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Rajat Sharma’s Blog: तेज़ी से बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले, सावधानी बरतें

मंगलवार को पूरे भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण के 1.68 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आए।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published on: January 12, 2022 15:33 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

पूरे भारत में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामलों के बीच सरकार ने कुछ खास शर्तों और प्रतिबंधों के साथ एंटी-वायरल दवा मॉलन्यूपिरावीर के इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है। मैंने पिछले हफ्ते 'आज की बात' में इस दवा का जिक्र किया था। यह दवा कोविड-19 से लड़ाई में काफी असरदार है, लेकिन इसका इस्तेमाल केवल वरिष्ठ नागरिकों और गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज के लिए ही किया जा रहा है। नौजवानों के लिए यह दवा हानिकारक हो सकती है।

सरकार ने मंगलवार को मॉलन्यूपिरावीर के इस्तेमाल को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दिए। यह दवा 60 साल से कम उम्र के सिर्फ उन मरीजों को दी जा सकती है जो पहले से शुगर, हार्ट, किडनी, लीवर या कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। नौजवानों को इस एंटी-वायरल दवा का इस्तेमाल करने से बचने की सलाह दी गई है क्योंकि यह शरीर में म्यूटेशन पैदा कर सकती है और प्रजनन प्रणाली को प्रभावित कर सकती है। कोरोना वायरस से गंभीर रूप से पीड़ित मरीज 800 मिलीग्राम की इस दवा को प्रतिदिन 2 बार ले सकते हैं। इस टैबलेट के 5 दिन के कोर्स से मरीज के कोरोना निगेटिव होने की संभावना काफी ज्यादा होती है। कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख डॉक्टर एन. के. अरोड़ा ने कहा है कि इस दवा को डॉक्टर की निगरानी में ही लेना सही है।

मॉलन्यूपिरावीर नाम की यह दवा अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनी मर्क ने डिवेलप की है। अमेरिका और ब्रिटेन में कोरोना के मरीजों के लिए इसके इस्तेमाल की इजाजत पहले ही दी जा चुकी है। भारत में लाइसेंस के तहत यह दवा अभी मैनकाइंड फॉर्मा कंपनी बना रही है। इसके अलावा 13 अन्य कंपनियां भी इस दवा को बनाएंगी। इस दवा का करीब 1,000 मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल किया गया और नतीजे सकारात्मक रहे। अमेरिका में अधिकारियों ने फाइजर द्वारा कोविड रोगियों के इलाज के लिए बनाई गई एक अन्य दवा पैक्सलोविड के इस्तेमाल की भी इजाजत दे दी है। ब्रिटेन ने एवुशेल्ड नाम की एंटी-कोविड ड्रग के इस्तेमाल को मंजूरी दी है जिसे कोविशील्ड वैक्सीन डिवेलप करने वाली दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने बनाया है। कोरोना के इलाज में अभी इन दवाओं को एक्सपेरिमेंटल तौर पर ही इजाजत दी गई है।

एक और सकारात्मक कदम उठाते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कोविड-19 सैंपल्स की टेस्टिंग के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अब एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाले लोगों के लिए कोरोना टेस्ट कराना जरूरी नहीं होगा। सिर्फ उन्हीं लोगों को टेस्ट कराना होगा जिनमें कोरोना के लक्षण है, एसिम्टोमैटिक लोगों को कोरोना का टेस्ट कराने की जरूरत नहीं होगी। ICMR ने जो गाइडलाइन्स जारी की हैं, उनके मुताबिक अब कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने वाले लोगों को कोरोना टेस्ट कराना जरूरी नहीं हैं। कोरोना के जिन मरीजों ने होम आइसोलेशन का वक्त पूरा कर लिया है, 7 दिन के बाद उन्हें निगेटिव माना जाएगा। जिन लोगों को खांसी, बुखार, कफ जैसे लक्षण हैं, जिनका गला खराब है या जिनको स्वाद या गंध नहीं आ रही, उन्हें कोरोना टेस्ट कराना होगा। इसके अलावा, 60 साल से ज्यादा के लोगों के लिए कोविड टेस्टिंग की गाइडलाइंस पहले जैसी ही रखी गई हैं। इंटरनेशनल ट्रैवल करने वालों को भी पहले की तरह कोविड टेस्ट कराना होगा।

ये कदम नए ओमिक्रॉन वैरिएंट की कम घातक प्रकृति को देखते हुए उठाए गए हैं। वायरस का यह वेरिएंट सिर्फ सांस की नली को प्रभावित करता है और आमतौर पर फेफड़ों तक नहीं पहुंचता है। ऐसे मरीजों को सांस लेने में तकलीफ नहीं होती है हालांकि उन्हें खांसी और गले में खराश की समस्या हो सकती है। वायरस के इस वेरिएंट की चपेट में आने वाले लोगों का ऑक्सीजन लेवल कम नहीं होता है। वायरस से संक्रमित होने के बाद केवल वरिष्ठ नागरिक या गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीज ही इस समय आईसीयू में हैं, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।

