बिहार पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 12 जुलाई की पटना यात्रा से ठीक पहले फुलवारी शरीफ में झारखंड के एक रिटायर्ड पुलिस सब इंस्पेक्टर और आतंकी संगठनों से जुड़े दो अन्य लोगों को गिरफ्तार करके एक आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है।
जांच के दौरान चौंकाने वाला खुलासा हुआ। पुलिस ने पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार ‘India Vision 2047: Towards Rule of Islam in India’ शीर्षक से आठ पन्नों का एक दस्तावेज जब्त किया।
‘विजन डॉक्युमेंट’ में कहा गया है, ‘हम एक ऐसे 2047 का सपना देखते हैं जब सियासी ताक़त मुसलमानों के पास आ जाएगी। ये ताक़त ब्रिटिश हुक्मरानों ने मुसलमानों से छीन लिया था।’ डॉक्युमेंट में आगे लिखा हुआ है, ‘अगर हम इस्लाम की तारीख को देखें, तो भारत में मुसलमान हमेशा अल्पसंख्यक रहे हैं और जीत हासिल करने के लिए हमें बहुसंख्यक होने की जरूरत नहीं है। पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया को यकीन है कि अगर देश के 10 फीसद मुसलमान भी उसका साथ देते हैं तो वह 'कायर' बहुसंख्यक समुदाय को अपने घुटनों पर ला सकते हैं और भारत में इस्लाम का परचम बुलंद हो सकता है।’
विजन डॉक्युमेंट में कहा गया है, 'PFI के कारकून और मुस्लिम युवाओं को बार-बार याद दिलाना चाहिए कि वे सभी दीन (मज़हब) के लिए काम कर रहे हैं। अल्लाह ने इस 'कायनात' (दुनिया) को बनाया है और मुसलमानों के सामने सिर्फ दो मकसद हैं: पहला, अल्लाह के कानून को कायम करना और दूसरा, मुसलमान इस धरती पर 'दाई' बनें। इस्लाम का निज़ाम कायम हो, इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।’
PFI के विजन डाक्यूमेंट में भारत में इस्लामी निज़ाम कायम करने के लिए 4 चरण बताए गए हैं। PFI के डॉक्युमेंट में लिखा है कि पहले चरण में ‘मुसलमानों को इक्कठा करके उन्हें PFI के बैनर के नीचे लाया जाए। इसके बाद अपने कारकून को तलवार, छड़ें और बम चलाने की ट्रेनिंग दी जाए। इस ट्रेनिंग में आक्रामक और रक्षात्मक, दोनों तकनीकों को शामिल किया जाए। इसे हासिल करने के लिए मुस्लिम समुदाय को बार-बार उनकी तकलीफें याद दिलाई जाएं, और अगर कोई तकलीफ नहीं है तो पैदा की जाएं। हमसे जुड़े हुए सभी तंज़ीमों को नए सदस्यों की भर्ती पर ज़ोर देना चाहिए। हमें हर हालत में, भारतीय होने की सोच से दीगर, एक इस्लामी पहचान स्थापित करनी होगी।’
विजन डॉक्युमेंट में कहा गया है, ‘दूसरी स्टेज में हमारे विरोधियों (हिंदुओं) में दहशत पैदा करने और हमारी संगठित ताकत को दिखाने के लिए सेलेक्टिव तरीके से हिंसा करनी है। बड़े पैमाने पर लामबंदी होनी चाहिए और हमें अपने प्रशिक्षित कैडर को सुरक्षाबलों से बचाकर रखना है। ..इस बीच पार्टी को इस्लामी निज़ाम कायम करने के वास्तविक इरादे को छिपाने के लिए राष्ट्रीय ध्वज, संविधान और आम्बेडकर के नाम का इस्तेमाल करना है। हमें अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों तक पहुंच बनानी होगी। हमें कार्यपालिका और न्यायपालिका तक भी अपनी पहुंच बनानी होगी और सूचना इकट्टा करने और अपने हित के मुताबिक नतीजे पाने के लिए ऐसे सभी स्तरों पर अपने सदस्यों की घुसपैठ करानी है। इसके अलावा, फंड और दूसरी मदद पाने के लिए इस्लामी देशों के साथ संपर्क भी होना चाहिए।’
