कई हज़ार किसान तकरीबन एक हज़ार ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर दो दिन से डेरा डाले हुए हैं। वे सभी दिल्ली जाना चाहते हैं। मंगलवार को पुलिस ने उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े, रबड़ गोलियां चलाई और पानी की बौछारें डालीं। किसानों ने ट्रैक्टर लेकर बैरीकेड तोड़ने की कोशिश की। झड़प में दोनों तरफ से दर्जनों घायल हुए। दिल्ली के चारों बॉर्डर सील हो चुके हैं। पंजाब-हरियाणा के बॉर्डर पर जबरदस्त टेंशन है। शंभू बॉर्डर पर किसानों ने पथराव किया जिसके कारण करीब दो दर्जन लोग घायल हुए। 

पुलिस की तरफ से भी आंसू गैल के गोले छोड़े गए। शंभू बॉर्डर पर दो हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। पुलिस के साथ साथ पैरामिलिट्री फोर्सेज को भी तैनात किया गया है। हालांकि सरकार ने किसान नेताओं से दो दौर की बात की है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। किसान संगठन चाहते हैं कि सरकार तुरंत MSP गांरटी कानून लागू करे, किसान मजदूरों को पेंशन दी जाए, किसानों का सारा कर्ज तुंरत माफ किया जाए और सरकार विश्व व्यापार संगठन से बाहर आ जाय, पिछली बार आंदोलन के दौरान जिन किसानों के खिलाफ केस दर्ज हुए वो सब वापस लिए जाएं।

इस तरह की करीब बारह मांगे हैं। सरकार ने किसानों की कुछ मांगे मान लीं, बाकी मांगों पर विचार के लिए कुछ वक्त मांगा लेकिन किसान वक्त देने को तैयार नहीं हैं। किसान किसी भी कीमत पर दिल्ली को घेरने पर आमादा हैं लेकिन सरकार ये नहीं होने देना चाहती। बस यही तकरार है। पंजाब हरिय़ाणा हाईकोर्ट ने सरकार से कहा कि किसानों के साथ सख्ती आखिरी विकल्प होना चाहिए और किसानों से कहा कि उन्हें सरकार के साथ बातचीत करके कोई रास्ता निकालना चाहिए।

हालांकि किसान कह रहे हैं कि उनका आंदोलन शान्तिपूर्ण है, लेकिन सड़कों पर जो हो रहा है, वो हिंसा है। अब सवाल ये है कि किसानों को कौन भड़का रहा है? क्या किसान आंदोलन के पीछे सियासत है? ये सवाल इसलिए पूछे जा रहे हैं क्योंकि  मंगलवार को जैसे ही किसानों ने उग्र रूप दिखाया, उसके तुंरत बाद राहुल गांधी, अखिलेश यादव, भूपेन्द्र हुड्डा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, बृंदा करात से लेकर असदुद्दीन ओवैसी तक, सबने किसानों के कंधे पर बंदूक ऱखकर सरकार पर निशाना साधा।

हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने गुप्तचर विभाग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि किसानों के पास डेढ़ हजार से ज्यादा ट्रैक्टर हैं जिनमें कम से कम आठ महीनों का राशन पानी हैं, टेंट्स है, रजाई, गद्दे हैं। किसान बात करके, आंदोलन करके, वापस जाने के मूड में नहीं हैं। अगर प्रदर्शनकारी दिल्ली तक पहुंच गए तो फिर वैसे ही महीनों तक जमे रहेंगे जैसे पिछली बार रास्ता बंद करके उन्होंने दिल्ली के बॉर्डर बंद कर दिए थे।

इसीलिए सरकार की कोशिश है कि प्रदर्शनकारियों को दिल्ली पहुंचने से रोका जाए। इसीलिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और अर्जुन मुंडा ने चंड़ीगढ़ जाकर किसान नेताओं से बात की। सरकार ने भी तैयारी पूरी की है। अगर किसी तरह किसान हरियाणा से होते हुए दिल्ली के आसपास पहुंच भी गए तो दिल्ली में न घुस पाएं इसके लिए भी इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली के टीकरी बॉर्डर, सिंघू बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर को सील किया गया है।

पिछली बार किसान आंदोलन के दौरान भारत किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने गाज़ीपुर बॉर्डर पर ही खूंटा गाड़ा था, इसलिए इस बार पुलिस किसी तरह के चांस नहीं लेना चाहती। यूपी के किसान नेता राकेश टिकैत तो थोड़ा संयम दिखा रहे हैं लेकिन उनके बड़े भाई भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने अगर किसानों के साथ सख्ती की, तो हालात और ज्यादा बिगड़ेंगे, सरकार को वो वादे पूरे करने ही होंगे जो पिछले आंदोलन के वक्त किए गए थे।

राकेश टिकैत तो किसान नेता हैं, इसलिए उनका बोलना बनता है लेकिन अचानक कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और लैफ्ट के नेता सक्रिय हुए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर भूपेन्द्र हुड्डा, दीपेन्द्र हुड्डा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और पवन खेड़ा तक सारे नेता बोलने लगे। राहुल गांधी ने ट्विटर पर लिखा कि किसान भाइयों आज ऐतिहासिक दिन है, किसान अन्नदाता है, आप दिल्ली आ रहे हो, हम आपके साथ हैं।

राहुल गांधी ने लिखा कि कांग्रेस की पहली गारंटी है किसानों को उनका हक देना, कांग्रेस किसानों को MSP की गारंटी देगी, चूंकि राहुल की न्याय यात्रा आजकल छत्तीसगढ़ में है इसलिए अंबिकापुर में राहुल गांधी ने कहा मोदी सरकार किसानों के साथ अन्याय कर रही है, कांग्रेस ही किसानों के साथ न्याय कर सकती है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव जीतने के लिए मोदी ने किसानों से बढ़-चढ़कर वादे किए थे, लेकिन वादे पूरे नहीं हुए तो नतीजा भी मोदी को भुगतना पड़ेगा। 

किसानों के आंदोलन से लैफ्ट के नेता भी खुश हैं। सीपीएम नेता बृंदा करात ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर जो हुआ वो सिर्फ ट्रेलर था, असली पिक्चर तो 16 फरवरी के बाद दिखेगी। हैदराबाद में बैठे AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि किसान आंदोलन मोदी सरकार की नाकामी का नतीजा है, सरकार किसानों के साथ ऐसा सलूक कर रही है, मानों वो किसी दूसरे देश के घुसपैठिए हों।

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि किसान अपनी मांगों में नए-नए मुद्दे जोड़ते जा रहे हैं, फिर भी सरकार सभी मसलों पर बात करने को तैयार है, इसलिए किसानों को भी शांति से काम लेना चाहिए। इस पूरे मामले में एक तीसरा पक्ष भी है जिनकी बात कहीं सुनाई नहीं दे रही। ये पक्ष है, आम लोगों का। किसान आंदोलन की वजह से लाखों लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के व्यापारी बहुत परेशान हैं।

आंदोलन की वजह से रास्ते बंद हैं, इंटरनेट पर पाबंदी लगी है, कारोबार ठप हो रहा है। किसान अपनी मांग उठाएं, विरोध करें, इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन इसके पीछे मंशा क्या है, ये देखने की जरूरत है। क्या मंशा वाकई में किसानों की भलाई है? गरीब किसान को फायदा पहुंचाने के लिए है? या इस आंदोलन का मकसद चुनाव से पहले मोदी सरकार को बदनाम करना है?

पिछली बार भी किसान नेताओं ने चुनाव से पहले दिल्ली में धरना दिया था, कई महीनों तक माहौल बनाया था, लेकिन उसका जनता के दिलोदिमाग पर कोई असर नहीं हुआ। उनकी अपेक्षाओं के बावजूद मोदी ने चुनाव जीता। इस बार जो लोग आंदोलन की अगुआई कर रहे हैं, उनमें ज्यादातर लोग सियासी मकसद से आए हैं। पिछले दो दिन से सरकार के तीन मंत्री लगातार उनसे बात कर रहे हैं लेकिन किसान नेता रोज नई मांग रख देते हैं और ऐसी मांगें रख रहे हैं जो बातचीत की मेज पर बैठकर तुरंत नहीं मानी जा सकती।

किसान कह रहे हैं कि सरकार WTO एग्रीमेंट से बाहर आ जाएं। अब क्या इस मांग को चंड़ीगढ़ में बैठे मंत्री पूरा कर सकते हैं? किसान नेता कहते हैं कि पूरे देश के किसानों का कर्ज तुंरत माफ किया जाए। क्या इस मांग को पूरा करने का भरोसा मंत्री तुंरत दे सकते हैं? इसीलिए ऐसा लग रहा है कि किसान नेता दिल्ली को घेरने का मन बनाकर और तैयारी करके ही निकले हैं  और ये आज प्रोटेस्ट के वक्त दिखाई भी दिया। इस बार ज्यादातर किसान नेता पंजाब के हैं और ये सुनने में आया है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार इनको पूरी तरह हवा दे रही है। (रजत शर्मा) 

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 13 फरवरी, 2024 का पूरा एपिसोड

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