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Rajat Sharma’s Blog: कांग्रेस में मोदी के जवाब को सुनने की हिम्मत भी होनी चाहिए

मोदी ने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए गए हर आरोप का जवाब दिया।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Updated : February 09, 2022 18:19 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस पर एक और तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस एक प्रकार से अर्बन नक्सल के चंगुल में फंस गई है, और उसकी सारी सोच और गतिविधि विनाशकारी बन गई है, और यह देश के लिए चिंता का विषय है।

साफ शब्दों में कहें तो मोदी यह बताना चाह रहे थे कि वर्तमान कांग्रेस नेतृत्व अब 'अर्बन नक्सल्स के कब्ज़े में' है।

मोदी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस भाषण पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि संविधान में कहीं भी भारत का उल्लेख एक राष्ट्र के रूप में नहीं किया गया है, बल्कि भारत का उल्लेख सिर्फ ‘राज्यों के संघ’ के रूप में किया गया है।

मोदी ने संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा लगाए गए हर आरोप का जवाब दिया। मोदी ने अपनी सरकार के काम गिनाए, लेकिन जब उन्होंने परिवारवाद की राजनीति पर बोलना शुरू किया, तो उनकी बात सदन के अंदर मौजूद कांग्रेस के अधिकतर सांसदों को चुभ गई।

मोदी ने कहा कि कांग्रेस की सारी राजनीति एक परिवार (गांधी-नेहरू) के इर्दगिर्द घूमती है। मोदी ने गांधी परिवार की चार-चार पीढ़ियों पर अटैक किया। मोदी ने नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी, और राजीव गांधी से राहुल गांधी तक किसी को नहीं छोड़ा। उन्होंने कांग्रेस सदस्यों को याद दिलाया कि कैसे महात्मा गांधी ने आजादी के तुरंत बाद कांग्रेस पार्टी को भंग करने की सलाह दी थी।

मोदी ने कहा, ‘मैं सोच रहा हूं कि कांग्रेस न होती तो क्‍या होता। क्‍योंकि महात्‍मा गांधी की इच्‍छा थी, क्‍योंकि महात्‍मा गांधी को मालूम था कि इनके रहने से क्‍या-क्‍या होने वाला है। और इन्‍होंने कहा था पहले से इसको खत्‍म करो, इसको बिखेर दो। महात्‍मा गांधी ने कहा था। लेकिन अगर न होती, महात्‍मा गांधी की इच्‍छानुसार अगर हुआ होता, अगर महात्‍मा गांधी की इच्‍छा के अनुसार कांग्रेस न होती तो क्‍या होता- लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्‍त होता, भारत विदेशी चश्‍मे की बजाय स्‍वदेशी संकल्‍पों के रास्‍ते पर चलता।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अगर कांग्रेस न होती तो इमरजेंसी का कलंक न होता। अगर कांग्रेस न होती तो दशकों तक करप्‍शन को संस्‍थागत बनाकर नहीं रखा जाता। अगर कांग्रेस न होती तो जातिवाद और क्षेत्रवाद की खाई इतनी गहरी न होती। अगर कांग्रेस न होती तो सिखों का नरसंहार न होता, सालों-साल पंजाब आतंक की आग में न जलता। अगर कांग्रेस न होती तो कश्‍मीर के पंडितों को कश्‍मीर छोड़ने की नौबत न आती। अगर कांग्रेस न होती तो बेटियों को तंदूर में जलाने की घटनाएं न होतीं। अगर कांग्रेस न होती तो देश के सामान्‍य मानवी को घर, सडक, बिजली, पानी, शौचालय, मूल सुविधाओं के लिए इतने सालों तक इंतजार न करना पड़ता।’

