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Rajat Sharma’s Blog: क्या पाकिस्तान ने ऐमान अल-जवाहिरी को मारने में अमेरिका की मदद की?

अमेरिका के ऐनालिस्ट यह दावा कर रहे हैं कि जो बायडेन ने अगले चुनाव में अपनी रेटिंग सुधारने के लिए जवाहिरी को मारने का ग्रीन सिग्नल दिया।

Written By: Rajat Sharma
Published on: August 03, 2022 18:24 IST
Rajat Sharma Blog on Ayman al-Zawahiri, Rajat Sharma Blog on Joe Biden- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

काबुल में सुबह-सुबह हुए एक ड्रोन हमले में अमेरिका ने तालिबान के एक ‘सेफ हाउस’ की बालकनी पर  दो  हेलफायर मिसाइलें दागकर अल-कायदा के सरगना ऐमान अल-जवाहिरी का काम तमाम कर दिया। पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान से वापसी के बाद यह अमेरिका का पहला ड्रोन हमला था।

हमले को रविवार की सुबह अंजाम दिया गया और सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन ने टीवी पर ऐलान किया, ‘इंसाफ हो चुका है।’ अज जवाहिरी को निशाना बनाकर जो हेलफायर R9X मिसाइलें दागी गई थीं उनसे कोई ब्लास्ट नहीं हुआ और न ही किसी और को नुकसान पहुंचा। वारहेड रहित यह मिसाइल 6 रेजर जैसे ब्लेड्स से लैस होती है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अल-जवाहिरी को हक्कानी आतंकी नेटवर्क के संस्थापक जलालुद्दीन हक्कानी के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी द्वारा काबुल में एक ‘सेफ हाउस’ या खुफिया ठिकाने पर रखा गया था। सिराजुद्दीन हक्कानी अब तालिबान सरकार में गृह मंत्री हैं। अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात की ओर से जारी एक बयान में, तालिबान शासन ने हमले की निंदा की और कहा कि वह इसे ‘अंतर्राष्ट्रीय सिद्धांतों और दोहा समझौते का स्पष्ट उल्लंघन’ मानता है।

अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने जवाब में कहा कि तालिबान ने अफगानिस्तान की धरती पर आतंकी संगठनों को पनाह देकर दोहा समझौते का घोर उल्लंघन किया है। वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, भले ही हम आतंकवाद के सभी स्वरूपों के खिलाफ है, लेकिन साथ ही आतंकवाद रोधी अभियान के ‘दोहरे मानक’ और दूसरे देशों की ‘संप्रभुता की कीमत’ पर इसे अंजाम देने के भी खिलाफ हैं।

ऐमान अल-जवाहिरी एक जमाने में अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन का बेहद करीबी हुआ करता था। वह 2001 में अमेरिका में 11 सितंबर को हुए आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड था। इजिप्ट में पैदा हुआ अल-जवाहिरी एक ट्रेन्ड सर्जन था और उसने अमेरिका में कई आतंकी घटनाओं की साजिश रची थी। उसका 2000 में यमन में अमेरिकी विध्वंसक पोत USS कोल पर हुए हमले और 1998 के केन्या और तंजानिया में स्थित अमेरिकी दूतावासों पर हुए बम विस्फोट में भी बड़ा हाथ था। अमेरिका ने उसके सिर पर $25 मिलियन (लगभग 200 करोड़ रुपये) का इनाम रखा था, लेकिन वह हमेशा अपने विरोधियों को चकमा देने में कामयाब हो जाता था।

जब ओसामा बिन लादेन को 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी नेवी सील टीम ने मार गिराया तो अल-जवाहिरी ने अल कायदा की बागडोर संभाली और 28 मिनट के वीडियो में ऐलान किया, ‘खून के बदले खून’ और ‘हम अमेरिका को खौफजदा करना जारी रखेंगे।’ लेकिन तब तक अल कायदा एक आतंकवादी संगठन के रूप में कमजोर हो चुका था और इस्लामिक स्टेट (IS) ने इराक, सीरिया और अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। अल-जवाहिरी इस साल जनवरी से तालिबान की निगहबानी में काबुल के बेहद पॉश कहे जाने वाले शेरपुर इलाके में छिपा हुआ था।

