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Rajat Sharma's Blog | दिल्ली की ज़हरीली हवा : ये 3 पौधे आपको बचाएंगे

वायु प्रदूषण से बचने में कुछ पौधे भी आपकी मदद कर सकते हैं। जैसे एरिका पाम, स्नेक प्लांट और मनी प्लांट। ये मैंने कुछ साल पहले भी बताए थे। न परिस्थितियां बदलीं हैं, न उपाय बदले हैं। IIT कानपुर की रिसर्च के मुताबिक ये पौधे घर की हवा को साफ करते हैं, उसे सांस लेने लायक बनाते हैं।

Written By: Rajat Sharma
Published on: November 04, 2023 16:38 IST
Rajat Sharma, India TV- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

आज सबसे पहले बात करेंगे दिल्ली वालों पर फिर से आई मुसीबत की। दिल्ली NCR में कई दिनों से लोगों को सूरज के दर्शन नहीं हो रहे हैं। प्रदूषण की धुंध ने सूरज को ढक लिया। दिल्ली NCR का इलाका गैस चैंबर में तब्दील हो गया। दिल्ली, फ़रीदाबाद, गुरूग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग़ाज़ियाबाद में सांस लेना मुश्किल हो रहा है। हवा इतनी ज़हरीली है कि दिल्ली में स्कूल बंद करने पड़े, लोगों से मास्क लगाने को कहा गया है, डीज़ल गाड़ियों पर पाबंदी लगा दी गई है, गैर ज़रूरी निर्माण कार्यों पर रोक है, डीजल के जेनरेटर्स पर बैन है, प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर सख्ती की गई है। पूरी दिल्ली में पानी का छिड़काव किया जा रहा है, स्मॉग गन चल रही है, स्मॉग टावर्स को एक्टिव कर दिया गया है। मतलब सरकार जो कर सकती है, वो सारे उपाय लागू कर दिए गए, लेकिन कोई असर नहीं पड़ा।  इसके बाद भी ज़हरीली हवा लोगों की जान को खतरा बनी हुई है, आंखों में जलन हो रही है, सांस फूल रही है, मरीजों की तादाद बढ़ रही है और इससे भी बड़ी चिंता की बात ये है कि अगले 15 दिनों तक दिल्ली NCR के लोगों को साफ हवा मिलने की कोई उम्मीद भी नहीं है क्योंकि मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगले दो हफ्ते तक हवा की रफ्तार और दूसरे कारकों में किसी तरह के बदलाव के संकेत नहीं हैं। 

सवाल ये है कि फिर क्या किया जाए? दिल्ली सरकार ने तो हाथ खड़े कर दिए हैं। दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार के साथ साथ लोगों को भी मदद करनी पड़ेगी, तभी कुछ हो सकता है लेकिन गोपाल राय ने नहीं बताया कि लोग क्या करें।  क्या घर से बाहर निकलना छोड़ दें? या सांस लेना छोड़ दें? डॉक्टर्स बता रहे हैं कि इस तरह की हवा में सांस लेने से कौन कौन सी खतरनाक बीमारियां हो रही है। बचाव के लिए क्या एहतियात बरतनी चाहिए? वैज्ञानिक बता रहे हैं कि ये हालात कब तक रहेंगे लेकिन कोई ये नहीं बता रहा है कि इस मौसम में हर साल दिल्ली NCR का ये हाल क्यों होता है? कोई कह रहा है कि पराली के कारण प्रदूषण है, कोई गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को जिम्मेदार ठहरा रहा है, कोई निर्माण गतिविधियों को इसके लिए जिम्मेदार बता रहा है। कोई दिल्ली की भौगोलिक स्थिति को प्रदूषण की वजह बताता है। लेकिन ठोस जवाब किसी के पास नहीं है और नेता इसके लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। प्रदूषण के मुद्दे पर सियासत हो रही है, आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच जंग छिड़ी है और कांग्रेस  ज्ञान दे रही है।  

दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील हो चुकी है। शुक्रवार को दिल्ली के ज्यादातर इलाकों का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार रहा, जबकि सांस लेने के लिए सबसे अच्छी हवा का AQI 50 से ज्यादा नहीं होना चाहिए, 100 AQI तक भी चल सकता है, लेकिन अगर उसके ऊपर AQI लेवल जाता है, तो हवा अच्छी नहीं मानी जाती। 150 से ऊपर AQI लेवल यानी रेड एलर्ट, लेकिन दिल्ली में तो ये 400 के पार है, और 500 तक पहुंचने वाला है। दिल्ली के कुछ इलाकों में हवा ज़हरीली हो चुकी है। बुराड़ी में AQI 465, आनंद विहार में 441,  जहांगीपुरी और वज़ीरपुर जैसे इंडस्ट्रियल एरिया में 491 पहुंच गया है। NCR के दूसरे शहरों का हाल तो और बुरा है। नोएडा में AQI लेवल 428, ग्रेटर नोएडा और फरीदाबाद में 498 है, ग़ाज़ियाबाद में 398 और गुरुग्राम में 372 दर्ज किया गया है। हालांकि लखनऊ, कानपुर और आगरा जैसे शहरों में भी प्रदूषण है लेकिन वहां हालात दिल्ली और नोएडा से बेहतर हैं। वैसे ये मुद्दा सियासत का नहीं है। ये दिल्ली NCR के लोगों की जिंदगी का सवाल है। इस वक्त सारे नेता प्रदूषण की बात कर रहे हैं, हर कोई प्रदूषण को काबू में करने का अपना अपना तरीका बता रहा है, लेकिन प्रदूषण हो क्यों रहा है, ये किसी को नहीं मालूम। दिल्ली में प्रदूषण की कई वजहें बताई जाती है। 

सबसे पहली वजह है दिल्ली की भौगौलिक स्थिति, दिल्ली चारों तरफ से ज़मीन से घिरी हुआ है। इसलिए उत्तर की तरफ से जब हवा चलती है, तो पाकिस्तान से लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक से प्रदूषण साथ लाती हैं। दूसरी वजह है पंजाब और हरियाणा में पराली का जलना। इस वक्त बुआई का मौसम है, धान कट चुकी है, खेत तैयार करने के लिए पाकिस्तान से लेकर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में पराली जलाई जाती है। इसका धुंआ दिल्ली का दम घोंटता है। हालांकि दिल्ली के पॉल्यूशन में पराली के धुंए का 20 से 25 परसेंट होता है। तीसरी बड़ी वजह है, दिल्ली में गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ। दिल्ली को ‘कार कैपिटल ऑफ दि वर्ल्ड’ कहा जाता है। दिल्ली में करीब 1 करोड़ गाड़ियां हैं। इनसे निकलने वाला धुआं भी दिल्ली में 17 परसेंट तक प्रदूषण बढ़ाता है। इसके अलावा कंस्ट्रक्शन से उठने वाली धूल और फैक्ट्रियों और कारखानों से निकलने वाले केमिकल और धुआं भी दिल्ली की हवा को ख़राब करते हैं। प्रदूषण में उद्योगों का योगदान क़रीब 11 परसेंट है। रिहाइशी इलाक़ों में इंसानी गतिविधियों से दिल्ली के प्रदूषण में 13 परसेंट का इज़ाफ़ा होता है। लेकिन, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने जहरीली हवा के लिए पड़ोसी राज्यों को ज़िम्मेदार ठहरा दिया। उन्होने यूपी, राजस्थान और हरियाणा का नाम लिया लेकिन पंजाब का नाम नहीं लिया। जबकि दो साल पहले तक केजरीवाल सरकार, दिल्ली के प्रदूषण के लिए पंजाब और हरियाणा को ही ज़िम्मेदार ठहराती थी लेकिन, अब पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। तो उस पर तो केजरीवाल की सरकार इल्ज़ाम नहीं लगा सकती। हालांकि, पंजाब में कितने बड़े पैमाने पर पराली जलाई जा रही है, उस पर नज़र डालें। इस सीज़न में पंजाब में पराली जलाने के क़रीब दस हज़ार मामले सामने आ चुके हैं। 2 नवंबर को पंजाब में पराली जलाने के 1921 केस सामने आए जो इस सीज़न में सबसे ज़्यादा हैं।  पंजाब के संगरूर, तरनतारन, फ़िरोज़पुर, मानसा और पटियाला ज़िलों में बड़े स्तर पर पराली जलाई जा रही। ख़ुद पंजाब के शहरों का AQI लेवल भी बढ़ गया है। बठिंडा में AQI 279, लुधियाना का 254 और अमृतसर में AQI लेवल 218 पहुंच चुका है, जो खतरनाक श्रेणी में है। 

वायु प्रदूषण से बचने में कुछ पौधे भी आपकी मदद कर सकते हैं। जैसे एरिका पाम, स्नेक प्लांट और मनी प्लांट। ये मैंने कुछ साल पहले भी बताए थे। न परिस्थितियां बदलीं हैं, न उपाय बदले हैं। IIT कानपुर की रिसर्च के मुताबिक ये पौधे  घर की हवा को साफ करते हैं, उसे सांस लेने लायक बनाते हैं। पहले पौधे का नाम है एरिका पाम। इसे लिविंग रूम प्लांट भी कहते हैं। ये पौधा नर्सरी में पचास रूपए में मिलता है। एरिका पाम न सिर्फ अच्छी मात्रा में आक्सीजन देता है बल्कि हवा में घुले Formaldehyde और कॉर्बन मोनो ऑक्साइड का प्रभाव कम करता है। अगर एरिका पाम के पांच फीट के चार पौधे आपके घर में हैं, तो घर के अंदर की हवा का 50% तक प्रदूषण खत्म हो जाएगा। इस पौधे को ज्यादा धूप की जरूरत नहीं होती। इसे तीन महीने में एक बार धूप में रखें तो भी काफी है। हवा को शुद्ध करने वाला दूसरा पौधा है, मदर-इन-लॉ टंग प्लांट। इसे बैडरूम प्लांट कहते हैं। कुछ लोग इसकी पत्तियों के आकार के कारण इसे स्नेक प्लांट भी कहते हैं। ये पौधा भी बहुत काम का है। ये दिन में भी ऑक्सीजन देता है। और रात में भी कॉर्बन डाई ऑक्साइड को Absorb कर ऑक्सीजन रिलीज करता है। अगर आपके घर में तीन फीट के छह स्नेक प्लांट हैं तो ये पौधे चार लोगों के परिवार के सांस लेने लायक ऑक्सीजन पैदा करने के लिए काफी हैं। हवा को शुद्ध करने वाला एक और पौधा है मनी प्लांट। मनी प्लांट शायद पैसा तो नहीं देता हैं लेकिन बीमारियों के इलाज में खर्च होने वाला बहुत सा पैसा बचा देता है। मनी प्लांट की भी यही खासियत है। इसे ज्यादा धूप की जरूरत नहीं होती। ज्यादा केयर की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन ये आपकी केयर करता है। इसकी खासियत ये है कि ये हवा में घुले जहरीले कणों के प्रभाव को कम करता है। टॉक्सिन को भी खत्म करके ये ताजा हवा रिलीज़ करता है। ये तीनों प्लांट आसानी से मिलते हैं, मंहगे नहीं हैं। इन्हें लगाने में ज्य़ादा मेहनत नहीं लगती। बार बार धूप में नहीं रखना पड़ता। इसलिए इन पौधों को घर में जरूर लगाइए। इन तीन पौधों को घरों में लगाकर आप पूरे परिवार को प्रदूषण से काफी हद तक बचा सकते हैं। अगर ज्यादातर घरों में इस तरह के नेचुरल एयर प्यूरीफायर होंगे तो शहर का प्रदूषण खुद ब खुद कम होगा। सरकार को जो करना है, वो करेगी लेकिन कम से कम हम और आप मिलकर ये छोटा उपाय करके प्रदूषण को कम करने में योगदान कर सकते हैं। ये आप को ज़हरीली हवा से बचाएगा और बाहर की हवा को भी साफ करने में मदद करेगा। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 03 नवंबर, 2023 का पूरा एपिसोड

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