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Rajat Sharma’s Blog | अंकिता हत्याकांड: हमारा सिस्टम किस हद तक संवेदनहीन हो चुका है

यह वारदात झारखंड की सरकार पर एक बदनुमा दाग है जो फौरी तौर पर कार्रवाई करके लड़की की जान बचा सकती थी।

Written By: Rajat Sharma
Published on: August 30, 2022 19:31 IST
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Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

झारखंड के दुमका में एक दिल दहला देने वाली घटना हुई। इसमें एक 17 साल की लड़की अंकिता को शाहरुख नाम के एक शोहदे ने पेट्रोल छिड़कने के बाद जलाकर मार डाला। इस घटना के बाद से पूरे देश में उबाल है। 23 अगस्त की रात अंकिता जब अपने घर में सो रही थी, तब उसने उस पर पेट्रोल डाला और आग लगा दी।  पांच दिनों  तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद रविवार को अंकिता ने दम तोड़ दिया। शाहरुख और उसके दोस्त छोटू उर्फ नईम को गिरफ्तार कर लिया गया है।

अपनी मौत से पहले अंकिता ने अपने पिता से बार-बार कहा कि शाहरुख को कड़ी से कड़ी सजा जरूर दिलवाएं। जब भी वह अपने घर से स्कूल या ट्यूशन क्लास जाने के लिए बाहर जाती थी, शाहरुख उसे परेशान करता था।

मैं इसे सिर्फ कोई वारदात या अपराध नहीं कहूंगा। यह हमारे पूरे समाज पर एक कलंक है। यह वारदात झारखंड की सरकार पर एक बदनुमा दाग है जो फौरी तौर पर कार्रवाई करके लड़की की जान बचा सकती थी।

यह घटना दुमका में हुई जो झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खानदान के प्रभाव वाला इलाका है। इस इलाके से हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन विधायक हैं। फिर भी पांच दिन तक पूरा सिस्टम खामोश रहा और जब अंकिता की दर्दनाक मौत हो गई, तो उसकी मौत के विरोध में लोग सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने लगे। तब जाकर राज्य सरकार को होश आया और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि ‘हमें इस तरह की सामाजिक बुराइयों को खत्म करना होगा।’

जिस समय मुख्यमंत्री ज्ञान दे रहे थे, उस समय पुलिस की गिरफ्त में हत्यारा शाहरुख कैमरे के सामने मुस्कुरा रहा था। यह मुस्कान हमारे सिस्टम और हमारे समाज को चिढ़ाती हुई सी लग रही थी। आप अगर मौत से पहले मैजिस्ट्रेट को दिया गया अंकिता का बयान सुनेंगे, और हत्यारे शाहरुख को हंसता हुआ देखेंगे, तो आपका खून खौल उठेगा। अंकिता ने बताया कैसे शाहरुख उसे परेशान कर रहा था, उसका पीछा कर रहा था, उसे धमकी दे रहा था कि या तो इस्लाम कबूल कर उससे शादी कर ले या मरने के लिए तैयार हो जाए। अपने पिता से कहे उसके अंतिम शब्द थे, ‘पापा, शाहरुख को मत छोड़ना। उसको सजा जरूर दिलवाना।’

अंकिता का गुनाह यह था कि उसने शाहरुख की बात नहीं मानी और आखिरकार उसे इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। वह 90 फीसदी से भी ज्यादा जल चुकी थी और इसके बचने की संभावना बहुत कम थी। हालांकि अंकिता बड़ी बहादुरी के साथ मौत से लड़ी, लेकिन हमारे सिस्टम के कारण वह हार गई। वह एक छोटे से शहर दुमका में थी और उसे एक बड़े अस्पताल में बहुत अच्छे इलाज की जरूरत थी। उसके परिवार को उसे रांची के रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) में भर्ती कराने में भी जद्दोजहद करनी पड़ी, लेकिन रिम्स में भी जले हुए मरीजों के इलाज की सुविधा नहीं थी।

अंकिता के केस के बाद अब शाहरुख हुसैन की अपराधों की हिस्ट्री सामने आ रही है। शाहरुख का घर अंकिता के घर से कुछ ही मीटर की दूरी पर है। उसने दिन में अंकिता को जान से मारने की धमकी दी और अगली सुबह उसे जला कर मार डाला। अंकिता ने अपने पिता को बताया कि रात के अंधेरे में शाहरुख उसके बेडरूम की खिड़की के पास आया, उस पर पेट्रोल डाला, माचिस जलाई और भाग गया। उसके दोस्त छोटू उर्फ नईम ने इस दरिंदगी को अंजाम देने के लिए पेट्रोल का इंतजाम किया था।

झारखंड सरकार ने इस केस की जांच अब अतिरिक्त महानिदेशक रैंक के अधिकारी से कराने का फैसला किया है। पुलिस हेडक्वॉर्टर में ADG एमएल मीणा ने इसकी जांच भी शुरू कर दी है। सोमवार को मीणा अपनी टीम के साथ दुमका गए और क्राइम सीन रिक्रिएट करवाया। बाहर सड़कों पर विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने अंकिता के लिए इंसाफ की मांग करते हुए प्रोटेस्ट मार्च निकाला और सीएम हेमंत सोरेन का पुतला फूंका। सिर्फ दुमका ही नहीं, जमशेदपुर, रांची और गोड्डा में भी विरोध प्रदर्शन हुए। जगह-जगह प्रदर्शनकारियों ने शाहरुख को फांसी पर लटकाने की मांग की।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सोरेन सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण के चक्कर में हिंदुओं के साथ भेदभाव का इल्जाम लगाया। गिरिराज सिंह ने कहा कि अंकिता की मौत ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ की नीति का नतीजा है। उन्होंने कहा कि अगर मरने वाली लड़की मुसलमान होती तो कांग्रेस और दूसरी पार्टियों के नेता  आसमान सिर पर उठा लिए होते लेकिन अंकिता के मामले में झारखंड सरकार ने उसके लिए सही इलाज तक की व्यवस्था नहीं की।

बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने आरोप लगाया कि जिस वक्त अंकिता अपनी जिंदगी की जंग लड़ रही थी, उस वक्त मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी सरकार के मंत्रियों और विधायकों के साथ झारखंड के अलग-अलग पिकनिक स्पॉट पर घूम रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ताकतें दुमका और संथाल परगना इलाके में ‘लव जिहाद’ के जरिए वहां की डेमोग्राफी  बदलने की कोशिश कर रही हैं। रघुबर दास ने कहा कि अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमान स्थानीय आदिवासी लड़कियों से शादी करके उनकी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं और हेमंत सोरेन सरकार तमाशा देख रही है।

इस मसले पर AIMIM सुप्रीमो असद्दुदीन ओवैसी ने सीधी और साफ बात की। आम तौर पर मुसलमानों का पक्ष लेने वाले ओवैसी ने कहा कि जिस लड़के ने यह दारिंदगी की, उसे ‘जल्द से जल्द सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘इस तरह का घिनौना काम करने वालों को समाज के भीतर रहने का हक ही नहीं हैं। इस जघन्य अपराध के बारे में बोलने के लिए शब्द ही नहीं हैं। शाहरुख को उसके गुनाह की कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।’

ओवैसी ने भी जिस शख्स की हिमायत नहीं की, जिस मुद्दे पर हिन्दू-मुसलमान नहीं देखा, उस मुद्दे पर भी हेमंत सोरेन सीधी और साफ बात नहीं कह पाए। जब अंकिता मौत से लड़ रही थी उस वक्त तो खामोश रहे, उसकी मौत के बाद बोले भी तो साफ नहीं बोल पाए। पहले हेमंत सोरेन ने ट्वीट किया, ‘अंकिता बिटिया को भावभीनी श्रद्धांजलि। अंकिता के परिजनों को 10 लाख रुपये की सहायता राशि के साथ इस घृणित घटना का फास्ट ट्रैक से निष्पादन हेतु निर्देश दिया है। पुलिस महानिदेशक को भी उक्त मामले में एडीजी रैंक अधिकारी द्वारा अनुसंधान की प्रगति पर शीघ्र रिपोर्ट देने हेतु निर्देश दिया है।’ वहीं, कैमरे के सामने पत्रकारों से बात करते हुए सोरेन ने कहा, ‘ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। सभी घटनाओं पर सरकार की नजर है। यदि आपके पास ठोस जानकारी नहीं है तो कृपया भ्रम न फैलाएं।’

हेमंत सोरेन के बयानों में उनकी संवेदनहीनता साफ झलक रही थी। सोमवार को अंकिता के अंतिम संस्कार पर ग़मगीन नजारा देखने को मिला। सबसे बुरा हाल अंकिता के दादा जी का था। उन्होंने कहा, ‘अंकिता तड़प-तड़प कर मरी है। पूरे शरीर की स्किन जल गई थी। जैसी मौत अंकिता को मिली, वैसी ही अपराधी को मिलनी चाहिए।’ उसकी बहन ने कहा, ‘हमारी मां की मौत 3 साल पहले हो चुकी थी। शाहरूख उसे कई दिन से परेशान कर रहा था, लेकिन वह अपना दर्द किसी को बता नहीं पाई। अगर उसने हमें शाहरूख की हरकतों के बारे में बता दिया होता, तो हम सभी को अलर्ट कर सकते थे। उसने अपने भाई को इस बारे में 22 अगस्त को ही बताया, और अगले दिन शाहरुख ने उसे जला दिया।