अमेरिकी की खुफिया एजेंसी CIA को उसके ठिकाने के बारे में सुराग मिला और उसने उसकी गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी। फरवरी महीने से काबुल में जवाहिरी के ठिकाने पर सैटेलाइट से नजर रखी जाने लगी। CIA को इस साल मार्च में पुख्ता खबर मिल गई कि जवाहिरी काबुल में ही रह रहा है। इसके बाद ही उसे टारगेट करके उसका खात्मा करने की तैयारी की जाने लगी। CIA की ऑपरेशंस टीम ने उस घर का मॉडल तैयार किया जिसमें जवाहिरी रह रहा था। यह मॉडल व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम ले जाया गया जहां प्रेसिडेंट बायडेन को पूरे प्लान के बारे में बताया गया। मगर दिक्कत यह थी कि जवाहिरी काफी घने बसे इलाके में रह रहा था और मिसाइल हमले या बम हमले से आम लोगों के मारे जाने का डर था। इस वजह से मई महीने में जवाहिरी को मारने के प्लान को मुल्तवी कर दिया गया। इसके बाद अमेरिकी अधिकारियों ने रीपर ड्रोन से अमेरिका की मशहूर हेलफायर मिसाइल दाग कर जवाहिरी के खात्मे का प्लान बनाया। 25 जुलाई को प्रेसिडेंट बायडेन ने इस प्लान को हरी झंडी दे दी, और 1 अगस्त को जब दुनिया के मोस्ट वॉन्टेड टेररिस्ट का खात्मा हो गया तो इसका एलान करने खुद बायडेन सामने आए।

बायडेन ने कहा, ‘मेरे निर्देश पर अमेरिका ने अफगानिस्तान के काबुल में सफलतापूर्वक एक हवाई हमला किया, जिसमें अल कायदा का अमीर, ऐमान अल-जवाहिरी मारा गया। आप जानते हैं कि अल-जवाहिरी ओसामा बिन लादेन का नेता था। वह हमेशा उसके साथ रहा था। वह लादेन का नंबर 2 था, 9/11 के आतंकी हमले के समय उसका डिप्टी था। 9/11 हमलों की साजिश रचने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। अमेरिकी सरजमीं पर हुए सबसे घातक इस हमले में 2,977 लोग मारे गए थे।’

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘अब इंसाफ हो गया है और यह आतंकी सरगना मारा गया है। दुनिया को अब इस दरिंदे हत्यारे से डरने की जरूरत नहीं है। अमेरिका उन लोगों से अमेरिकियों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा, जो हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। हम आज रात एक बार फिर यह साफ कर देना चाहते हैं कि भले ही कितना भी समय लग जाए, भले ही तुम कहीं भी छिपे हो, अगर तुम हमारे लोगों के लिए खतरा हो तो अमेरिका तुम्हें ढूंढ़ निकालेगा और तुम्हारा खात्मा करेगा।’

तालिबान सरकार के गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने कहा, ‘हम कल हमले वाले इलाके में गए थे और प्रभावित लोगों को कुछ मदद मुहैया कराई थी। हमारी पहली कोशिश हमले में घायल लोगों को बाहर निकालने और बचे हुए लोगों को तलाश करने की थी। इस हमले में आस-पास के ज्यादातर घर बर्बाद हो गए थे।’

अल जवाहिरी सिर्फ अमेरिका और इजराइल का दुश्मन नहीं था, वह भारत के खिलाफ भी जहर उगलता रहता था। कश्मीर का मसला हो, आर्टिकल 370 हटाने की बात हो, हिजाब का विवाद हो या फिर खाड़ी देशों के साथ मोदी सरकार की नजदीकी हो, हर मुद्दे पर जवाहिरी भारत के खिलाफ बयान देता था, जिहाद छेड़ने की बातें करता था। उसने भारत के बारे में सबसे ताजा टेप कर्नाटक के हिजाब विवाद पर जारी किया था। टेप में उसने कर्नाटक की छात्रा मुस्कान खान की तारीफ की थी और भारत के मुसलमानों से हथियार उठाने को कहा था। अल जवाहिरी का मारा जाना भारत के लिए अच्छी खबर है, हालांकि पूर्व विदेश राज्य मंत्री और कांग्रेस सांसद शशि थरूर इस मसले पर थोड़ी अलग राय रखते हैं।

थरूर ने कहा, ‘बदकिस्मती से जवाहिरी के मारे जाने से आतंकवाद का खात्मा नहीं होगा। आतंकवाद एक विचारधारा है, जो लोगों को प्रभावित करती है। हमने पहले भी देखा है कि एक आतंकी सरगना मारा जाता है तो उसकी जगह कोई और बागडोर थाम लेता है, फिर चाहे वह अल कायदा हो, इस्लामिक स्टेट दाएश हो या तालिबान। किसी एक आतंकवादी को मारकर हमें भले ही यह तसल्ली हो जाए कि आतंकी संगठन के सरगना का सफाया हो गया, लेकिन आतंकवाद की चुनौती बनी रहती है और दुनिया को सतर्क रहना पड़ता है। हमारी समस्या यह है कि हमारी सरहद ज्यादा करीब है। कुछ लोग सरहद के पार बैठे हैं और कुछ पहले ही घुसपैठ कर चुके हैं। हमें अल कायदा और इस्लामिक स्टेट के बजाय ऐसे संगठनों से सावधान रहने की जरूरत है।’

अल-जवाहिरी के मारे जाने से दुनिया ने राहत की सांस ली है, लेकिन इस पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि अल कायदा के नेता को मारने का क्या फायदा जो खुद छिपता फिर रहा है। अमेरिका के ऐनालिस्ट यह दावा कर रहे हैं कि जो बायडेन ने अगले चुनाव में अपनी रेटिंग सुधारने के लिए जवाहिरी को मारने का ग्रीन सिग्नल दिया। अमेरिका में नवंबर में मध्यावधि चुनाव हैं। जो बायडेन की रेटिंग 20 पर्सेंट से भी नीचे चली गई है, क्योंकि महंगाई और दूसरे मुद्दों के चलते अमेरिकी जनता नाराज है। अमेरिकी अर्थव्वस्था के मंदी का शिकार होने की चेतावनी दी जा रही है। खुद बायडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक चाहते हैं कि 2024 में होने वाले चुनाव में उनकी जगह किसी और को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाए।

अल जवाहिरी के मारे जाने से सबसे दिलचस्प सियासत पाकिस्तान में हो रही है। अमेरिकी एक्सपर्ट यह मानते हैं कि अल जवाहिरी को मारने में पाकिस्तानी सेना ने अमेरिका की मदद की, उसे गुप्त सूचना मुहैया कराई और अमेरिकी रीपर ड्रोन को टेकऑफ करने के लिए एयरपोर्ट भी दिया। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान ने यह सब इसलिए किया क्योंकि उसे IMF से आर्थिक मदद चाहिए। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान तो खुलकर ये इल्जाम लगा रहे हैं कि आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने पिछले हफ्ते अमेरिका को फोन करके जवाहिरी का ठिकाना बताया था। इसके बदले में उन्होंने पाकिस्तान के लिए अमेरिका से पैसा मांगा था क्योंकि मुल्क दिवालिया होने के कगार पर खड़ा है।

जवाहिरी की मौत के बाद इमरान खान सिर्फ जनरल बाजवा पर अटैक नहीं कर रहे बल्कि वह अपने मुल्क की पूरी लीडरशिप पर सवाल उठा रहे हैं। एक रैली में इमरान खान ने कहा कि जिस तरह आज पाकिस्तान आर्मी ने पैसे के बदले में जवाहिरी का खुफिया ठिकाना अमेरिका को बता दिया, उसी तरह 1995 में एक और आतंकवादी रमजी अहमद यूसुफ को डॉलर के बदले अमेरिका को सौंप दिया था। रमजी अहमद यूसुफ 1993 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले और फिलीपींस एयरलाइंस के विमान में हुई बमबारी के मास्टरमाइंड्स में से एक था। ISI ने 1995 में उसे गिरफ्तार कर लिया और फिर उसे अमेरिका भेज दिया गया जहां एक अदालत ने उसे दो आजीवन कारावास और 240 साल जेल की सजा सुनाई। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 02 अगस्त, 2022 का पूरा एपिसोड

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