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Rajat Sharma’s Blog: क्या 4 दिसंबर के बाद किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा?

पंजाब के किसान नेताओं ने साफ-साफ कहा कि वे संयुक्त किसान मोर्चे को तोड़ेंगे नहीं लेकिन उन्हें यकीन है कि चार दिसंबर को ये तय हो जाएगा कि किसान कब अपने घरों को वापस लौटेंगे।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: December 01, 2021 15:56 IST
India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

किसान संगठन के नेताओं की तरफ से पहली बार इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि पिछले एक साल से ज्यादा लंबे अर्से से चल रहा उनका आंदोलन जल्द ही खत्म हो सकता है। पंजाब के 32 किसान जत्थों के एक बड़े ग्रुप ने मंगलवार की शाम को कहा कि उनकी ज्यादातर मांगों को सरकार ने मान लिया है और अब आंदोलन को वापस लेने पर समझौता हो सकता है। मंगलवार को दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर कुंडली में पंजाब के 32 जत्थों की मीटिंग में तय किया गया कि पंजाब के किसान नेताओं की तरफ से इस आशय का प्रस्ताव संयुक्त किसान मोर्चे की मीटिंग में रखा जाएगा। यह मीटिंग चार दिसंबर को होगी और इसमें आंदोलन को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा।

 
पंजाब के किसान नेताओं ने मंगलवार को तीन बड़ी बातों का ऐलान किया। पहला, केंद्र सरकार ने एमएसपी पर कमेटी बनाने के लिए उनसे पांच नाम मांगे हैं, यह कमेटी एमएसपी पर बिल तैयार करेगी। किसान नेता इसे पॉजिटिव कदम मानते हैं। दूसरी बड़ी बात ये है कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज किए गए केस वापस लेने का निर्देश दे दिया है। तीसरी बात, पंजाब के 32 किसान जत्थों की ओर से यह कहा गया है कि जब तीनों कानूनों को वापस ले लिया गया है और किसानों की ज्यादातर मांगें मान ली गई हैं तो फिर धरने पर बैठे रहने का कोई मतलब नहीं रह जाता। हालांकि, अभी अंतिम फैसला नहीं हुआ है और ये लोग 4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चे की मीटिंग में अपना प्रस्ताव रखेंगे साथ ही बाकी राज्यों के किसान नेताओं को इस बात के लिए राजी करने की कोशिश करेंगे ताकि आंदोलन खत्म करने का रास्ता निकाला जा सके। पंजाब के इन बड़े किसान नेताओं ने साफ-साफ कहा कि वे संयुक्त किसान मोर्चे को तोड़ेंगे नहीं लेकिन उन्हें यकीन है कि चार दिसंबर को ये तय हो जाएगा कि किसान कब अपने घरों को वापस लौटेंगे।
 
संयुक्त किसान मोर्चे की तरफ से देर रात जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय से उनका कोई औपचारिक संवाद नहीं हुआ है। विज्ञप्ति के मुताबिक कृषि मंत्रालय ने पंजाब के एक किसान नेता से फोन पर संपर्क कर एमएसपी पर प्रधानमंत्री की ओर से प्रस्तावित पैनल के गठन के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के पांच प्रतिनिधियों का नाम मांगा हैं। संयुक्त किसान मोर्चे ने कहा कि इस संबंध में लिखित सूचना मिलने के बाद ही मोर्चे की तरफ से आगे की कार्रवाई की जाएगी। 
 
केंद्र ने जिस किसान नेता से संपर्क किया वह डॉ. सतनाम सिंह अजनाला हैं। अजनाला पंजाब के बड़े किसान नेता हैं और जम्हूरी किसान सभा के अध्यक्ष हैं। उन्होंने जत्थों को एमएसपी पर सरकार की कमेटी को लेकर सारी बातें विस्तार से बताई। सतनाम सिंह ने बताया कि एमएसपी पर कमेटी के लिए सरकार ने जो पांच नाम मांगे हैं उनपर लंबी चर्चा हुई और  पंजाब के बड़े किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल के नाम पर सहमति करीब-करीब बन गई है। बैठक में देवेंद्र शर्मा, सुच्चा सिंह गिल और रंजीत सिंह घुम्मन जैसे कृषि विशेषज्ञों के नामों पर भी चर्चा हुई। उन्होंने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को वापस लेने की सलाह दी है। हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की सरकारों ने केस वापस लेने का भरोसा भी दिया है। वहीं हरियाणा के किसान नेता इस मुद्दे पर सीएम मनोहरलाल खट्टर से मुलाकात करेंगे। 
 
