ये समझना मुश्किल है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में प्रोटेस्ट मार्च किसके खिलाफ किया? हत्यारों को फांसी देने की मांग किससे की? वह मुख्यमंत्री हैं, सरकार उनकी है। कोर्ट ने पहले कहा था कि उनकी पुलिस ने सबूत मिटाने की कोशिश की। हाईकोर्ट ने कहा कि 14 अगस्त की रात को हॉस्पिटल में जो हुआ वो राज्य प्रशासन की विफलता थी। चीफ जस्टिस ने पूछा कि पुलिस उस वक्त क्या कर रही थी, लेकिन कोलकाता के पुलिस कमिश्नर अपनी पुलिस का जितना बचाव करते हैं उतना वो अपना और ममता बनर्जी का नुकसान करते हैं।
कमिश्नर ने उस निर्दोष बेटी के माता-पिता के बारे में नहीं सोचा जिन्हें बर्बरता की शिकार अपने बेटी का चेहरा देखने के लिए तीन घंटे तक खड़ा रखा। अस्पताल में तोड़फोड़ पर पुलिस कमिश्नर का जस्टिफिकेशन ये है कि पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की और इस दौरान 15 पुलिसवाले घायल भी हुए। जब पुलिसवाले खुद अपनी सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं तो वो डॉक्टरों को सुरक्षा का भरोसा कैसे दिलाएंगे? इसीलिए सवाल ममता बनर्जी से पूछे जा रहे हैं। जिन पुलिसवालों ने लापरवाही की, उनके खिलाफ कमिश्नर ने एक्शन क्यों नहीं लिया ? और जिस कमिश्नर ने अपनी पुलिस को क्लीन चिट देने की कोशिश की, उन्हें तुरंत बर्खास्त क्यों नहीं किया गया?
ममता बनर्जी कह रही हैं कि राम और वाम वाले इस पर राजनीति कर रहे हैं। मैं मानता हूं कि ऐसे संवेदनशील मामले पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। ममता दीदी को याद दिलाना पड़ेगा कि जब उत्तर प्रदेश के हाथरस में दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी तो उन्होंने अपनी पार्टी का प्रतिनिधिमंडल भेजा था। असल में इतना बड़ा देश है, इतनी सारी पार्टियों की सरकारें हैं, जिसके राज्य में कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना होती है वो दूसरे वालों की शासन में हुए घटनाओं की याद दिलाने लगता है। अपनी सरकारों के बारे में कोई नहीं बोलता।
असल में एक मानसिकता है, लड़के हैं गलती हो जाती है। दूसरी मानसिकता है जो अपराध करने वाले का मजहब ढूंढती है। तीसरी मानसिकता है कि ये तो होता रहता है। सच तो ये है कि निर्भया की जघन्य हत्या से हमने कुछ नहीं सीखा। न सोच बदली न सिस्टम बदला। क्या कोलकाता की बेटी के साथ जो जुल्म हुआ, उसके साथ जो बर्बरता हुई, वो राजनीतिक दलों को जगाएगी? क्या वो एक दूसरे की तरफ ऊंगली उठाने के बजाए अपना दिमाग इसमें लगाएंगे कि बलात्कारियों और हत्यारों के दिल में खौफ कैसे पैदा हो? आज तो हालत ये है कि अपराधी बेखौफ हैं और हमारी बेटियां डर से सहमी हुई हैं। इससे पहले की एक और ऐसी दरिंदगी हो, सबको नींद से जागना होगा। (रजत शर्मा)
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