कांग्रेस नेताओं ने बहस के दौरान आरोप लगाया था कि वर्तमान सरकार इतिहास को बदलने की कोशिश कर रही है। मोदी ने कहा: ‘यहां पर ये भी चर्चा हुई कि हम इतिहास बदलने की कोशिश कर रहे हैं। कई बार बोला जाता है। बाहर भी बोला जाता है। और कुछ लोग लिखा जाते हैं। मैं देख रहा हूं कि कांग्रेस एक प्रकार से अर्बन नक्सल के चुंगल में फंस गई है। उनकी पूरी सोचने के तरीकों को अर्बन नक्सलों ने कब्जा कर लिया है। और इसलिए उनकी सारी सोच गतिविधि डिस्ट्रक्टिव बन गई है। और देश के लिए चिंता का विषय है। बड़ी गंभीरता से सोचना पड़ेगा। अर्बन नक्सल ने बहुत चालाकी पूवर्क कांग्रेस की इस दुर्दशा का फायदा उठाकर के उसके मन को पूरी तरह कब्जा कर लिया है। उसकी विचार प्रवाह को कब्जा कर लिया है। और उसी के कारण बार–बार ये बोल रहे हैं कि इतिहास बदल रहा है।’

मोदी ने कहा, ‘हम सिर्फ कुछ लोगों की याददाश्त को ठीक करना चाहते हैं। थोड़ा उनका मैमोरी पावर बढ़ाना चाहते हैं। हम कोई इतिहास बदल नहीं रहे हैं। कुछ लोगों का इतिहास कुछ ही सालों से शुरू होता है। हम जरा उसको पहले ले जा रहे हैं और कुछ नहीं कर रहे हैं। अगर उनको 50 साल के इतिहास में मजा आता है, तो उनको 100 साल तक ले जा रहे हैं। किसी को 100 साल तक मजा आता है, उसको हम 200 साल के इतिहास में ले जा रहे हैं। किसी को 200 साल में मजा आता है तो 300 ले जाते हैं। अब जो 300–350 ले जाएंगे तो छत्रपति शिवाजी का नाम आएगा ही आएगा। हम तो उनकी मैमोरी को तेज कर रहे हैं। हम इतिहास बदल नहीं रहे।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कुछ लोगों का इतिहास सिर्फ एक परिवार तक सीमित है, क्या करें इसका। और इतिहास तो बहुत बड़ा है। बड़े पहलू हैं। बड़े उतार-चढ़ाव हैं। और हम इतिहास के दीर्घकालीन कालखंड को याद कराने का प्रयास कर रहे हैं। क्योंकि गौरवपूर्ण इतिहास को भूला देना इस देश के भविष्य के लिए ठीक नहीं है। ये हम अपना दायित्व समझते हैं। और इसी इतिहास से सबक लेते हुए हमने आने वाले 25 साल में देश को नई उचाईयों पर ले जाने का एक विश्वास पैदा करना है। और मैं समझता हूं ये अमृत कालखंड अब इसी से बढ़ने वाला है।’

