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Rajat Sharma’s Blog: कानपुर शहर काज़ी जैसे मौलानाओं को भड़काऊ बयान देने से बचना चाहिए

अगर काज़ी खुद ही वकील बन जाएगे, खुद ही पैरवी करेंगे, खुद ही जज बनकर फैसला करेंगे तो फिर क्या कहा जा सकता है।

Written by: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : June 08, 2022 18:42 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

कई मौलानाओं ने मंगलवार को प्रशासन और पुलिस को स्पष्ट धमकी देते हुए कहा है कि अगर कानपुर में पथराव करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई तो इसके अंजाम भुगतने होंगे। कानपुर के शहर काज़ी अब्दुल कुद्दूस ने कहा कि अगर मुसलमानों के खिलाफ ऐक्शन जारी रहा तो हम सिर पर कफन बांधकर सड़क पर निकलेंगे।

काज़ी के पूरा बयान आपके सामने लाने से पहले मैं यह बता दूं कि वह कोई आम मुसलमान नहीं हैं और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य पत्थरबाजी करते हुए पकड़ा गया है। यह बात अगर कोई आम आदमी कहता, जिसके खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की, या उसके परिवार का कोई शख्स कहता, तो उसे नाराजगी या गुस्सा मानकर नजरअंदाज किया जा सकता था। लेकिन अगर मुसलमानों के पारिवारिक मामलों को देखने वाले, शहर के काज़ी इस तरह का भड़काऊ बयान देते हैं, तो यह चिंता की बात है।

शहर काज़ी अब्दुल कद्दूस की तीन आपत्तियां हैं: पहली- बेकसूर मुस्लिम लड़कों को पकड़ा जा रहा है, दूसरी- सिर्फ मुसलमान लड़कों को ही जेल में डाला जा रहा है, पुलिस एकतरफा ऐक्शन कर रही है, और तीसरी- अगर आरोपियों की संपत्ति पर बुलडोजर चला, अगर सरकार ने आरोपियों की संपत्ति जब्त की, तो फिर मुसलमान कफन बांधकर निकलेगा। काज़ी ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस 95 फीसदी कार्रवाई मुसलमानों के खिलाफ कर रही है जबकि 2 या 3 फीसदी हिंदुओं के खिलाफ ऐक्शन लिया जा रहा है। उन्होंने धमकी दी, ‘मुसलमान खामोश नहीं बैठेंगे।’

3 जून को जब राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और मुख्यमंत्री कई कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए कानपुर के पास राष्ट्रपति के गांव गए थे, तो जुमे की नमाज के तुरंत बाद कुछ जिहादी तत्वों ने कानपुर शहर में हिंसा की आग भड़का दी। इन जिहादी तत्वों ने कुछ दिन पहले गुप्त बैठकें की थीं, और उन्होंने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ बीजेपी प्रवक्ता के आपत्तिजनक बयान के विरोध में दुकानों-बाज़ारों को बंद करने का आह्वान किया था।

इस हिंसा के कथित सूत्रधार हयात ज़फर हाशमी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) और गैंगस्टर ऐक्ट के तहत 9 आपराधिक मामले पहले से दर्ज हैं। वह एक YouTube चैनल चलाता है जिसमें वह काफी ज़हरीली भाषा का इस्तेमाल करता है। दंगाइयों ने पत्थरों और ईंटों के बड़े-बड़े ढेर जमा कर रखे थे, जिनका इस्तेमाल हिंसा के दौरान खुल कर किया गया था।

CCTV वीडियो में साफ-साफ दिख रहा है कि इस हिंसा की प्लानिंग पहले से की गई थी और पथराव करने वालों को भड़काऊ नारे लगाकर उकसाया जा रहा था। हिंसा जल्द ही पांच थाना क्षेत्रों कोतवाली, कलेक्टरगंज, बेकनगंज, चमनगंज और बजरिया में फैल गई। पथराव करने वालों ने दुकानों, गाड़ियों, पुलिस और घरों को निशाना बनाया। अब तक 50 से ज्यादा आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं और पुलिस ने पूरे शहर में 40 आरोपियों के पोस्टर चिपका दिए हैं। मुख्य आरोपी हयात ज़फर हाशमी, जावेद अहमद खान, मोहम्मद सूफियान और मोहम्मद साहिल को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस के पोस्टर में जिनके नाम हैं उनमें से कई लोगों ने सरेंडर कर दिया है। स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि वह दंगाइयों से जुर्माना वसूलेगा।

हमारे रिपोर्टर पवन नारा ने शहर काज़ी अब्दुल कुद्दूस से बात की और उनसे पूछा कि उन्होंने ऐसा भड़काऊ बयान क्यों दिया। काज़ी ने कहा कि उन्होंने जो भी बयान दिया है, ठीक दिया है और सोच-समझकर दिया है। उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार घर तोड़ देगी, बुलडोजर चलाएगी, बेगुनाह लोगों को गिरफ्तार करेगी, तो फिर कफन बांधकर निकलने के अलावा रास्ता क्या है। अगर पुलिस ज्यादती करेगी तो बोलना ही पड़ेगा।’

अगर काज़ी खुद ही वकील बन जाएगे, खुद ही पैरवी करेंगे, खुद ही जज बनकर फैसला करेंगे तो फिर क्या कहा जा सकता है। कानुपर में 3 जून को जुमे की नमाज के बाद जो हुआ, वह छोटी बात नहीं थी। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री शहर में थे, इसके बावजूद दंगे की साजिश की गई। 6 मोबाइल फोन से 16 हजार मैसेज फॉरर्वर्ड किए गए थे। आग लगाने की पूरी तैयारी थी, और काज़ी साहब कह रहे हैं कि यह कोई इतनी बड़ी बात नहीं थी।

पुलिस बिना किसी सबूत के, बिना किसी गवाह के किसी को नहीं पकड़ रही है। CCTV वीडियो देखकर एक-एक आरोपी की पहचान हो रही है। फिर वीडियो से स्टिल इमेज निकाल कर बाकायदा शहर भर मे दंगा करने वालों के पोस्टर लगाए जा रहे हैं। जो लोग पत्थरबाजी करते हुए, आगजनी करते हुए दिख रहे हैं, उनकी पहचान जनता से करवाई जा रही है। गवाह ढूंढ़े जा रहे हैं और उसके बाद आरोपियों को पकड़ा जा रहा है।

इसलिए यह कहना कि पुलिस ज्यादती कर रही है, सिर्फ मुसलमानों को पकड़ रही है, ठीक नहीं है। क्या काज़ी चाहते हैं कि पुलिस हिंदुओं को झूठे आरोपों में गिरफ्तार करे, क्योंकि उन्होंने तो पत्थरबाजी की नहीं थी?

मैंने यूपी पुलिस के कई बड़े अधिकारियों से बात की है और उनमें से ज्यादातर ने कहा कि पुलिस यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रही है कि बेगुनाहों की गिरफ्तारी न हो। कानपुर पुलिस का कहना है कि अब तक गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी CCTV वीडियो में पत्थरबाजी करते नजर आ रहे हैं। जब इंडिया टीवी के रिपोर्टर पवन नारा ने काज़ी को इसकी ओर इशारा किया, तो उन्होंने कहा, ‘यह कोई इतना बड़ा मसला तो नहीं था। लड़के हैं, लड़कों से गलतियां हो जाती हैं। उन्हें माफ कर देना चाहिए।’

हिंसा करने वालों, पत्थरबाजी करने वालों, दंगा करने वालों को नादान समझकर माफ नहीं किया जा सकता। वे सांप्रदायिक दंगा भड़काने की साजिश का हिस्सा थे। पुलिस के मुताबिक, कुछ दंगाइयों ने 'बम' बनाने के लिए स्थानीय पेट्रोल पंपों से पेट्रोल खरीदा था। ऐसे युवकों को शहर काज़ी नादान कैसे कह सकते हैं?

शहर काज़ी को मामला शायद इसलिए छोटा लग रहा है क्योंकि पुलिस ने वक्त पर कार्रवाई की और एक बड़े सांप्रदायिक टकराव को टाल दिया। इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ, किसी की जान नहीं गई, ज्यादा नुकसान नहीं हुआ, वरना साजिश तो शहर को जलाने की थी। अगर पुलिस मुस्तैद न होती तो कानपुर में आग लग जाती, धुंआ उठ रहा होता, तब शहर काज़ी पुलिस को जिम्मेदार ठहराते।

काज़ी दावा कर रहे हैं कि वह तो शहर के लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हकीकत तो यह है कि उनके बयान मुसलमानों को भड़काने का काम कर रहे हैं। इसका असर गली मुहल्लों में दिख भी रहा है। पुलिस जब बजरिया थाना इलाके में एक आरोपी को गिरफ्तार करने गई तो स्थानीय मुसलमानों ने उसका जबरदस्त विरोध किया।

कानपुर रेंज के जॉइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि फील्ड में काम कर रहे पुलिस अफसरों को हिदायत दी गई है कि संयम से काम लेना है, और अगर आरोपी के परिवार वाले या इलाके के लोग कार्रवाई का विरोध करते हैं तो सख्ती करने के बजाए समझा-बुझाकर हालात को कंट्रोल करना है। कानपुर के पुलिस कमिश्नर विजय मीणा ने इंडिया टीवी के रिपोर्टर विशाल प्रताप सिंह को बताया कि सभी गिरफ्तारियां सबूतों के आधार पर ही हो रही हैं, और पुलिस कानून के हिसाब से काम कर रही है।

पुलिस बिना किसी भेदभाव के काम कर रही है। रोमा ग्राफिक प्रिंटिंग प्रेस के मालिक शंकर प्रसाद, जिन्हें दुकानों को बंद करने का आह्वान करने वाले पोस्टर छापने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, एक हिंदू है। हयात जफर हाशमी ने बंद बुलाया था और उसके पोस्टर शंकर प्रसाद के प्रिंटिंग प्रेस में छपे थे। शंकर प्रसाद ने इसकी जानकारी पुलिस को नहीं दी थी, इसलिए अब हवालात की हवा खा रहे हैं। शंकर प्रसाद का कहना है कि वह निर्दोष हैं, उन्होंने केवल 10 पोस्टर छापे, और सिर्फ 200 रुपये का काम किया। उन्होंने कहा कि उनको इन पोस्टरों में बंद के आह्वान के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

काज़ी ने अपना भड़काऊ बयान इसलिए दिया होगा क्योंकि उन्हें डर था कि दंगाइयों की प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चल सकता है। यूपी पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) प्रशांत कुमार ने बताया कि स्थानीय प्रशासन दंगाइयों से जुर्माना वसूलने की तैयारी कर रहा है और उनकी अवैध संपत्तियों की पहचान की जा रही है। उन्होंने कहा कि अब तक उन आरोपियों की 147 अवैध संपत्तियों की पहचान की जा चुकी है और उनपर कानून का हथौड़ा चलेगा। उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री और बीजेपी के नेता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि जो दंगा करेगा, उसकी संपत्ति पर बुलडोजर चलेगा। उन्होंने कहा कि शहर काज़ी को अमन-चैन की बात करनी चाहिए, पुलिस को धमकी देने की नहीं।

योगी का ट्रैक रिकॉर्ड बिल्कुल साफ है। उनकी कार्यशैली सबको पता है। बेगुनाह को छेड़ो मत, गुनहगार को छोड़ो मत, पुलिस को उनकी तरफ से यही निर्देश हैं। लखनऊ में CAA के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान इसी तरह का हंगामा हुआ था, पत्थरबाजी और आगजनी हुई थी। उसके बाद योगी सरकार ने आरोपियों के पोस्टर छापे, गिरफ्तारियां हुईं, संपत्ति जब्त हुई और अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चले। तबसे यह ट्रेंड बन गया है।

अब तमाम गैगस्टर्स के खिलाफ, दंगा करने वालों के खिलाफ इस तरह का सख्त ऐक्शन होता है। यही वजह है कि यूपी की कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है। अगर पुलिस मुस्तैद है, अपराधियों को पकड़ रही है, दंगा फसाद करने वालों पर लगाम लगा रही है, तो यह पुलिस का काम है। अगर कानून वयवस्था अच्छी होगी, तो अपराधियों के हौसले पस्त होंगे। इससे हिंदू हों या मुसलमान, सबकी जिदंगी में अमन-चैन होगा, सब सुरक्षित रहेंगे।

इस तरह के मामलों को मजहबी रंग देना ठीक नहीं है। कम से कम मौलानाओं को, धर्मगुरुओं को इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए, जैसी कानपुर के शहर काज़ी ने कहीं। इस तरह के बयानों से असामाजिक तत्वों को ताकत मिलती है, उनके हौसले बढ़ते हैं। इस प्रवृत्ति पर खुद मजहब से जुड़े लोगों को अंकुश लगाना चाहिए। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 07 जून, 2022 का पूरा एपिसोड

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