तीसरे स्टेज के बारे में PFI का विजन डॉक्युमेंट कहता है, ‘हमें RSS और SC, ST, OBC के बीच विभाजन पैदा करने की जरूरत है और ये बताने की ज़रूरत है कि RSS सिर्फ ऊंची जाति के हिंदुओं का फायदा चाहता है।’ डॉक्युमेंट में सभी ‘सेक्यूलर’ दलों को दरकिनार रखने और ‘विशुद्ध रूप से मुस्लिम’ पार्टी बनाने का आह्वान किया गया है जो मुसलमानों, दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों की जरूरतों को पूरा करे । डॉक्युमेंट में सदस्यों से अनुशासन के जरिए अपनी ताकत दिखाने, वर्दी पहनकर मार्च निकालने, जरूरत पड़ने पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को बचाने के लिए शारीरिक तौर पर हस्तक्षेप करने और अपने हितों का विरोध करने वालों पर हमला करने की बात भी कही गई है। साथ ही कहा गया है कि इस स्तर पर हथियार और गोला-बारूद जुटाए जाएंगे।
डॉक्युमेंट के मुताबिक, चौथे और अंतिम चरण में, अन्य सभी मुस्लिम पार्टियों और सेक्यूलर संगठनों को दरकिनार करते हुए ‘पीएफआई को सभी मुसलमानों के निर्विवाद नेता के रूप में उभरना चाहिए। इसे एससी, एसटी और ओबीसी के कम से कम 50 प्रतिशत लोगों का विश्वास हासिल करना चाहिए और उनके हितों के लिए भी काम करना चाहिए।’
पीएफआई के दस्तावेज़ में कहा गया है, ‘सत्ता में आने के बाद, कार्यपालिका और न्यायपालिका के साथ-साथ पुलिस और सेना में सभी महत्वपूर्ण पदों पर हमारे वफादार कारकूनों की घुसपैठ होनी चाहिए। सेना और पुलिस सहित सभी सरकारी विभागों के दरवाजे 'वफादार मुसलमानों' और एससी/एसटी/ओबीसी से भरने के लिए खोले जाने चाहिए ताकि 'अतीत में हुए अन्याय और भर्ती में असंतुलन को ठीक किया जा सके।' जिन लोगों को हथियारों का प्रशिक्षण दिया गया है, उन्हें अब और अधिक 'मुखर' होना चाहिए और 'हमारे हितों के खिलाफ काम करने वालों को खत्म कर देना' चाहिए।’
डॉक्युमेंट में लिखा है, ‘इन PE कैडरों को हमारे दुश्मनों द्वारा सुरक्षाबलों के इस्तेमाल के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में भी काम करना होगा। जब हमारे पास पर्याप्त प्रशिक्षित कैडर और हथियार होंगे, तो हम इस्लामी उसूलों के आधार पर एक नया संविधान की घोषणा करेंगे। उस समय बाहरी ताकतें भी हमारी मदद के लिए आएंगी। हमारे विरोधियों का व्यवस्थित और व्यापक रूप से सफाया होना चाहिए, ताकि भारत इस्लामी गौरव की ओर लौट सके।’
मैंने जानबूझकर इस दस्तेवाज़ - 'भारत के लिए PFI का विजन 2047' – की विस्तार से जानकारी दी है, ताकिये बता सकूं कि राष्ट्रविरोधी ताकतें किस तरह पूरी सक्रियता के साथ काम कर रही हैं। बिहार पुलिस ने फुलवारी शरीफ में जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किय़ा, उनमें झारखंड का एक रिटायर्ड पुलिस सब-इंस्पेक्टर भी शामिल है। वह भोले-भाले मुस्लिम नौजवानों का ब्रेनवॉश कर रहा था और खुफिया तरीके से उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग दे रहा था। उसके पास से जब्त किए गए दस्तावेज, पैंफलेट्स और पीएफआई के झंडे किसी बड़ी साजिश के एक छोटे से हिस्से का ही खुलासा करते हैं।
दस्तावेज़ में लिखा है कि 75 साल पहले, 1947 में जब भारत का बंटवारा हुआ था, उस वक्त एक इस्लामी राष्ट्र (पाकिस्तान) बना। इसमें लिखा है, 'जब भारत के लोग अपनी आजादी की सौवीं सालगिरह का जश्न मना रहे होंगे, उस समय तक हमें पूरे भारत में इस्लामी निज़ाम कायम करना ही होगा।’
