Sunday, December 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Rajat Sharma’s Blog: विपक्षी गठबंधन में उलझनें

Rajat Sharma’s Blog: विपक्षी गठबंधन में उलझनें

आम आदमी पार्टी को लगता है कि कांग्रेस के नेता जानबूझकर अपने नेताओं से इस तरह के बयान दिलवाते हैं, ताकि केजरीवाल की पार्टी पर प्रेशर बनाया जा सके लेकिन इस खेल में AAP भी माहिर है।

Written By: Rajat Sharma
Published : Aug 17, 2023 17:49 IST, Updated : Aug 17, 2023 17:49 IST
Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Nuh Violence, Rajat Sharma
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

विपक्षी दलों को लेकर बने मोदी विरोधी गठबंधन में कन्फ्यूज़न बढ़ता जा रहा है। 26 पार्टियों के I.N.D.I.A. नाम के गठबंधन के पार्टनर्स की बयानबाजी से अटकलों का दौर चला। शरद पवार और नीतीश कुमार को लेकर भी अटकलों का बाज़ार गर्म रहा।

कांग्रेस और केजरीवाल

लोकसभा चुनाव को लेकर दिल्ली कांग्रेस की एक बैठक पार्टी हाईकमान ने बुलाई थी। इस मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ-साथ दिल्ली के पार्टी इंचार्ज दीपक बाबरिया, दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी, अजय माकन, संदीप दीक्षित, हारून यूसुफ, किरन वालिया, अरविंदर सिंह लवली जैसे कई बड़े नेता मौजूद थे। जैसे ही ये मीटिंग खत्म हुई, दिल्ली कांग्रेस की प्रवक्ता अलका लाम्बा ने साफ-साफ कह दिया कि दिल्ली में कांग्रेस सभी सातों लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। इसके बाद दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने अरविंद केजरीवाल पर सीधा अटैक किया। अनिल चौधरी ने कहा उनकी पार्टी भ्रष्टाचार और शराब नीति के साथ-साथ बाढ़ से हुई तबाही को लेकर अरविंद केजरीवाल को छोडे़गी नहीं।

दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने  कहा कि ये दोनों ही कांग्रेस के छोटे नेता हैं। उनकी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा, ये I.N.D.I.A. अलायंस की मीटिंग के बाद तय होगा। आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती ने कहा कि अभी तक ये साफ नहीं है कि ये स्टैंड कांग्रेस का है या फिर दिल्ली कांग्रेस का, लेकिन दिल्ली कांग्रेस के नेताओं को ये बात समझनी चाहिए कि अगर मोदी को हटाना है तो फिर ऐसी तुच्छ राजनीति बीच में नहीं आनी चाहिए। पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि अगर जो बात अल्का लाम्बा ने कही है, वह कांग्रेस पार्टी का स्टैंड है, तो फिर I.N.D.I.A. अलायंस की मीटिंग में जाने का कोई मतलब नहीं बनता। आम आदमी पार्टी  का जब कांग्रेस को कड़ा संदेश गया तो पार्टी की लीडरशिप ने एक बार फिर दिल्ली कांग्रेस के नेताओं को बुलाया। कांग्रेस पार्टी के दिल्ली के इंचार्ज दीपक बाबरिया ने साफ-साफ कहा कि अगर किसी ने जल्दबाजी में कुछ कह दिया, तो वो कांग्रेस का ऑफिशियल स्टैंड नहीं है। बात सिर्फ इतनी है कि दिल्ली को लेकर कांग्रेस में कन्फ्यूजन है। कांग्रेस के स्थानीय नेता दिल्ली की सातों सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते है। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व आम आदमी पार्टी को विपक्षी दलों के अलायंस में बनाए रखना चाहती है। इसीलिए ये विरोधाभास दिखाई दे रहा है। आम आदमी पार्टी को लगता है कि कांग्रेस के नेता जानबूझकर अपने नेताओं से इस तरह के बयान दिलवाते हैं, ताकि केजरीवाल की पार्टी पर प्रेशर बनाया जा सके लेकिन इस खेल में आम आदमी पार्टी भी माहिर है। उन्होंने काउंटर प्रेशर बना दिया। AAP ने कह दिया कि अगर यही रुख रहेगा तो फिर वो अलायंस की अगली बैठक में नहीं जाएंगे। पिछली मीटिंग के दौरान भी आम आदमी पार्टी का ऐसा ही प्रेशर काम आया था। हालांकि मुझे लगता है कि इस फैसले पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी कि दिल्ली में तकरार की वजह से अलायंस में फूट पड़ जाएगी। जब जब सीटों के बंटवारे पर बात होगी, जहां जहां सीटों के बांटने को लेकर चर्चा होगी, इसी तरह की तकरार सामने आएगी। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की असली तकरार  तो पंजाब में होगी जहां आम आदमी पार्टी की जबरदस्त जीत हुई थी। वहां 13 सीटों में से एक पर भी कांग्रेस जीतने की स्थिति में नहीं है। पंजाब में बीजेपी भी कमजोर है, इसीलिए केजरीवाल सारी 13 सीटों पर लड़ने का दावा कर सकते हैं।

