सियासत के मैदान में एक बार फिर राम का नाम आया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस नहीं चाहती थी राम मंदिर बने लेकिन मंदिर बनकर तैयार है, लाखों भक्त रोज रामलला के दर्शन कर रहे हैं, अब हालात ये हैं कि राम के अस्तित्व को नकारने वाले भी राम राम जप रहे हैं लेकिन राहुल गांधी ने राम मंदिर के बारे में बिल्कुल दूसरी तरह की बात की। राहुल ने कहा कि गरीब, दलित, आदिवासी, पिछड़े, हर जगह 'जय श्रीराम, जय श्रीराम' चिल्लाते रहते हैं, क्या नारा लगाने से रोजगार मिलेगा? क्या नारा लगाने से रोटी मिलेगी? राहुल ने कहा कि लोगों ने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का समारोह देखा था, वहां बड़े बड़े लोग थे, कोई गरीब नहीं था। मोदी के रामराज में गरीबों के लिए कोई जगह नहीं है। राहुल गांधी के इस बयान को बीजेपी ने बड़ा इश्यू बना दिया क्योंकि राहुल गांधी ने इसी तरह की बात इससे पहले कोरबा में भी कही थी। प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा कि कांग्रेस की इतनी दयनीय हालत इससे पहले कभी नहीं थी, अब सहयोगी दलों को तो छोड़िए कांग्रेस के अपने नेता भी पार्टी छोड़ छोड़कर जा रहे हैं।
मोदी की इस बात पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मुहर लगा दी। खरगे ने महाराष्ट्र में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से कहा कि बड़ी मुसीबत है, क्या कहें, समझ में नहीं आता, पार्टी ने जिनको सबकुछ दिया, वो भी ऐन मौके पर धोखा दे रहे हैं, पार्टी छोड़ रहे हैं। इस पर अशोक चव्हाण ने बता दिया कि उन्होंने कांग्रेस क्यों छोड़ी। अशोक चव्हाण ने कहा कि वो कभी पार्टी की कृपा से राजनीति में आगे नहीं बढ़े, जनता ने उन्हें चुनकर भेजा। चव्हाण ने कहा कि दिक्कत ये है कि कांग्रेस ने जमीन पर काम करने वाले कार्यकर्ता बचे नहीं हैं, जो बचे हैं, उनकी सुनने वाला कोई नहीं हैं, महाराष्ट्र के कई जिलों में कांग्रेस के चुनाव लड़ने वाले नेता नहीं हैं, टिकट मांगने वाला कोई नहीं हैं। उन्होंने पार्टी हाईकमान को जमीनी हालत बताई लेकिन उनकी सुनी नहीं गई, इसके बाद वो क्या करते। चव्हाण ने कहा कि अब ज्यादा वक्त नहीं हैं लेकिन फिर भी उनकी आलोचना करने के बजाय कांग्रेस के नेता पार्टी की हालत सुधारने पर फोकस करें, तो उनका भला हो सकता है।
दिलचस्प बात ये है कि जो बात अशोक चव्हाण ने मुंबई में कही, वही बात दूसरे शब्दों में रेवाड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कही। मोदी ने कहा कि कांग्रेस इस वक्त सबसे बुरे दौर में हैं, कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, कांग्रेस के साथी दल भी उसे छोडकर भाग रहे , इसकी एक ही वजह है, कांग्रेस एक ही परिवार के चक्र में फंसी है, एक नॉन स्टार्टर के स्टार्टअप को लॉन्च करने में लगी है। ये बात किसी से छुपी नहीं है कि पिछले कुछ वक्त में कांग्रेस के तमाम बड़े बड़े नेता पार्टी छोड़कर चले गए। जब से राहुल गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली तो पुराने जनाधार वाले नेता साइडलाइन हो गए। गुलाम नबी आजाद, कैप्टन अमरिन्दर सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, किरण ऱेड्डी, जितिन प्रसाद, विजय बहुगुणा, अशोक चव्हाण, मिलिंद देवड़ा, राव इन्द्रजीत सिंह, हिमंत विश्व शर्मा, पेमा खांडू... बहुत लंबी लिस्ट है, सब कांग्रेस छोड़ गए।
कांग्रेस ने सबको चुका हुआ, धोखेबाज नेता बताया, लेकिन जिसने भी कांग्रेस छोड़ी उनमें से ज्यादातर ने राहुल गांधी की कार्यशैली को नाराजगी की वजह बताया। इसलिए अब कांग्रेस के नेताओं को इस बात पर आत्ममंथन करना चाहिए कि क्या इसके लिए मोदी जिम्मेदार हैं। लेकिन अशोक चव्हाण की ये बात सही है कि कांग्रेस के नेताओं को फिलहाल आत्ममंथन के लिए फुर्सत नहीं हैं क्योंकि उनका फोकस सिर्फ राहुल गांधी की यात्रा पर है भले ही इस यात्रा के चक्कर में सीट शेयरिंग में देर हो जिसके कारण सहयोगी भी कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं। अब ज्यादातर राज्यों में तो एंटी-मोदी मोर्चा बिखर गया है। अब ले देकर सिर्फ बिहार में RJD ही कांग्रेस के साथ बची है। (रजत शर्मा)
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