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Rajat Sharma’s Blog: क्या नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट कर पाएंगे?

दिल्ली जाने से पहले नीतीश कुमार ने सोमवार को पटना में आरजेडी के सर्वेसर्वा लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर उनसे सलाह मशविरा किया।

Written By: Rajat Sharma
Published on: September 06, 2022 17:42 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों तमाम विपक्षी दलों के नेताओं से मिल रहे हैं। उनका लक्ष्य है,  2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सभी गैर-बीजेपी दलों को एक मंच पर लाना।

31 अगस्त को पटना में तेलंगाना राष्ट्र समिति के सर्वेसर्वा, मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने नीतीश कुमार से मुलाकात की, लेकिन विपक्ष को एक मंच पर लाने के सवाल पर बात नहीं बन पायी। मीडिया में ऐसी खबरें थीं कि केसीआर कांग्रेस को विपक्षी मोर्चे से बाहर रखना चाहते थे, लेकिन नीतीश कुमार का कहना था कि बगैर कांग्रेस और वाम दलों को शामिल किए मजबूत विपक्षी एकता नहीं हो सकती।

पटना में हुई प्रेस कांफ्रेंस में दोनों नेताओं के हाव-भाव सब कुछ बयां कर रहे थे। जब पत्रकारों ने प्रधानमंत्री पद के  संभावित उम्मीदवार के बारे में सवाल पूछा तो नीतीश कुमार जाने के लिए उठ खड़े हुए। केसीआर ने कई बार नीतीश कुमार को 'बैठिये' कहकर रोका, लेकिन नीतीश ने सवाल लेने से इनकार कर दिया और केसीआर से 'चलिये' कहते हुए उन्हें अपने साथ ले गए।

दिल्ली जाने से पहले नीतीश कुमार ने सोमवार को पटना में आरजेडी के सर्वेसर्वा लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर उनसे सलाह मशविरा किया। लालू अभी बीमार हैं और अपनी पत्नी राबड़ी देवी के सरकारी आवास में रह रहे हैं। खबरों के मुताबिक, लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को विपक्षी एकता के रास्ते में आने वाली बाधाओं से निपटने का प्लान समझा दिया । बैठक में लालू के बेटे और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी मौजूद थे। पत्रकारों ने जब मुलाकात के दौरान हुई बातचीत के बारे में पूछा तो नीतीश कुमार ने टाल-मटोल करते हुए कहा, ‘लालू जी मेरे बड़े भाई जैसे हैं। मैं उनका आशीर्वाद लेने आया था। हम दोनों के विचार एक जैसे हैं।’

जो बात नीतीश कुमार ने नहीं बताई, वह उनके डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने बता दी। तेजस्वी ने कहा, 'नीतीश कुमार को सभी विपक्षी दलों को लामबंद करने का काम सौंपा गया है। अगर सभी विपक्षी दल एकजुट हो गए तो 2024 का चुनाव बीजेपी के लिए मुश्किल होगा।’

नीतीश कुमार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से दिल्ली में उनके आवास पर करीब एक घंटे तक मुलाकात की। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश कुमार ने  कहा, ‘मेरा प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनने का कोई इरादा नहीं है। बीजेपी क्षेत्रीय दलों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है और मेरी कोशिश ये है कि आम चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट किया जाय।’

एक पत्रकार ने जब पूछा कि अगर प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर उनके नाम पर सहमति बनती है तो क्या वह इसके लिए तैयार होंगे, तो नीतीश कुमार ने कहा, 'मैंने इसके बारे में नहीं सोचा है। मैं सिर्फ अपने बारे में सोचता हूं।’ अब इस बयान के कई मतलब हैं, आप जो चाहें मतलब निकाल लें।

नीतीश कुमार ने सोमवार को जनता दल (सेक्युलर) के प्रमुख एचडी कुमारस्वामी से भी मुलाकात की और विपक्षी एकता के प्रयासों पर चर्चा की। गौर करने वाली बात यह है कि कर्नाटक में अपनी सरकार गिरने के बाद कुमारस्वामी ने कांग्रेस के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया था।

मंगलवार को नीतीश कुमार ने CPI(M) के महासचिव सीताराम येचुरी और CPI के नेता डी. राजा से मुलाकात की। प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में जब पत्रकारों ने फिर सवाल पूछा, तो नीतीश कुमार ने कहा, 'मैं दावेदार नहीं हूं और न ही इसे लेकर मेरी कोई इच्छा है। हमारा पूरा ध्यान सभी वाम दलों, क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस को एकजुट करने पर है। हम सभी एकजुट हो जाएं , यही सबसे बड़ी बात होगी।'

विपक्षी नेताओं के साथ नीतीश कुमार की बैठकों से वामपंथी नेताओं को भी थोड़ी उम्मीद जगी है। सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा, 'नीतीश कुमार ने यह मान लिया है कि उन्होंने बीजेपी के साथ जाकर गलती की थी। अब विरोधी दल निश्चित रूप से उनका स्वागत करेंगे। जहां तक प्रधानमंत्री पद की दावेदारी का सवाल है तो नीतीश कुमार में पीएम बनने के सारे गुण हैं, लेकिन फिलहाल इस मुद्दे पर बात करने का यह वक्त नहीं है।’

नीतीश कुमार ने रविवार को अपनी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया था कि उन्होंने 2017 में बीजेपी के साथ गठबंधन करके बड़ी गलती की थी। उन्होंने कहा, ‘मैं यह गलती दोबारा नहीं करूंगा।’ उसी दिन इसके जवाब में  बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा, ‘नीतीश कुमार इस तरह कई बार गलती मान चुके हैं। 2013 में बीजेपी के साथ जाने पर गलती मानी थी। फिर 2017 में जिंदगी में दोबारा कभी आरजेडी के साथ न जाने की कसम खाई थी, और अब फिर कह रहे हैं कि बीजेपी के साथ जाना गलत था। इसीलिए लालू यादव ने उन्हें पलटूराम का नाम दिया था।’

मंगलवार को नीतीश कुमार ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के चीफ अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। नीतीश इसके बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो शरद पवार, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और इंडियन नेशनल लोकदल के प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला से भी मुलाकात करेंगे।

कुल मिलाकर विपक्ष का कोई भी नेता यह नहीं कहता कि उसे प्रधानमंत्री बनना है। सब यही कहते हैं कि उनकी कोई इच्छा नहीं है। नीतीश कुमार के अलावा राहुल गांधी भी यही कहते हैं, केजरीवाल भी यही कहते हैं, केसीआर भी यही कहते हैं, ममता भी यही कहती हैं। लेकिन हकीकत यही है कि झगड़ा प्रधानमंत्री की कुर्सी का ही है। प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पर ही बात बिगड़ जाती है वरना मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कोशिशें तो पहले भी बहुत हुई हैं।

जहां तक नीतीश कुमार का सवाल है तो दोनों पार्टियों के कई बड़े नेता आपसी बातचीत में यह बताते हैं कि लालू ने नीतीश को दोबारा समर्थन ही इसी शर्त पर दिया है कि फिलहाल नीतीश मुख्यमंत्री रहेंगे, लेकिन 2024 के पहले वह देश की सियासत में जाएंगे और सीएम की कुर्सी पर तेजस्वी यादव बैठेंगे। यही वजह है कि नीतीश कुमार सभी विपक्षी दलों के नेताओं से मिल रहे हैं और उन्हें मोदी विरोधी मोर्चा बनाने के लिए राजी करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। नीतीश अभी से 2024 की तैयारी में जुट गए हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 05 सितंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

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