शरद पवार

दिक़्कत सिर्फ़ आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच नहीं है। कांग्रेस को डर है कि महाराष्ट्र में शरद पवार भी खेल कर सकते हैं, I.N.D.I.A. गठबंधन छोड़कर अलग हो सकते हैं। असल में कांग्रेस को लग रहा है कि शरद पवार जिस तरह बार-बार अपने भतीजे अजित पवार से मिल रहे हैं, उससे उन पर भरोसा करना महंगा पड़ सकता है। कांग्रेस सवाल उठा रही है कि जब अजित पवार, बीजेपी के साथ चले गए हैं तो फिर शरद पवार उनसे क्यों मिल रहे हैं। दोनों की पिछली मुलाक़ात, शनिवार को पुणे में, एक बिज़नेसमैन के घर पर हुई थी। इसके बाद, कांग्रेस के सब्र का बांध टूट गया। कांग्रेस के नेता शरद पवार के इरादों पर सवाल उठाने लगे। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि शरद पवार अपना स्टैंड क्लियर करें। कांग्रेस के एक और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि अजित पवार, शरद पवार के पास बीजेपी का ऑफ़र लेकर गए थे। बीजेपी, उनको केंद्र में मंत्री बनाने को तैयार है। बीजेपी, शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को भी केंद्र में मंत्री बनाने के लिए राज़ी है। कांग्रेस की तरफ़ से बयान आया तो NCP ने जवाब देने में देर नहीं की। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने बीजेपी से किसी तरह का ऑफ़र मिलने की बात को सिरे से ख़ारिज कर दिया। सुप्रिया सुले ने कहा कि अगर कांग्रेस के नेताओं को पता है कि शरद पवार को क्या ऑफ़र दिया गया, तो वो इसकी पूरी जानकारी जनता को दें। महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने NCP के ज़ख़्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की।  नाना पटोले ने कहा कि कांग्रेस को तो शरद पवार पर पूरा भरोसा है लेकिन, शरद पवार जिस तरह बार-बार अजित पवार से मुलाक़ात कर रहे हैं, उसको लेकर जनता में कनफ्यूज़न ज़रूर है। जब दिन भर ख़ूब बयानबाज़ी हो चुकी, कांग्रेस, शिवसेना और NCP के नेताओं ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ भड़ास निकाल ली तो शाम को शरद पवार बोले। शरद पवार ने कहा, वो किसी भी क़ीमत पर बीजेपी के साथ नहीं जाने वाले। वो पूरे ज़ोर-शोर से 31 अगस्त को होने वाली INDIA की बैठक की तैयारी कर रहे हैं और इस बार देश को मोदी का विकल्प देंगे, मोदी को सत्ता में नहीं लौटने देंगे।

शरद पवार ने भतीजे अजित पवार से मुलाक़ात पर भी तस्वीर साफ़ की। पवार ने कहा कि वो परिवार में सबसे बड़े हैं और परिवार का कोई भी मसला होता है तो उनसे सलाह ली जाती है। अजित पवार इसीलिए उनसे पुणे में मिले थे और वो कोई ऑफ़र लेकर नहीं आए थे। एनसीपी में होने वाली इस तरह की हर गतिविधि पर कांग्रेस की नज़र है। और शरद पवार की बिडंबना देखिए। वो बार बार कह रहे हैं कि वो बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे, वो बार बार दावा कर रहे हैं कि वो मोदी को हटाने के लिए काम करेंगे, वो बार बार बता रहे हैं कि वो विरोधी दलों के अलायंस के साथ हैं लेकिन महाराष्ट्र में उनके दोनों अलायंस पार्टनर उद्धव की शिवसेना और कांग्रेस उनकी बात पर यकीन करने को तैयार नहीं है। उनका शक भी बेवजह नहीं है। भतीजे पवार की बगावत के बाद चाचा पवार उनसे पांच बार मिल चुके हैं। आखिरी मीटिंग तो सीक्रेट थी, वो लीक हो गई। इसीलिए शक होना लाजिमी है। मुझे लगता है कि शरद पवार ने फाइनल फैसला नहीं लिया है। वो हालात को तौल रहे हैं। किसमें कितना है दम, इसका अंदाजा लगा रहे हैं। शरद पवार दूर की सोचते हैं। कोई फैसला जल्दबाजी में नहीं करते। आज की तारीख में उनके दोनों हाथों में लड्डू है, इसीलिए उन्हें कोई जल्दी नहीं है।

नीतीश कुमार

ऐसा लग रहा है कि बिहार में भी I.N.D.I.A. गठबंधन में सब-कुछ ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका परोक्ष संकेत भी दिया। 15 अगस्त के कार्यक्रम में जहां पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और राबड़ी देवी भी मौजूद थे, और नीतीश कुमार के डिप्टी तेजस्वी यादव भी, इस प्रोग्राम में नीतीश कुमार ने बिना नाम लिए हुए लालू-राबड़ी राज पर बड़ा हमला बोला। नीतीश ने कहा कि उनके मुख्यमंत्री बनने से पहले बिहार की हालत बहुत ख़राब थी, न रोज़ी-रोज़गार के मौक़े थे, न पढ़ाई लिखाई की सुविधा। लड़कियां तो घर से निकलने में भी डरती थीं। नीतीश ने कहा कि 2006 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से उन्होंने बिहार को बदल डाला है। अगले ही दिन वो दिल्ली आये और सीधे अटल बिहारी वाजपेयी के समाधि स्थल गए, उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। नीतीश काफ़ी समय तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे थे, NDA गठबंधन का हिस्सा रहे थे।   श्रद्धांजलि देने के बाद नीतीश ने कहा कि वह दिल से अटल जी का सम्मान करते हैं और आज भी उनको याद करते हैं।  नीतीश ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी की वजह से ही वह NDA में शामिल हुए, उनके आशीर्वाद से ही मुख्यमंत्री भी बने। मुझे नहीं लगता कि नीतीश कुमार के पास अब बीजेपी के साथ लौटने का विकल्प बचा है, लेकिन उन्होंने इतनी बार पलटी मारी है, इतनी बार पलटी मारी है कि कोई भी दावे से कुछ नहीं कह सकता। पिछले कुछ हफ्तों के डेवलपमेंट देख लीजिए। पहले वो राज्य सभा के उपसभापति  हरिवंश से मिले। घंटों बात की। मैसेज गया कि वो हरिवंश के माध्यम से मोदी का मन टटोल रहे हैं। फिर उन्होंने लालू यादव के जमाने की सरकार की आलोचना की। आरजेडी को ये बात शूल की तरह चुभी। नीतीश कुमार अटल जी की समाधि पर फूल चढ़ाने पहुंच गए, ऐसा लगा कि नीतीश कुमार ये इंप्रेशन देना चाहते हैं कि उनको बीजेपी से कोई समस्या नहीं है। उनकी समस्या मोदी और अमित शाह से है। अपनी प्राइवेट बातचीत में वो कहते हैं कि अटल जी, आडवाणी जी उनको बहुत आदर देते थे, जो उन्हें मोदी और शाह से नहीं मिलता है। अब इन बातों का मतलब ये लगाया गया कि अगर हवा दोगे तो मैं लौट के आ सकता हूं। हालांकि मैं फिर कहूंगा कि इसकी संभावना बहुत कम है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 16 अगस्त, 2023 का पूरा एपिसोड

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement