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Rajat Sharma's Blog | अरुणाचल में झड़प: भारतीय सेना घुसपैठियों को हमेशा करारा जवाब देगी

भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश में LAC के पास 17 हजार फीट की ऊंचाई पर थांग ला में चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया है। इस झड़प में कम से कम 20 चीनी सैनिकों के घायल होने की खबर है। चीनी सैनिक LAC को पार करके हमारे इलाके में कुछ स्ट्रक्चर बनाने की फिराक में थे और उस योजना को विफल कर दिया गया।

Written By: Rajat Sharma
Published : Dec 13, 2022 17:06 IST, Updated : Dec 13, 2022 17:06 IST
Rajat Sharma Blog, Rajat Sharma Blog on Arunachal clash
Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma

भारत और चीन के बीच 30 महीने से सीमा पर चल रहा तनाव 9 दिसंबर को बढ़ गया, जब 300 से ज्यादा चीनी PLA सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश में तवांग के पास यांग्त्से में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को पार करके घुसपैठ की और उन्हें रोकने की कोशिश करने वाले भारतीय जवानों पर हमला कर दिया। सेना के सूत्रों ने कहा कि कम से कम 6 घायल भारतीय जवानों को इलाज के लिए गुवाहाटी के बेस मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया, जबकि बड़ी संख्या में चीनी सैनिक भी घायल हुए हैं।

मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में अपने बयान में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ''9 दिसंबर को तवांग सेक्टर के यांग्त्से इलाके में PLA के सैनिकों ने घुसपैठ की और यथास्थिति को बदलने की कोशिश की। इस कोशिश का हमारे जवानों ने डटकर मुकाबला किया। हमारे जवानों ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें अपनी पोस्ट पर जाने के लिए मजबूर कर दिया।”

राजनाथ सिंह ने कहा, “इस आमने-सामने की झड़प में दोनों पक्षों के कुछ सैनिकों को चोटें आईं। मैं इस सदन को बताना चाहता हूं कि हमारे किसी भी सैनिक की मौत नहीं हुई है और न ही किसी सैनिक को कोई गंभीर चोट आई है। भारतीय सैन्य कमांडरों के समय पर दखल के कारण पीएलए के सैनिक अपने-अपने ठिकानों पर वापस चले गए हैं। चीनी पक्ष को इस तरह के कार्यों से बचने और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कहा गया है। इस मुद्दे को चीनी पक्ष के साथ कूटनीतिक स्तर पर भी उठाया गया है। मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सेनाएं हमारी सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसे चुनौती देने के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए तैयार हैं।”

संक्षेप में, हमारी सेना ने अरुणाचल प्रदेश में LAC के पास 17 हजार फीट की ऊंचाई पर थांग ला में चीनी सैनिकों को करारा जवाब दिया है। इस झड़प में कम से कम 20 चीनी सैनिकों के घायल होने की खबर है। चीनी सैनिक LAC को पार करके हमारे इलाके में कुछ स्ट्रक्चर बनाने की फिराक में थे और उस योजना को विफल कर दिया गया। 11 दिसंबर को एक फ्लैग मीटिंग में भारतीय कमांडर ने अपने चीनी समकक्ष से कड़े शब्दों में कहा था कि ऐसी हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

2020 के बाद एलएसी पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच यह दूसरी बड़ी झड़प थी जिसमें सैनिक जख्मी हुए हैं। 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में कर्नल संतोष बाबू सहित 20 भारतीय सेना के जवान शहीद हो गए थे और बड़ी संख्या में वरिष्ठ अधिकारियों समेत चीनी सैनिक मारे गए थे। तब से, लद्दाख क्षेत्र में दोनों ओर सेना और वायु सेना ने जबरदस्त मोर्चेबंदी कर रखी है।

कई रिटायर्ड फौजी अफसरों ने कहा है कि इस तरह की चीनी घुसपैठ एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, क्योंकि तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) स्पष्ट रूप से परिभाषित है और इसके बारे में अलग-अलग धारणाएं नहीं होनी चाहिए। रिटायर्ड मेजर जनरल ध्रुव कटोच ने कहा कि चीनी सैनिकों और उनके अधिकारियों को अब इस बात का अंदाजा हो गया होगा कि इस तरह की घुसपैठ होने पर भारतीय सेना कैसे जवाब दे सकती है। एक अन्य रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ने कहा कि यांग्त्से इलाके में भारतीय सेना बहुत मजबूत स्थिति में है इसलिए चिंता करने की कोई बात नहीं है।

जब से सोमवार शाम को तवांग में झड़प के बारे में खबर आई, विपक्षी नेता, मुख्य रूप से कांग्रेस से, एलएसी में मौजूदा स्थिति पर खुली बहस की मांग कर रहे हैं। जबकि अध्यक्ष अनुरोध कर रहे हैं कि मामला संवेदनशील है और इस तरह के मुद्दों पर स्पष्टीकरण की अनुमति नहीं है।

सोमवार रात, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया, “दो साल से ज्यादा समय से  चीन अवैध रूप से भारतीय इलाकों पर कब्जा जमाये हुए है। हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री संसद में आएं और जमीनी हालात के बारे में बताएं क्योंकि एलएसी पर चीनी सेना से भारत के कई इलाकों पर अवैध रूप से कब्जा किया है।

लगता है कि कांग्रेस अपनी पुरानी गलतियों से सबक नहीं सीखती। सोमवार रात भारतीय सेना ने एक बयान में साफ तौर पर कहा कि अरुणाचल प्रदेश में एक भी चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में कदम नहीं रख पाया, फिर भी कांग्रेस को शक़ है। सुरजेवाला ने तो यहां तक दावा कर दिया कि चीनी सैनिक एलएसी पर 'चिकन नेक' तक लगभग पहुंच चुके हैं। यह हमारी बहादुर सेना का घोर अपमान है।

नब्बे के दशक में हुए समझौते के बाद से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच आपसी समझ यह है कि दोनों पक्ष एलएसी से उचित दूरी बनाए रखेंगे। एक दूसरे पर हथियारों से हमला नहीं करेंगे और न ही कोई गोली चलाई जाएगी। इस शांति समझौते के कारण, जब भी तनाव बढ़ता है, दोनों पक्षों के बीच हाथापाई होती है और एक-दूसरे को धक्का देते हैं। लेकिन सर्दियों की शुरुआत के साथ 17,000 फीट की ऊंचाई पर एक मात्र धक्का घातक हो सकता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि ये जोरदार सेटबैक है। हाल के महीनों में भारत और चीन के बीच चल रही बातचीत को इस ताजा झड़प ने झटका दिया है।

लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि LAC पर चीन की तुलना में भारतीय सेना किसी भी मायने में कमजोर स्थिति में नहीं है, चाहे तैनात सैनिकों की संख्या हो या हथियार हो या सपोर्ट सिस्टम और ट्रांसपोर्टेशन। भारतीय सेना हमारी सीमाओं की रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है, और यह चीन को बराबरी की टक्कर दे सकती है।

भारत एक शांतिप्रिय देश रहा है। इसने अपने किसी पड़ोसी देश पर पहले हमला नहीं किया है। हालांकि, जब-जब दुश्मन ने हमारी सीमा में घुसपैठ की कोशिश की, हमारे जांबाज जवानों ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया। पाकिस्तान पहले भी कई बार इसका स्वाद चख चुका है।

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