दिल्ली में शुक्रवार को मॉनसून की पहली बारिश हुई और पहले ही दिन 88 साल का रिकॉर्ड टूट गया। राजधानी बारिश के पानी में डूब गई, रास्तों पर जाम लगे। लोग कई-कई घंटों तक ट्रैफ़िक में फंसे रहे, लेकिन कोई क्या कर सकता है। दिल्ली में बारिश ने 88 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया। जितनी बारिश पूरे मॉनसून सीजन में होती है, उसका 25 परसेंट पहली बारिश में ही सिर्फ 4 घंटे के दौरान हो गई। तेज़ बारिश और तूफानी हवाएं बुरी खबरें लेकर आई। सबसे भयानक हादसा दिल्ली एयरपोर्ट पर हुआ। इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट में टर्मिनल-1 के डिपार्चर गेट के पास बने शेड की छत गिर गई। इस हादसे में एक कैब ड्राइवर की मौत हो गई, और 6 लोग घायल हो गए। जो शेड गिरा उसके नीचे बहुत सी गाड़ियां खड़ी थी, 4 गाडियां इस शेड के मलबे के नीचे दब गईं। लोहे के बड़े-बड़े गार्डर कारों के ऊपर गिरे, जिसमें दबकर रमेश कुमार नाम के कैब ड्राइवर की मौत हो गई। हादसे के बाद टर्मिनल-1 पर फ्लाइट ऑपरेशन्स बंद कर दिए गए। नागर विमानन मंत्री राममोहन नायडू तुंरत एयपोर्ट पहुंचे, रेस्क्यू ऑपरेशन का जाय़जा लिया। मृतक के परिवार को 20 लाख रुपये सहायता देने का ऐलान हुआ। घायलों को 3 लाख रुपये दिए जाएंगे। जांच के लिए टेक्निकल टीम्स गठित कर दी गई है। इस मुद्दे पर सियासत शुरू हो गई। विरोधी दलों के नेताओं ने इस हादसे के लिए भी नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा दिया। प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर लिखा कि प्रधानमंत्री जी आपने इसी साल मार्च में दिल्ली एयरपोर्ट के जिस टर्मिनल-1 का उद्घाटन किया था, उसकी छत गिर गई, जिसमें एक कैब ड्राइवर की मौत हो गई। विपक्ष के दूसरे नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार काम की क्वालिटी के बजाए सिर्फ काम का प्रचार करती है,इसीलिए ये हादसा हुआ लेकिन नागर विमानन मंत्री ने कहा कि ये वक्त सियासत का नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हकीकत ये है कि जो कैनोपी गिरी है, उसका उद्घाटन 2009 में हुआ था और उस वक्त यूपीए की सरकार थी।
हालांकि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि जिस जगह हादसा हुआ, उसका उद्घाटन किसकी सरकार के वक्त हुआ था लेकिन हादसे की बजाय इसी बात को मुद्दा बनाया जा रहा है। विपक्ष के आरोपों पर जब राममोहन नायडू ने तथ्य बता दिया तो विपक्ष के सुर बदले। मनमोहन सिंह की सरकार में उस वक्त प्रफुल्ल पटेल नागर विमानन मंत्री थे, वो अब NDA में हैं। प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि जिस कंपनी ने उस वक्त एयरपोर्ट का ये हिस्सा बनाया था, वो दुनिया की बड़ी कंपनी है, उसी ने भारत के ज्यादातर एयरपोर्ट बनाए हैं। इसलिए ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा कि हादसा क्यों हुआ, किसकी गलती से हुआ, लेकिन ये राजनीति का मुद्दा नहीं है। इसी तरह का हादसा जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट पर भी हुआ। जबलपुर में एयरपोर्ट की कैनोपी का एक हिस्सा भारी बारिश की वजह से गिर गया। छत का सारा मलबा वहां खड़ी इनकम टैक्स अफसर की कार के ऊपर गिरा। राहत की बात ये रही कि उस वक्त कार में कोई नहीं था। इस एयरपोर्ट का उद्घाटन 3 महीने पहले ही हुआ था। अब एयरपोर्ट अथॉरिटी इस बात की जांच गिर रही है कि आखिर 3 पहले ही जिस एयरपोर्ट का उद्घाटन हुआ था, वहां ये हादसा कैसे हो गया। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इस तरह के तमाम हादसों की लिस्ट गिना कर दावा कर दिया कि नरेंद्र मोदी की सरकार में जो-जो काम हुए हैं, उनका यही हाल है। और वजह एक ही है, सरकार का फोकस काम की बजाय प्रचार पर है।
ये ठीक है कि जबलपुर हो या दिल्ली, एयरपोर्ट पर जो हादसे हुए वो गंभीर है, ये चिंता की बात है। मसला ये नहीं है कि उद्घाटन किसके कार्यकाल में हुआ, मसला मेंटेनेंस का है और इसकी ज़िम्मेदारी तय होनी चाहिए। दोषियों पर एक्शन भी होना चाहिए क्योंकि एयरपोर्ट अथॉरिटी हवाई अड्डों के रखरखाव के लिए भी यात्रियों से पैसा वसूलती है। लेकिन हर बात में मोदी का नाम लेने का क्या मतलब? दिल्ली में रिकॉर्डतोड़ बारिश हुई, लेकिन ये बारिश मोदी ने तो नहीं करवाई। ये सही है कि एयरपोर्ट की कैनोपी टूटी लेकिन ये कैनोपी मोदी ने तो नहीं बनवाई। असल में हर बात में सियासत करने से, हर बात में मोदी का नाम घसीटने से, आरोप लगाने वालों की बात का वज़न कम होता है, जैसे संजय सिंह ने कमाल कर दिया, बहुत सारे केस गिना दिए, उनमें कुछ सही थे, कुछ ग़लत, और सबके लिए मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहरा दिया, लेकिन जब दिल्ली में सड़कों पर पानी भरने का मसला उठा, जब दिल्ली में लोगों के घरों में पानी भरा, तो संजय सिंह ने कहा कि ये तो हर साल होता है, हर बारिश में होता है, इसके लिए उन्होंने अपनी पार्टी की सरकार को दोषी नहीं ठहराया। दिल्ली में पिछले 24 घंटे में 228 मिलीमीटर बारिश हुई। जून के महीने में 1936 के बाद ये पहला मौका है, जब इतनी बारिश हुई। मॉनसून की पहली बारिश में दिल्ली के कई इलाके डूब गए। बाढ़ जैसे हालात बन गए। सड़कों पर बोट चलने लगी, मकानों में पानी भर गया, अंडरपास जलमग्न हो गए। हजारों गाड़ियां फंस गईं। लोग फंस गए, कारें डूब गईं, बाइक बहने लगीं, घर गिर गए। पानी भर जाने की वजह से सड़कें गायब हो गईं। ऐसा लगा जैसे तालाब के बीच में कुछ गाड़ियां फंसी हुई हैं और कुछ लोग तालाब पार करने की कोशिश कर रहे हों।
बारिश के कारण नेताओं के घरों में पानी भर गया। कांग्रेस के नेता शशि थरूर, सपा नेता राम गोपाल यादव और मनोज तिवारी के घरों में पानी भर गया। रामगोपाल यादव को उनके घर के कर्मचारी कंधे पर उठाकर गेट तक लाए और गाड़ी में बैठाया। दिलचस्प बात ये है कि दिल्ली में पानी की किल्लत को लेकर 4 दिन पहले तक अनशन कर रही दिल्ली की मंत्री आतिशी के घर में भी पानी भर गया। दिल्ली में पानी की कमी हो या दिल्ली में पानी भर जाए, आम आदमी पार्टी के नेताओं का एक ही जवाब होता है, इसके लिए बीजेपी जिम्मेदार है। और बीजेपी, दिल्ली वालों की मुसीबत के लिए केजरीवाल की पार्टी को दोषी बता देती है। लेकिन हकीकत अलग है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली में नालों की कुल लम्बाई 3314.54 किलोमीटर है और कुल 201 नैचुरल ड्रेन्स हैं। दिल्ली की मुश्किल ये है कि ड्रेनेज सिस्टम की सफाई और मेंटेनेंस की जिम्मेदारी अलग-अलग इलाकों में सिंचाई और बाढ नियंत्रण विभाग, लोक निर्माण विभाग, दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली नगरपालिका कौंसिल और दिल्ली विकास प्राधिकरण जैसी कई संस्थाओं के पास है। सारी एजेंसियां दिल्ली के लोगों की बेहतरी के काम करती है लेकिन किसी का आपस में तालमेल नहीं हैं। दिल्ली में केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल तीनों का दखल है। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच झगड़ा किसी से छुपा नहीं हैं। जब कोई मुश्किल आती है, तो सब एक दूसरे पर आरोप लगाकर पल्ला झाड़ लेते हैं और दिल्ली वाले हर साल इसी तरह परेशान होते हैं, चाहे पानी का संकट हो या बाढ़। (रजत शर्मा)
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