देश में बढ़ रही मजहबी कट्टरता को खत्म करने के लिए भारत सरकार ने मंगलवार रात को एक बड़ा कदम उठाया। सरकार ने जिहादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और इससे जुड़े संगठनों पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया और उन्हें गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत 'अवैध' घोषित कर दिया।
इससे पहले देशभर में दो चरणों में PFI नेताओं की धरपकड़ हुई थी। मंगलवार को सुबह 3 बजे से 11 बजे तक हुई धरपकड़ में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक, केरल और गुजरात में 300 से ज्यादा PFI कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था। उत्तर प्रदेश में मेरठ, बुलंदशहर, लखनऊ, कानपुर और गाजियाबाद से 57 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।
मुस्लिम नौजवानों को फिरकापरस्त बनाने, हवाला के जरिये पैसे मंगवाने और आतंकी संगठनों के साथ रिश्ता रखने के आरोपों के कारण वैसे भी पिछले कई महीनों से PFI सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर था। इस प्रतिबंध के बाद देश भर में बीजेपी और RSS दफ्तरों के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई और दिल्ली, मुंबई समेत यूपी के कई शहरों में पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
PFI के जिन सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगा है उनमें रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, नेशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पॉवर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन (केरल) के नाम शामिल हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में आरोप लगाया है कि PFI के कुछ संस्थापक सदस्य ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ (SIMI) के नेता रह चुके हैं और PFI के तार जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB) से भी जुड़े हैं। JMB और SIMI दोनों ही प्रतिबंधित संगठन हैं। अधिसूचना में कहा गया कि ‘PFI के इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों के भी कई मामले सामने आए हैं।’
मंत्रालय ने कहा, ‘PFI और उसके सहयोगी या मोर्चे देश में असुरक्षा होने की भावना फैलाकर एक समुदाय में कट्टरता बढ़ाने के लिए गुप्त रूप से काम कर रहे हैं, जिसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि PFI के कुछ कार्यकर्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए हैं।’
अधिसूचना में कहा गया, ‘PFI कई आपराधिक और आतंकी मामलों में शामिल रहा है और यह देश के संवैधानिक प्राधिकार का अनादर करता है तथा बाह्य स्रोतों से प्राप्त धन और वैचारिक समर्थन के साथ यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है।’
सरकारी सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में PFI नेता मोहम्मद नदीम के पास से इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) बनाने का मैनुअल बरामद किया गया था। यूपी के खदरा में PFI नेता अहमद बेग नदवी के पास से एक और मैनुअल बरामद हुआ था जिसका शीर्षक ‘आसानी से उपलब्ध सामग्री का इस्तेमाल करके IED कैसे बनाया जाए’ था।
सूत्रों ने कहा कि तमिलनाडु में SDPI के रामनाड जिला अध्यक्ष बरकतुल्लाह के घर से 2 Lowrance LHR-80 फ्लोटिंग मरीन हैंडहेल्ड VHF/GPS रेडियो और नेविगेटर सेट बरामद किए गए। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय ने PFI के अध्यक्ष ओ.एम. अब्दुल सलाम के पास से एक डायरी बरामद की। सलाम के करीबी सहयोगी मोहम्मद इस्माइल ने भारत में 'गृहयुद्ध जैसी स्थिति पैदा करने के लिए' एक खौफनाक साजिश के बारे में खुलासा किया था।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, PFI के दो वरिष्ठ नेता पी. कोया और ई.एम. अब्दुल रहमान की अल-कायदा से जुड़े तुर्की के एक संगठन IHH ने खुफिया तौर पर मेजबानी की थी। NIA ने कई ‘आपत्तिजनक दस्तावेज’ भी जब्त किए हैं, जो विदेशों से आतंकी संगठनों की मदद से भारत में इस्लामी निज़ाम कायम करने के PFI के मकसद की ओर इशारा करते हैं।
सूत्रों ने बताया कि PFI के कई वरिष्ठ नेताओं के पास से हथियार और भारी मात्रा में नकदी जब्त की गई है। PFI के 'मिशन 2047' (भारत को इस्लामिक स्टेट में बदलने) से संबंधित प्रचार सामग्री और CD, PFI की महाराष्ट्र इकाई के उपाध्यक्ष के पास से जब्त की गईं। यूपी में PFI नेताओं के पास से ISIS, 'गजवा-ए-हिंद' (भारत में इस्लामी राज्य) से संबंधित वीडियो वाली पेन ड्राइव जब्त की गई हैं।
भारत के 17 से ज्यादा राज्यों में PFI की मौजूदगी है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि PFI के नेता अक्सर अपने कैडर से कहते हैं कि वे हिंसा का रास्ता अपनायें और भारत के सेक्यूलर ताने-बाने को नुकसान पहुंचाएं। पुलिस और NIA ने अब तक अलग अलग राज्यों में PFI और उससे जुड़े संगठनों के खिलाफ 1,300 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज किए हैं। सूत्रों के मुताबिक, पिछले साल नवंबर में केरल में एक RSS कार्यकर्ता संजीत की हत्या में भी PFI कार्यकर्ताओं का हाथ था।
तमिलनाडु में PFI कार्यकर्ताओं ने 2019 में एक हिंदू नेता वी. रामलिंगम की हत्या कर दी थी। PFI के लोगों ने 2010 में कथित ईशनिंदा के आरोप में केरल में एक प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ बेरहमी से काट दिया था। सूत्रों ने बताया कि केरल में PFI ने पदम वन इलाके का इस्तेमाल अपने कैडर को मिलिट्री ट्रेनिंग देने के लिए एक अड्डे के तौर पर कर रहा था।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई और बीजेपी के अन्य नेताओं ने प्रतिबंध का स्वागत किया, वहीं AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने इसे ‘मनमाना कदम’ बताया, हालांकि उन्होंने कहा कि वह PFI की सोच से सहमत नहीं हैं। ओवैसी ने कहा, ‘इस तरह का कठोर प्रतिबंध खतरनाक है क्योंकि यह ऐसे किसी भी मुसलमान पर प्रतिबंध है जो अपने मन की बात कहना चाहता है। मैंने यूएपीए कानून का विरोध किया है और मैं हमेशा इस कानून के तहत होने वाली कार्रवाई का विरोध करता रहूंगा।’
कांग्रेस ने इस मामले में बीच का रास्ता अपनाया। पार्टी के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि उनकी पार्टी सभी प्रकार की सांप्रदायिकता के खिलाफ है, चाहे वह अल्पसंख्यक हो या बहुसंख्यक। उन्होंने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस की नीति हमेशा उन सभी विचारधाराओं और संस्थानों से लड़ने की रही है जो हमारे समाज का ध्रुवीकरण करने के लिए धर्म का गलत इस्तेमाल करते हैं, जो धर्म का दुरुपयोग पूर्वाग्रह, नफरत, कट्टरता और हिंसा फैलाने के लिए करते हैं।’ RJD नेता लालू प्रसाद यादव ने कहा, ‘ये लोग बिना मतलब PFI का हौवा खड़ा कर रहे हैं । हिंदू कट्टरपंथ फैलाने वाले RSS पर पहले प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।’
सियासी बयान अपनी जगह हैं, हक़ीक़त ये है कि PFI और उसके सहयोगियों पर प्रतिबंध सही समय पर उठाया गया कदम है। PFI नेताओं की मंशा खतरनाक थी और वे कानून को चकमा देने में काफी माहिर हो चुके थे। PFI नेता और कार्यकर्ता सोशल मीडिया के जरिए नफरत फैला रहे थे और इसके लिए वे अपने संचार तंत्र का तेज़ी से इस्तेमाल कर रहे थे।
सरकार PFI, उसकी पोलिटिकल विंग और स्टूडेंट विंग के खिलाफ कार्रवाई की योजना पिछले कई महीनों से बना रही थी। इसके लिए खुफिया एजेंसियों से मिले इनपुट की मदद ली गई और इस पूरे ऑपरेशन को NIA ने विभिन्न राज्यों की पुलिस की मदद से कोऑर्डिनेट किया। UAPA कानून के तहत गिरफ्तार सभी लोगों को यह बताने के लिए 15 दिनों का वक्त दिया जाएगा कि उनका PFI और उसके संगठनों से किसी भी तरह का रिश्ता है या नहीं। उन्हें यह साबित करने के लिए भी 30 दिनों का वक्त दिया जाएगा कि उनके घरों का इस्तेमाल आतंकी और हिंसक गतिविधियों के लिए किया गया या नहीं। अगर वे ऐसा नहीं कर पाये, तो उन्हें UAPA कानून के तहत कम से कम 2 साल जेल में बिताने पड़ सकते हैं और जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। (रजत शर्मा)
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