सबसे पहले अच्छी खबर। अगले साल 22 जनवरी को रामभक्तों का 500 सालों का इंतजार खत्म हो जाएगा। 2024 में, सोमवार के दिन, 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। उसके बाद राममंदिर भक्तों के लिए खुल जाएगा। रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्रट्रस्ट ने प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का निमंत्रण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजा था। इंडिया टीवी के पॉलिटिकल एडिटर देवेन्द्र पाराशर ने जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने 22 जनवरी की तिथि पर सहमति दे दी है। मोदी अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले एतिहासिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि होंगे और रामलाल की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। अयोध्या में बन रहे भव्य और दिव्य राम मंदिर के गर्भगृह का काम करीब करीब पूरा हो गया है। गर्भगृह में ही रामलला विराजमान होंगे, जिसके दरवाजों में स्वर्ण कलाकृतियां बनाई जाएंगी। रामलला के गर्भगृह में मकराना के संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। गर्भ गृह के अलावा मंदिर में पांच मंडप हैं - गूढ़ मंडप, रंग मंडप, नृत्य मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप। इन पांचों मंडपों के गुंबद का आकार 34 फीट चौड़ा और 32 फीट लंबा है। मकर संक्रांति के एक हफ्ते के बाद शुभ मुहूर्त में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा भी हो जाएगी। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम करीब सात दिनों तक चलेगा, जिसके बाद देश-विदेश से आने वाले भक्त नए मंदिर में रामलला के दर्शन कर पाएंगे। गर्भगृह के प्लिंथ का काम पूरा हो चुका है, मंदिर की दीवारें भी बन चुकी हैं। अब दीवारों पर नक्काशी का काम हो रहा है। आजकल राममंदिर में रामलला के गर्भगृह के ऊपरी हिस्से पर निर्माण कार्य चल रहा है। ये काम चार महीने के बाद अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद मंदिर में लकड़ी का काम शुरू होगा। इसमें मंदिर के दरवाजे, खिडकियां और लकड़ी की नक्काशी का काम होगा। मंदिर में द्वार बनाने के लिए महाराष्ट्र के चंद्रपुर से सागौन की लकड़ी अयोध्या पहुंच चुकी है। चन्द्रपुर की सागौन की लकड़ी सबसे अच्छी और मजबूत मानी जाती है। इसकी लाइफ कम से कम एक हजार साल तक होती है। लकड़ी का काम शुरू होने से पहले काष्ठ पूजा इसी महीने के अन्त तक हो सकती है, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मौजूद रहेंगे। रामलला का भव्य मंदिर कई मायनों में बेहद खास है। ये भूकंपरोधी इमारत है। दावा ये किया जा रहा है कि राम मंदिर को अगले 1 हजार साल तक किसी प्रकार की कोई क्षति नहीं होगी। 161 फीट ऊंचे मंदिर में कहीं भी लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। पत्थर को जोड़ने के लिए तांबे की छड़ों का इस्तेमाल किया गया है। 392 नक्काशीदार खंभों पर टिके मंदिर के गर्भ गृह को सफेद मार्बल से बनाया जा रहा है। मंदिर में दरवाजे की चौखट, फर्श, गर्भ गृह का द्वार भी मकराना के सफेद मार्बल से बनाया जा रहा है। इस पत्थर पर बारीक नक्काशी भी की जा रही है, जो देखने में अद्भुत है। मकराना के सफेद मार्बल की खासियत होती है कि ये 100 साल तक अपना रंग नहीं बदलते । मकर संक्रांति से पहले मंदिर का पहला फ्लोर पूरा तरह तैयार हो जाएगा। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा। इसके बाद 71 एकड़ में फैले परिसर में दूसरे मंदिर और मंडप बनाने का काम चलता रहेगा। राम मंदिर करोड़ों लोगों की श्रद्धा का केंद्र है, इसलिए इसका निर्माण एक राजनीतिक संदेश भी होगा। राम मंदिर का निर्माण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उन ऐतिहासिक संकल्पों में से एक है, जिसे उन्होंने सिद्धि तक पहुंचाया। 5 अगस्त 2020 को मोदी ने राम मंदिर की आधारशिला रखी थी और सिर्फ साढ़े तीन साल में ये मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। जिस रफ्तार से ये काम हुआ वो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। हैरानी की बात ये है कि आजादी के बाद नरेन्द्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन किए। इसके बाद उन्हीं के कार्यकाल में अब रामलला टेंट से निकलकर भव्य और दिव्य राम मंदिर में विराजेंगे। जाहिर है अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी इसे अपनी एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश करेगी। विरोधी दल भी इस बात को समझ रहे हैं।