मंगलवार को पूरे भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण के 1.68 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आए। इस समय देश में ऐक्टिव मामलों की संख्या 8 लाख से ज्यादा है। इनमें से सिर्फ 4,461 मामले ओमिक्रॉन वेरिएंट से जुड़े हैं। चूंकि जीनोम सीक्वेंसिंग में वक्त लगता है, और एक टेस्ट में 15 से 20 हजार का खर्चा होता है, इसलिए ये टेस्ट कम हो रहे हैं। नागपुर में सरकार ने 32 सैंपल्स की जीनोम सीक्वेंसिंग करवाई थी, उनमें से 27 सैंपल्स ओमिक्रॉन वेरिएंट के मिले, यानी 82 पर्सेंट मामले ओमिक्रॉन वेरिएंट के थे। सरकार यह बात मानती है कि ओमिक्रॉन जल्द ही डेल्टा वेरिएंट से आगे निकल सकता है, लेकिन यह ज्यादा घातक नहीं है। भारत में 88 प्रतिशत वयस्कों ने वैक्सीन की कम से कम एक डोज ले ली है। टास्क फोर्स के प्रमुख डॉक्टर एन. के. अरोड़ा कहते हैं कि सिर्फ कोविड प्रोटोकॉल का गंभीरता से पालन करके ही वायरस को फैलने से रोका जा सकता है।

मैं आपको एक बार फिर बता दूं कि ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा के मुकाबले कम खतरनाक है, लेकिन इसका मतलब ये कतई नहीं होना चाहिए कि लापरवाही शुरू कर दी जाए और खतरे को हल्के में लिया जाए। इस बार अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या भले ही कम है, लेकिन केस काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। यदि केस ऐसे ही तेजी से बढ़ते रहे तो हमारा हेल्थ सिस्टम दबाव में आ सकता है।

लगभग हर दिन बड़ी संख्या में डॉक्टर, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और फ्रंटलाइन वर्कर्स संक्रमित हो रहे हैं। चंडीगढ़ में 196 डॉक्टर कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए, बिहार में 300 से ज्यादा डॉकटरों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, और अकेले लखनऊ में 200 से ज्यादा डॉक्टरों को वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया। अगर डॉक्टर आइसोलेशन में चले जाते हैं तो अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन होने के बावजूद बाकी मरीजों को परेशानी होगी। सभी को इस वायरस से बचने की हरसंभव कोशिश करनी चाहिए। 63 करोड़ भारतीय पहले ही वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं। 88 प्रतिशत वयस्क आबादी टीके की कम से कम एक खुराक ले चुकी है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। अब आपको बताते हैं कि दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन में क्या हो रहा है।

मंगलवार की रात 'आज की बात' शो में हमने चीन में एक कमरे वाले कोविड डिटेंशन कैंप्स की कतारें दिखाई थीं। कोरोना से संक्रमित लोगों को इन कैंप्स में रहने के लिए मजबूर किया जा रहा है। माचिस की डिबिया जैसे इन कमरों में एक छोटा सा टॉइलेट होता है, और इसी कमरे में कोरोना के मरीज को रहने के लिए मजबूर किया जाता है। उसके बाहर जाने की सख्त मनाही होती है। चीनी अफसर रात में रिहायशी इलाकों में छापेमारी करते हैं, लोगों को उठाते हैं और उन्हें जबरन बसों में बैठाकर इन कोविड कैंप्स में ले जाते हैं। इन कैंप्स में लोगों को आजादी के अधिकार से वंचित कर दिया जाता है।

52 लाख की आबादी वाले चीन के आन्यांग शहर में कोरोना वायरस से संक्रमित सिर्फ 57 लोगों का पता चला था। इसके बाद अधिकारियों ने पूरे शहर में सख्त लॉकडाउन लागू कर दिया और पूरी आबादी का अब आरटी-पीसीआर टेस्ट हो रहा है। इस समय चीन के 3 शहरों में संपूर्ण लॉकडाउन है। किसी को भी घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। भारत की तुलना में, जहां हल्के कोविड संक्रमण वाले लोगों को होम आइसोलेशन में रहने की इजाजत है, चीन में तस्वीर अलग है। कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को बसों में बैठाकर जबरन डिटेंशन कैंप ले जाया जाता है।

अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और इटली में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इन देशों के कई शहरों में आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। भारत में, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु और कई अन्य शहर कोरोना के हॉटस्पॉट हुए हैं और यहां रोजाना हजारों केस सामने आ रहे हैं। भारत में सरकार चीन की तरह सख्ती नहीं कर सकती।

कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करते हुए हमें यह भी समझने की कोशिश करनी चाहिए कि डॉक्टर कह क्या रहे हैं। नया ओमिक्रॉन वेरिएंट कम घातक है और यह केवल 3 से 4 दिन तक ऐक्टिव रहता है और 7वें दिन तक मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है। बहुत कम लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है। उम्मीद जताई जा रही है कि तीसरी लहर अगले महीने तक कमजोर पड़ जाएगी और इसके संकेत जनवरी के अंत से दिखाई देने लगेंगे। तब तक हम सबको मास्क लगाकर बाहर निकलना चाहिए, सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करना चाहिए और अपने हाथों को 20 सेकेंड तक बार-बार धोना चाहिए। खुद को सुरक्षित रखने का यह सबसे कारगर तरीका है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 11 जनवरी, 2022 का पूरा एपिसोड

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