बिहार पुलिस ने बताया कि इस विजन डॉक्युमेंट को देश भर के सभी PFI सदस्यों के बीच गुप्त रूप से बांटा गया है। इसका मतलब साफ है कि भारत सरकार के खिलाफ बगावत की साजिश रची जा रही थी। दस्तावेजों में नौजवानों को यह बार-बार बताने के लिए कहा गया है कि ‘आप सब अल्लाह का निज़ाम कायम करने के लिए मुसलमान बन कर पैदा हुए हैं, आपको दीन के लिए काम करना चाहिए।’ दस्तावेजों में उन इस्लामिक देशों के नाम भी बताए गए हैं जहां से PFI को मदद की उम्मीद है। यह एक ओपन सीक्रेट है कि PFI के तुर्की के साथ बेहतर रिश्ते हैं।
जब मैंने विजन डॉक्युमेंट पढ़ा तो मुझे पहले तो विश्वास नहीं हुआ कि इस तरह का कोई खतरनाक प्लान बनाया जा सकता है। लेकिन जब मैंने जब्त किए गए बाकी दस्तावेज़ और पैम्फलेट्स देखे तो रोंगटे खड़े हो गए। साफ लफ्ज़ों में कहें तो ये भारत के खिलाफ ऐलान-ए-जंग के बराबर है।
झारखंड पुलिस के रिटायर्ड पुलिस सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद जलालुद्दीन को PFI और इसके राजनीतिक संगठन SDPI के नेता अतहर परवेज के साथ गिरफ्तार किया गया। उनके पास से ये दस्तावेज और अन्य सामग्री जब्त की गई है। PFI के इस आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा कई लोग बताए जा रहे हैं।
इनमें मोहम्मद जलालुद्दीन, अतहर परवेज, शमीम अख्तर, रियाज मारिफ, सनाउल्लाह उर्फ आकिब, तौसीफ आलम, महबूब आलम, एहसान परवेज, सलमान, मोहम्मद रसलान, महबूबुर रहमान, इम्तियाज दाऊदी, खलीक-उर-जमां, अमीन आलम, जीशान अहमद, रियाज़ अहमद, मंज़र परवेज़, नूरुद्दीन जंगी, महबूब आलम, मोहम्मद रियाज, अंसारुल हक, मोहम्मद मुस्ताकिम, मजहरुल इस्लाम, अब्दुर रहमान, अरमान मलिक और परवेज आलम शामिल हैं।
बिहार पुलिस ने कहा कि उसे 12 जुलाई को प्रधानमंत्री की बिहार यात्रा से पहले केंद्रीय एजेंसियों से खुफिया जानकारी मिली थी जिसके बाद आरोपियों को फुलवारी शरीफ में पकड़ा गया। यह मॉड्यूल प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान भी गड़बड़ी करने की योजना बना रहा था। पुलिस के लोग जब जलालुद्दीन के घर पहुंचे तो यह देखकर हैरान रह गए कि नौजवानों को हथियार जलाने की पूरी ट्रेनिंग दी जा रही थी। मोहम्मद जलालुद्दीन और अतहर परवेज के साथ एक तीसरे आरोपी अमान मलिक को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।
पुलिस ने बताया कि प्रधानमंत्री के पटना आने के 6 दिन पहले 6 और 7 जुलाई को केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से पीएफआई के कार्यकर्ताओं को बिहार बुलाया गया था। उन्होंने जलालुद्दीन के घर पर स्थानीय नौजवानों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी और चाकू एवं तलवार चलाना सिखाया। पुलिस इन लोगों पर नजर रख रही थी, और उसका शक उस वक्त यकीन में तब्दील हो गया जब दूसरे राज्यों से आए लोगों ने फर्जी नाम और फर्जी आइडेंटिटी कार्ड्स के जरिए होटलों में कमरे लिये।
बिहार में लोगों को सोच-समझकर, ठोक-बजाकर PFI में शामिल किया जाता था। पहले देखा जाता था कि जिस शख्स को PFI में शामिल किया जा रहा है, वह पूरी तरह कट्टरपंथी बन चुका है या नहीं। संगठन का सदस्य बनाने के लिए हरेक नौजवान से फोन नंबर, आधार नंबर, वोटर आईडी कार्ड नंबर, पंचायत और विधानसभा क्षेत्र की जानकारी मांगी जाती थी। पुलिस ने बताया कि नौजवानों को पिछले दो महीने से हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी।
पुलिस के मुताबिक, साजिश रचने वालों में सिमी का पूर्व सदस्य अतहर परवेज भी शामिल है। 2013 में पटना के गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की रैली में हुए ब्लास्ट को अंजाम देने वाले में भी अतहर परवेज का भाई शामिल था। अतहर परवेज पहले आतंकी संगठन SIMI का सदस्य रह चुका है, लेकिन जब 2001 में सिमी पर बैन लगा दिया गया तो वह SDPI और PFI का मेंबर बन गया।
अतहर परवेज ने सिमी के सदस्यों की मदद जारी रखी। बिहार में बम धमाकों के मामलों में सिमी के जो सदस्य गिरफ्तार हुए, कई साल तक जेल में रहे, उनमें से ज्यादातर आरोपियों की जमानत अतहर परवेज ने ली है। कहा जाता है कि वह सिमी के सदस्यों का ‘परमानेंट जमानती’ था। अब वह पटना पुलिस की गिरफ्त में है। उसका भाई गांधी मैदान में हुए बम धमाकों के मामले में जेल में बंद है।
इंडिया टीवी के संवाददाता नीतीश चंद्रा ने गुरुवार को पटना के नया टोला इलाके में अतहर परवेज के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की, जिन्होंने दावा किया कि वह बेगुनाह है। उसके परिवार के सदस्यों ने कहा, ‘वह पांच वक्त के नमाजी हैं और मुल्क के खिलाफ किसी भी साजिश में शामिल नहीं हो सकता।’
PFI के महासचिव अनीस अहमद ने एक बयान जारी कर बिहार पुलिस द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा, इसी तरह की 'कहानी' पहले यूपी पुलिस ने भी बनाई थी, और ये सब बेबुनियाद बातें हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पुलिस के जरिए PFI को खत्म करने की साजिश रच रही है।
भारत को 2047 तक इस्लामिक देश बनाने की सोच पर आसानी से यकीन नहीं किया जा सकता है। लेकिन अगर PFI का बैकग्राउंड देखें, पिछले कुछ साल में इनकी हरकतें देखें तो लगता है कि यह खतरा जितना हम सोच सकते हैं उससे भी बड़ा है। कई बार सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल होते हैं, वॉट्सऐप पर मैसेज आते हैं जिनमें कहा जाता है कि अगले 50 साल में भारत में हिंदुओं से ज्यादा मुसलमानों की आबादी करने का प्लान बनाया गया है।
लोग आंकड़े देकर बताते हैं कि कैसे मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ रही है और हिंदुओं की संख्या कम हो रही है। कई बार दूसरे मुल्कों के उदाहरण देकर समझाया जाता है कि कैसे भारत को इस्लामिक मुल्क बनाने की साजिश रची जा रही है। आमतौर पर लोग ऐसे मैसेज पर कोई ध्यान नहीं देते। इनको कोई वैरिफाई करने की कोशिश भी नहीं करता, लेकिन PFI के जो दस्तावेज सामने आए उसने लोगों के कान खड़े कर दिए। यह साफ दिखाता है कि भारत में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो इस देश को इस्लामी मुल्क बनाने का ख्वाब देख रहे हैं।
अब चाहें PFI के महासचिव कितनी भी सफाई दें, अपने संगठन का कितना भी बचाव करें, लेकिन दस्तावेज झूठ नहीं बोलते। हाल में हुई घटनाएं झुठलाई नहीं जा सकतीं। चाहें दिल्ली के दंगे हों, यूपी की हिंसा हो, हिजाब को लेकर हुआ बवाल हो, CAA और NRC को लेकर हुए झगड़े हों, करौली के दंगे हों, अमरावती में उमेश कोल्हे की हत्या हो या फिर उदयपुर में कन्हैयालाल का गला काटने का मामला हो, सबके पीछे PFI का नाम सामने आया है। इसलिए PFI के दस्तावेजों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 14 जुलाई, 2022 का पूरा एपिसोड