मोदी ने गोवा मुक्ति संग्राम के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू की भूमिका को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा: ‘गोवा मुक्ति को 60 साल हुए हैं। मैं आज जरा उस चित्र को कहना चाहता हूं। हमारे कांग्रेस के मित्र जहां भी होंगे, जरूर सुनते होंगे। गोवा के लोग जरूर सुनते होंगे मेरी बात को। जिस प्रकार से सरदार पटेल ने हैदराबाद के लिए रणनीति बनाई, इनीशिएटिव लिए। जिस प्रकार से सरदार पटेल ने जूनागढ़ के लिए रणनीति बनाई, कदम उठाए। अगर सरदार साहब की प्रेरणा लेकर के गोवा के लिए भी वैसी ही रणनीति बनाई होती, तो गोवा को हिन्‍दुस्‍तान आजाद होने के 15 साल तक गुलामी में नहीं रहना पड़ा होता। भारत की आजादी के 15 साल के बाद गोवा आजाद हुआ और उस समय के 60 साल पहले के अखबार उस जमाने की मीडिया रिपोर्ट बताती है कि तब के प्रधानमंत्री अंतरराष्ट्रीय छवि का क्या होगा। ये उनकी सबसे बड़ी चिंता का विषय था, पंडित नेहरू को। दुनिया में मेरी छवि बिगड़ जाएगी तो। और इसलिए उनको लगता था कि गोवा की औपनिवेशिक सरकार पर आक्रमण करने से उनकी जो एक ग्लोबल लेवल लीडर की शांतिप्रिय नेता की छवि है वो चकनाचूर हो जाएगी।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पंडित नेहरू ने सोचा, गोवा को जो होता है होने दो। गोवा को जो झेलना पड़े झेलने दो। मेरी छवि को कोई नुकसान न हो और इसलिए जब वहां सत्याग्रहियों पर गोलियां चल रही थी, विदेशी सल्तनत गोलियां चला रही थी। हिन्दुस्तान का हिस्सा, हिन्दुस्तान के ही मेरे भाई–बहन उनपर गोलियां चल रही थीं, और तब हमारे देश के प्रधानमंत्री ने कहा था कि मैं सेना नहीं दूंगा। मैं सेना नहीं भेजूंगा। सत्याग्रहियों की मदद करने से उन्होंने इनकार कर दिया था। ये गोवा के साथ कांग्रेस ने किया हुआ जुल्म है। और गोवा को 15 साल ज्यादा गुलामी की जंजीरों में जकड़ के रखा गया। और गोवा के अनेक वीरपुत्रों को बलिदान देना पडा। लाठी गोलियों से जिंदगी बशर करनी पड़ी।’

कम से कम राहुल गांधी को तो इस बात का शिकायत नहीं करनी चाहिए कि नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर हमला किया। राहुल गांधी खुद भी तो अपने हर भाषण में, अपनी हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में, अपने ट्वीट्स में सिर्फ मोदी पर हमला करते हैं, और प्रधानमंत्री ने संसद के दोनों सदनों में उन्हें तीखे अंदाज में जवाब दिया।

यहां तक कि मंगलवार को भी मोदी के जवाब के बाद राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, ‘मोदी हमसे डरते हैं। उन्होंने मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों का जवाब नहीं दिया।’ पिछले 8 सालों से राहुल गांधी कभी ‘सूट-बूट की सरकार’, कभी ‘अंबानी-अडानी की सरकार’ कहकर आरोप लगाते रहे हैं। कभी वह कहते हैं कि मोदी ने देश को बर्बाद कर दिया, कभी कहते हैं मोदी चीन से डरते हैं, कभी कहते हैं कि मोदी डिक्टेटर हैं। ऐसी कितनी बातें गिनवाई जा सकती हैं जब राहुल ने पीएम के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया। इसलिए अगर मोदी ने कांग्रेस के परिवारवाद पर सवाल उठाए, अगर 84 के दंगों की, कश्मीरी पंडितों के पलायन की याद दिलाई तो वह गलत कैसे हो गए? अगर मोदी ने ये कहा कि कांग्रेस ने कहां-कहां और कितनी बार राज्य सरकारों को बर्खास्त किया तो ये कहना गलत कैसे हुआ?

राहुल गांधी बार-बार इल्जाम लगाते हैं कि मोदी सिर्फ अपने उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए काम करते हैं। अगर मोदी ने ये बता दिया कि किसानों को अब उनकी फसल पर ज्यादा MSP दिया, किसानों के खाते में डायरेक्ट पैसा पहुंचाया, कोरोना के दौरान कोई भूखा नहीं रहा, 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को राशन दिया गया, भारत में करीब करीब 100 पर्सेंट एलिजिबल लोगों को वैक्सीन की पहली डोज, और 80 फीसदी वयस्क लोगों को वैक्सीन की 2 डोज लग चुकी है, लाखों गरीबों के लिए मकान बनाए, 5 करोड़ लोगों तक नल से जल पहुंचाया गया तो ये बताना गलत कैसे हुआ?

जो लोग इल्जाम लगाते हैं, उनमें जवाब सुनने की हिम्मत भी होनी चाहिए। लोकतंत्र में कोई वन-वे ट्रैफिक नहीं होता। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 8 फरवरी, 2022 का पूरा एपिसोड

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