अंकिता के परिवार वालों का इल्जाम है कि इलाके के डीएसपी नूर मुस्तफा ने इस केस को ‘कमजोर करने की कोशिश’ की। बीजेपी ने अब इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बीजेपी दीपक प्रकाश ने कहा कि कि अंकिता की उम्र 17 साल है, लेकिन केस कमजोर करने के लिए डीएसपी नूर मुस्तफा ने FIR में अंकिता को बालिग दिखा दिया। पुलिस ने शाहरूख के खिलाफ पॉक्सो ऐक्ट भी नहीं लगाया। दीपक प्रकाश ने कहा कि डीएसपी नूर मुस्तफा पुलिस अफसर के तौर पर नहीं बल्कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ता की तरह बर्ताव करते हैं। उन्होंने मांग की, ‘उनके खिलाफ भी ऐक्शन होना चाहिए।’

बीजेपी लीडर और झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता बाबू लाल मरांडी ने भी डीएसपी नूर मुस्तफा अपने मजहब के अपराधियों को बचाने का आरोप लगाया है। डीएसपी को लेकर मरांडी ने कई ट्वीट किए और उन्हें दलितों और आदिवासियों का शोषक कहा। मरांडी ने कहा कि जुल्फिकार नाम के आरोपी पर एससी-एसपी एक्ट में केस दर्ज हुआ था लेकिन डीएसपी नूर मुस्तफा ने 90 दिन की समयसीमा के अंदर उसके खिलाफ चार्जशीट फाइल नहीं की, जिसके आधार पर जुल्फिकार को जमानत मिल गई। झारखंड पुलिस के आईजी ऑपरेशंस ने कहा कि डीएसपी नूर मुस्तफा को लेकर कुछ शिकायतें आई हैं, और उनकी जांच की जा रही है।

बड़ी बात यह है कि जब भी ऐसी घटना होती है तो सारी व्यवस्था, सारा सिस्टम एक्सपोज हो जाता है। एक अपराधी की इतनी हिम्मत हो कि वह सरेआम एक लड़की के घर में पेट्रोल छिड़ककर उसे मार डाले, पुलिस के किसी अफसर की इतनी हिमाकत हो कि ऐसे केस में भी अभियुक्त को बचाने की कोशिश करे, पुलिस की इतनी लापरवाही हो कि 4-5 दिन तक इस केस को गंभीरता से न लिया जाए, अस्पताल का इतना बुरा हाल हो कि वहां जले हुए मरीज के लिए पैरासिटामोल और सीरिंज जैसी चीजों का इंतजाम भी न हो, वह अपराधी कैमरे के सामने हंसता रहे और मरने वाली बेटी का परिवार रोता रहे, इससे बड़ी त्रासदी और क्या हो सकती है।

अगर लोग सड़कों पर न उतरते तो यह मामला भी एक लड़की के खिलाफ हुए अपराध के रूप में दर्ज होता और आगे चलकर दब जाता। अगर मीडिया इस केस को प्रमुखता से नहीं उठाता तो मुख्यमंत्री भी प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर नहीं होते, और मामला धीरे-धीरे ठंडा पड़ जाता।

कुछ लोग कह सकते हैं कि पुलिस का काम अपराधियों को गिरफ्तार करना है, जो कि उसने कर दिया, अब हत्यारों को सजा देना कानून का काम है। सरकार का काम है मुआवजा देना, वह दे दिया, विपक्ष का काम है सरकार को घेरना, वह घेर रहा है। कुल मिलाकर एक बेटी की मौत पर हर कोई अपने-अपने हिस्से की रस्म अदायगी कर रहा है।

जब तक यह रस्म अदायगी होती रहेगी और हर कोई अपने-अपने हिस्से की सिर्फ रस्म अदायगी करता रहेगा, तब तक हमारी बेटियां सुरक्षित नहीं रहेंगी। जब तक हर घर की बेटी को हम अपनी बेटी नहीं समझेंगे, तब तक इस तरह की जघन्य वारदातें होती रहेंगी, और ऐसे मामले एक और क्राइम केस बनकर इतिहास के पन्नों में दफन होते रहेंगे। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 29 अगस्त, 2022 का पूरा एपिसोड

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