पंजाब के जिन 32 जत्थों की मीटिंग हुई उनमें दोआबा किसान कमेटी के जंगवीर सिंह भी शामिल हुए। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब कृषि मंत्री तरफ से अगर संसद में यह आश्वासन मिल जाए कि एमएसपी पर गारंटी कानून की रूपरेखा क्या है, उसकी शर्तें क्या हैं और क्या टाइम फ्रेम होगा, तो बात आगे बढ़ेगी। उन्होंने कहा, कृषि मंत्रालय का फोन तब आया जब 32 जत्थों की बैठक चल रही थी। यह बात गौर करने लायक है कि सोमवार को जब जत्थों के नेताओं की संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ मुलाकात हुई थी तब पंजाब के 32 जत्थों के किसान संगठनों ने साफ-साफ पूछा था कि आगे की दशा और दिशा कैसे तय होगी? आंदोलन कब तक चलता रहेगा? जब संसद में तीनों कानूनों की औपचारिक तौर पर वापसी हो गई है तो फिर धरने पर बने रहने का क्या औचित्य है? इसपर संयुक्त किसान मोर्चे के दूसरे नेताओं ने एमएसपी का मुद्दा उठाया और कहा कि अभी एमएसपी समेत अन्य मांगें बाकी हैं इसलिए संघर्ष करना होगा। फिर ये बात कही गई कि अब सरकार को डिमांड लिस्ट सौंप दी गई है और जब जवाब आएगा तो आगे की रणनीति तय करेंगे। 
 
असल में किसान नेताओं के रुख में बदलाव तो उसी दिन से दिखने लगा था जब गुरु पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया था। पीएम मोदी ने किसान नेताओं से कहा था कि अब सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले रही है, इसलिए किसान भाई आंदोलन खत्म करें और अपने घर जाएं। इस फैसले पर दो तरह के रिएक्शन दिखाई दिए। सिंघु ब़ॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। कई किसान नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा था कि हमारी मांग पूरी हो गई। और फिर यही बात धीरे-धीरे संयुक्त किसान मोर्चे की बैठकों में भी उठती रही। लेकिन वहीं गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे और पश्चिमी यूपी के किसानों का प्रतिनिधित्व करनेवाले राकेश टिकैत बार-बार कहते रहे कि आंदोलन आगे बढ़ेगा।
 
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत कहते रहे हैं कि एमएसपी पर पहले भी कितनी कमेटी बनी लेकिन कुछ हुआ नहीं, कोई नतीजा नहीं निकला। लेकिन पंजाब के किसान नेताओं के साथ जब उनकी मीटिंग हुई और उनसे कहा गया कि अब समय आ गया है कि आंदोलन वापस लेने पर विचार किया जाए, इसके बाद राकेश टिकैत के सुर बदले हुए नजर आए। मंगलवार को राकेश टिकैत ने साफतौर पर कहा कि अब यह आंदोलन निश्चित रूप से समझौते की तरफ बढ़ रहा है। सरकार मांगें मान रही है और पहल कर रही है, तो फिर ये अच्छी बात है। हालांकि इसके बाद राकेश टिकैत ने नई बात कही। टिकैत ने कहा कि आंदोलन के दौरान सैकड़ों किसानों के ट्रैक्टरों को नुकसान पहुंचा, कई ट्रैक्टर जब्त कर लिए गए और थाने में रखे-रखे खराब हो गए हैं। इसलिए अब सरकार किसानों को इन ट्रैक्टरों के बदले नए ट्रैक्टर दे। उधर, अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी कहा कि चूंकि तीन कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया है, इसलिए आंदोलन जारी रखने का कोई मतलब नहीं है।
 
एक बात साफ है कि पंजाब के 32 जत्थों का संगठन इस आंदोलन की जान है और अब वे धरना प्रदर्शन खत्म करने के पक्ष में है। मेरी जानकारी यह है कि पंजाब के इन किसानों को तैयार करने में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी एक अहम भूमिका निभाई है। उनके जरिए सरकार ने किसानों को समझाया गया कि तीनों कानून वापस हो गए, पराली जलाने पर केस ना करने का फैसला हो गया और एमएसपी पर सरकार कमेटी बनाने को तैयार हो गई है, इस कमेटी में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने भी राज्य सरकारों से मुकदमे वापस लेने को कह दिया तो अब आंदोलन वापस लेने में ही जीत है और इसी में समझदारी है।
 
पिछले साल भर से सड़कों पर बैठे किसान भी अब आंदोलन खत्म कर घर जाना चाहते हैं। किसानों को भी लगता है कि यह आंदोलन वापस लेने और घर लौटने का सही समय है।  वहीं किसान नेताओं को डर है कि आंदोलन को और लंबा खींचा तो कहीं समर्थन कम ना हो जाए। पिछले एक साल में पहले भी कई बार ऐसा हुआ है कि ज़्यादातर किसान घर चले गए और टेंट खाली हो गए। अब हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी एक्टिव हो गए हैं और उन्होंने जाट खाप नेताओं से बात करने की शुरुआत कर दी है। ऐसा लगता है कि पंजाब और हरियाणा से आए किसान तो आंदोलन खत्म करने के मूड में हैं, लेकिन पश्चिमी यूपी से आनेवाले राकेश टिकैत इस मामले में आज भी अलग राय रखते हैं और आंदोलन को जारी रखना चाहते हैं। 
 
लेकिन यह बात भी सच है कि पंजाब के 32 जत्थे इस पूरे किसान आंदोलन की असली ताकत हैं, इसलिए उनकी राय और उनका प्रस्ताव महत्वपूर्ण है। उनका रुख देखने के बाद टिकैत जैसे नेताओं ने भी अपना सुर बदला औऱ अब वो भी कह रहे हैं कि जल्दी समझौता हो जाए और आंदोलन वापस हो जाए तो अच्छा होगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 30 नवंबर, 2021 का पूरा एपिसोड

 

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