कांग्रेस: नई हिन्दू पार्टी
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान की शुरूआत सोमवार को नर्मदा पूजन से की। प्रियंका जबलपुर पहुंची। जबलपुर को मध्य प्रदेश की संस्कार राजधानी कहा जाता है। यहीं से नर्मदा के तट पर खड़े होकर प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के कैंपेन का शंखनाद किया। इस मौके पर प्रियंका के साथ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और अन्य कांग्रेस नेता मौजूद थे। ग्वारीघाट पर 101 ब्राह्मणों के साथ प्रियंका गांधी ने करीब 20 मिनट तक मां नर्मदा की आरती की। जबलपुर में प्रियंका के प्रोग्राम में वो सारे नज़ारे दिखे, जो आमतौर पर बीजेपी के प्रोग्राम्स में दिखते हैं। अब ये साफ हो गया है कि कांग्रेस चुनाव के दौरान सॉफ्ट हिन्दुत्व के रास्ते पर नहीं, पूरी तरह से हिन्दुत्व और भक्ति के मार्ग पर चलेगी। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मध्य प्रदेश में खुलकर हिंदुत्व की पिच में बैटिंग कर रही है। जबलपुर में प्रियंका गांधी के स्वागत में पार्टी के झंड़े बैनर और नेताओं की तस्वीरों के साथ साथ बजरंगबली की फोटो, चौराहों पर बजरंग बली की गदा भी दिखाई दी। शहर में हनुमान जी का भेष बनाए हुए कांग्रेस के कार्यकर्ता भी दिखे। कुल मिलाकर माहौल भक्तिमय था, लेकिन रैली में बातें सियासी हुईं। प्रियंका ने कांग्रेस की तरफ से पांच वादे किए, कहा, महिलाओं को हर महीने 1500 रूपए मिलेंगे, गैसे सिलेंडर पांच सौ रूपए में मिलेगा, 100 यूनिट बिजली मुफ्त होगी, पुरानी पेंशन स्कीम लागू होगी, किसानों के कर्ज भी माफ होंगे। कर्नाटक के बाद अब कांग्रेस को मध्य प्रदेश से भी बड़ी उम्मीदें हैं। कर्नाटक की तरह मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस ने गारंटी देनी शुरू कर दी हैं। चूंकि मध्य प्रदेश के लोग धार्मिक हैं, भक्ति भाव से भरे हुए हैं, इसलिए कांग्रेस ने सॉफ्ट हिन्दुत्व का रास्ता छोड़कर हार्ड हिन्दुत्व का मार्ग पकड़ा है। कमलनाथ पहले से ही पूरे मध्य प्रदेश में हनुमान चालीसा और भागवत कथा का आयोजन करवा चुके हैं। प्रियंका गांधी ने नर्मदा की आरती से चुनाव मुहिम की शुरूआत करके कांग्रेस की रणनीति स्पष्ट कर दी है, लेकिन कांग्रेस के नेता जानते हैं कि बीजेपी से उसकी पिच पर जाकर मुकाबला करना आसान नहीं होगा। शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले में कड़े मुकाबले के संकेत दे दिए हैं। प्रियंका ने नर्मदा की आरती की, तो शिवराज चौहान ने कटनी में हरिहर तीर्थ की आधारशिला रख दी। कटनी में जगद्गुरु रामभद्राचार्य और स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज के साथ हरिहर तीर्थ का भूमिपूजन कर दिया। विजयराघवगढ़ विधानसभा के राम राजा पहाड़ पर इस तीर्थ क्षेत्र का निर्माण कार्य करवाया जाएगा, जिसे हरिहर तीर्थ का नाम दिया गया है। बंजारी के रामराजा पहाड़ पर चारों धाम के दर्शन होंगे, यहां 108 फीट ऊंची अष्टधातु से बनी भगवान परशुराम की प्रतिमा स्थापित होगी। बीजेपी के नेता तो हमेशा से राम मंदिर के निर्माण की बात करते आए हैं। नरेंद्र मोदी के 9 साल के शासन में काशी विश्वनाथ मंदिर और उज्जैन के महाकाल को भव्य स्वरूप दिया गया, पर कांग्रेस के बड़े बड़े नेता नर्मदा की आरती करें, हनुमान चालीसा का पाठ करें, कांग्रेस के कार्यालयों में भगवा ध्वज लहराएं, ये कांग्रेस की राजनीति में बड़ा बदलाव है। पहले कांग्रेस के नेता राम का नाम लेने से कतराते थे, हनुमान मंदिर में जाने से बचते थे, अब नज़ारा बदल गया है। इसीलिए इस बार मध्य प्रदेश का चुनाव दिलचस्प रहेगा। कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस बात का मुकाबला देखने को मिलेगा कि कौन बड़ा हिन्दुत्ववादी है, कौन हिन्दुओं का बड़ा पैरोकार है, किसकी भक्ति ज्यादा सच्ची है। बीजेपी इस मामले में थोड़ा फायदे में है क्योंकि बीजेपी की छवि हिन्दू समाज के अधिकारों के लिए लड़ने वाली पार्टी की रही है। शिवराज सिंह चौहान कांग्रेस की भक्ति को चुनावी बताएंगे और खुद को प्रखर हिन्दुत्ववादी साबित करेंगे, कांग्रेस के लिए थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि अब तक तो कांग्रेस के नेता दरगाहों पर चादर चढ़ाते नजर आते थे। कांग्रेस हिन्दुओं के वोट लेना चाहती है लेकिन मुसलमानों को नाराज भी नहीं करना चाहती। इसीलिए अमेरिका के शिकागो में AIMIM के मुखिय़ा असद्दुदीन ओवैसी ने कहा कि कांग्रेस जो काम बारीकी से करती है, वही काम बीजेपी खुलकर करती है।
उत्तरकाशी: ओवैसी के आरोप का कोई औचित्य नहीं
उत्तरकाशी में लव जिहाद के मुद्दे पर इस वक्त तनाव है। पिछले दिनों एक मुस्लिम युवक ने एक नाबालिग हिंदू लड़की को अपने साथ भगा ले जाने की कोशिश की थी। हिंदू संगठनों ने इसे लव जिहाद का मामला बताकर आरोपियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की मांग की। 15 जून को उत्तरकाशी के हिंदू संगठनों ने इस मसले पर महापंचायत बुलाई है। नगर में कुछ जगहों पर मुसलमानों की कुछ दुकानों पर पोस्टर चिपकाए गए हैं। उनसे शहर छोड़कर जाने के लिए कहा गया है। हिंदू संगठन पिछले कई दिनों से लव जिहाद के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 10 जून को स्थानीय लोगों ने एक पंचायत की थी और लव जिहाद की घटना के ख़िलाफ़ अपनी दुकानें बंद रखी थीं। तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि विरोध प्रदर्शन शान्तिपूर्ण रहे। लोगों को कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए लेकिन अपनी संस्कृति को बचाने के लिए लव जिहाद का विरोध जरूरी है। सरकार को ऐसी घटनाएं रोकने के लिए कड़ा कानून बनाना चाहिए। उत्तराखंड पुलिस मुस्लिम दुकानदारों की सुरक्षा का भरोसा दे रही है, लेकिन AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि सुरक्षा के वादों से क्या होगा, भड़काऊ बयान दिए जा रहे हैं, मुसलमानों को दुकानें बंद करने को कहा जा रहा है। ओवैसी ने अमेरिका में उत्तरकाशी की घटना को हिटलर के दौर के जर्मनी से जोड़ दिया, कहा, हिटलर के राज में जिस तरह यहूदियों के घरों पर स्टार ऑफ डेविड का निशान बनाकर, उन्हें टारगेट किया जाता था, आज वही हाल बीजेपी के शासन वाले राज्यों में हो रहा है। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी कह रहे हैं कि उनकी सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है, संवेदनशील है। धामी ने खुद उत्तरकाशी जाकर लोगों से मुलाक़ात की। ये सही है कि पिछले कुछ दिनों में उत्तरकाशी की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हुईं, जिनमें कुछ दुकानों के बाहर क्रॉस का निशान लगा था, कुछ पोस्टर्स सर्कुलेट हुए जिनमें कहा गया था कि बाहरी मुसलमान 15 जून से पहले यहां से चले जाएं। इस तरह के पोस्टर्स चिंता की बात है। सरकार ने इसको गंभीरता से लिया है। पुलिस ने सख्त रुख अपनाया है, ये अच्छी बात है। मुस्लिम भाइय़ों को भी अपना कारोबार करने का, तरक्की करने का उतना ही हक है, जितना किसी दूसरे धर्म के लोगों को, लेकिन अगर कहीं कोई घटना होती है, कुछ लोग शरारत करते हैं, किसी मुद्दे को लेकर लोगों में थोड़ी बहुत नाराजगी है, तो इसके आधार पर ये कहना ठीक नहीं है कि मुसलमानों के साथ हिन्दुस्तान में वैसा ही सलूक हो रहा है जैसा हिटलर के दौर में जर्मनी में यहूदियों के साथ हुआ था। ओवैसी के इस तरह के बयान का कोई औचित्य नहीं है। अमेरिका में जाकर राहुल गांधी ने भी इसी तरह की बातें की थी, अमेरिका के मीडिया के एक हिस्से में भारत को लेकर इसी तरह की अवधारणा बनाने की कोशिश की गई। कुछ मामलों में पाकिस्तानी प्रचार तंत्र का रोल दिखाई देता है, इसलिए विदेश में जाकर कुछ भी कहने से पहले हमारे नेताओं को सावधान रहने की जरूरत है। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 12 जून, 2023 का पूरा एपिसोड