Tuesday, November 05, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Rajat Sharma’s Blog: गांधी परिवार के बारे में गुलाम नबी आजाद का खुलासा

Rajat Sharma’s Blog: गांधी परिवार के बारे में गुलाम नबी आजाद का खुलासा

गुलाम नबी आजाद ने पहली बार खुलासा किया कि सोनिया गांधी इसलिए डरी हुई थीं क्योंकि बीजेपी की कुछ महिला नेताओं ने उन्हें पीएम बनाए जाने पर उनका विरोध करने का फैसला किया था।

Written By: Rajat Sharma
Updated on: April 08, 2023 15:44 IST
Rajat Sharma Blog, Ghulam Nabi Azad, Ghulam Nabi Azad Aap Ki Adalat, Narendra Modi- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

अपने जीवन के 50 बरस कांग्रेस को देने वाले ग़ुलाम नबी आज़ाद ने मेरे शो 'आप की अदालत' में गांधी परिवार के बारे में कई ऐसे बड़े खुलासे किए जो आप को हैरान कर देंगे। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि 2004 में सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री बनने से क्यों मना कर दिया था। इस तरह के कुछ ऐसे अनसुने राज़ हैं, जो बरसों से लोगों के दिलो दिमाग़ में हैं। सब जानना चाहते हैं कि 2004 में सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री बनते-बनते क्यों रह गईं? गुलाम नबी आजाद ने यह भी खुलासा किया कि सोनिया गांधी के इनकार करने पर कांग्रेस ने डॉक्टर मनमोहन सिंह को पीएम क्यों बनाया ? उस समय सोनिया गांधी ने किसी दूसरे पर भरोसा क्यों नहीं किया? प्रणब मुखर्जी का नंबर क्यों नहीं आया? गुलाम नबी आजाद ने एक और राज पर से पर्दा उठाया कि प्रियंका गांधी को राजनीति में आने से किसने रोका? क्यों, कांग्रेस में उनकी एंट्री देर से हुई, राहुल का नम्बर पहले क्यों आया? ग़ुलाम नबी आज़ाद ने इन सभी सवालों के जवाब दिए। उन्होंने पंजाब में कांग्रेस की बुरी हार के बारे में भी खुलासा किया। क्या नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब में कांग्रेस को डुबोया? ऐसे सारे सवालों के जवाब गुलाम नबी आजाद ने 'आप की अदालत' में दिए। यह पूरा शो आप आज रात 10 बजे इंडिया टीवी पर देख सकते हैं।

इस शो में आपको इस सवाल का जवाब मिलेगा कि 2004 के चुनाव परिणामों के बाद ग़ुलाम नबी आज़ाद ने, DMK, BSP, LDF जैसे राजनीतिक दलों को सूचना दे दी थी कि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनने वाली हैं पर आख़िरी मौक़े पर सोनिया गांधी ने पीएम बनने से क्यों इनकार कर दिया? आजाद ने पहली बार खुलासा किया कि सोनिया गांधी इसलिए डरी हुई थीं क्योंकि बीजेपी की कुछ महिला नेताओं ने उन्हें पीएम बनाए जाने पर उनका विरोध करने का फैसला किया था। आजाद ने यह भी खुलासा किया कि रायबरेली में अपनी मां के लिए प्रचार करने के बावजूद प्रियंका को सक्रिय राजनीति में क्यों नहीं लाया गया? आजाद ने यह भी खुलासा किया है कि प्रियंका ने आज तक कोई चुनाव क्यों नहीं लड़ा?  जब सोनिया गांधी ने लोकसभा चुनाव के समय रायबरेली और बेल्लारी, दोनों सीटें जीत ली थीं तब भी ग़ुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी को सुझाव दिया था कि वो बेल्लारी की सीट अपने पास रख लें और, रायबरेली के उपचुनाव में प्रियंका गांधी को उम्मीदवार बनाएं। प्रियंका उस वक़्त रायबरेली में सोनिया गांधी का काम संभालती थीं। लेकिन सोनिया ने बेल्लारी की सीट छोड़ दी और रायबरेली की सीट अपने पास रख ली। मैंने ग़ुलाम नबी से पूछा कि राहुल गांधी को इतनी तरजीह क्यों दी गई ?  प्रियंका को राजनीति में आने में इतनी देर क्यों हुई? इस पर ग़ुलाम नबी आज़ाद ने जो बताया वो हैरान करनेवाला था।  ग़ुलाम नबी आज़ाद ने साफ़-साफ़ कहा कि वो गांधी परिवार के बारे में बहुत कुछ जानते हैं लेकिन, परिवार की व्यक्तिगत बातें कभी किसी को नहीं बताएंगे। बहुत से राज़ ऐसे हैं, जो उनके साथ ही जाएंगे।

एक ख़ास बात यह रही कि कांग्रेस छोड़ने के बावजूद ग़ुलाम नबी आज़ाद ने सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी की आलोचना नहीं की लेकिन राहुल गांधी पर उन्होंने बहुत तीखे हमले किए। वे मानते हैं कि राहुल गांधी ने कांग्रेस को कहीं का नहीं छोड़ा। ग़ुलाम नबी आज़ाद का कहना है कि राहुल गांधी किसी की नहीं सुनते। अगर कोई उन्हें सलाह देता है, तो राहुल कहते हैं कि तुम मोदी के आदमी हो। गुलाम नबी आजाद के साथ 'आप की अदालत' आज रात 10 बजे आप इंडिया टीवी पर जरूर देखें। अगर आप इस शो को मिस कर सकते हैं तो रविवार सुबह 10 बजे देख सकते हैं।

राहुल पर बरसे अमित शाह

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी और आजमगढ़ में रैलियों को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह राहुल गांधी पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि राहुल की सदस्यता उनकी अपनी गलती के कारण गई है। अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी विदेश में जाकर देश का अपमान करते हैं और जब माफी की मांग की जाती है तो कह देते हैं कि माफी नहीं मांगूगा। अमित शाह ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में नहीं है, लेकिन परिवारवाद (गांधी) खतरे में है। अमित शाह ने कहा कि अगर कांग्रेस को मोदी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है तो खुला मैदान है। राहुल जगह और तारीख तय कर लें, बीजेपी का हर कार्यकर्ता दो-दो हाथ करने को तैयार है। राहुल गांधी के विदेशों में दिए बयान पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कभी-कभी दुख होता है जब हमारे देश के कुछ लोग विदेश में जाकर देश के खिलाफ बोलते हैं। अमित शाह के भाषण से ये भी साफ हो गया है कि आने वाले चुनावों में बीजेपी राहुल के बयान को बड़ा मुद्दा बनाएगी। चुनावी सभाओं में भी राहुल गांधी से माफी की मांग की जाएगी लेकिन राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कह चुके हैं कि वो गांधी हैं सावरकर नहीं, और गांधी कभी माफी नहीं मांगता। अब कांग्रेस के सामने मुश्किल यह है कि इस मुद्दे पर उसके पास बीजेपी के इल्जामात का कोई जवाब नहीं है।

विपक्षी एकजुटता चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस के नेता यह मान चुके हैं कि अब मोदी को हराना पार्टी के अकेले की बस की बात नहीं है। मोदी से मुकाबला करना है तो विरोधी दलों को मिलकर लड़ना होगा। इसलिए अब कांग्रेस ने उसी दिशा में कोशिशें शुरू कर दी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे अब मोदी विरोधी मोर्चे के नेताओं से एक-एक करके फोन पर बात कर रहे हैं और अगले लोकसभा चुनाव में गठबंधन की संभावनाएं तलाश रहे हैं। खरगे ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन और शिवसेना (उद्धव) प्रमुख उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की। इस मामले में दो रुकावटें हैं। पहला क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व और दूसरा प्रधानमंत्री पद का चेहरा। असल में चाहे बिहार में जनता दल यूनाइटेड हो या आरजेडी हो, बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी या बहुजन समाज पार्टी, दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी, तेलंगाना में केसीआर की बीआरस हो या फिर जो भी क्षेत्रीय पार्टियां हों, ये अपने अपने राज्यों में कांग्रेस का बेस खत्म करके ही मजबूत हुई हैं। इसलिए उन राज्यों में ये पार्टियां कांग्रेस को फिर से जमीन देंगी, इसकी गुंजाइश कम दिखती है। क्योंकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव राहुल गांधी के साथ हाथ मिलाकर देख चुके हैं। उस वक्त मुलायम सिंह ने कहा कि अखिलेश ने बड़ी भूल की है और कांग्रेस के साथ जाना समाजवादी पार्टी के लिए घातक है। चुनाव नतीजों से मुलायम सिंह सही साबित हुए। दूसरी बात यह है कि ममता बनर्जी हों या नीतीश कुमार, वे राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानेंगे, इसकी उम्मीद भी कम है। क्योंकि दोनों भले ही न बोलें, लेकिन दोनों खुद को प्रधानमंत्री की कुर्सी का दावेदार मानते हैं। ममता तो खुलेआम कह चुकी हैं कि मोदी तो चाहते हैं कि उनके मुकाबले राहुल को पीएम प्रोजेक्ट किया जाए, इससे उनकी राह आसान हो जाएगी। इससे साफ है कि विपक्षी एकता की बात कितनी भी हो लेकिन जैसे ही कांग्रेस की लीडरशिप की बात आएगी तो एकता की बातें धरी रह जाएंगी। इसीलिए नीतीश कुमार फिलहाल इस चक्कर में नहीं पड़ रहे हैं। वे अपने वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश में लगे हैं। नीतीश इफ्तार पार्टी में जा रहे हैं और खुद भी इफ्तार की दावत दे रहे हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 07 अप्रैल, 2023 का पूरा एपिसोड

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement