बिहार में ज़हरीली शराब से मरने वालों की संख्या शुक्रवार को 60 तक पहुंच गई, जिसके बाद विधानसभा के अंदर फिर से हंगामा शुरू हो गया। सदन में दोनों पक्षों के सदस्यों ने एक-दूसरे पर आरोपों-प्रत्यारोपों की झड़ी लगा दी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, 'दारू पीकर कोई मर जाए तो क्या हम उसे कम्पन्सेशन देंगे? बिल्कुल नहीं देंगे। सवाल ही नहीं उठता।'
नीतीश कुमार ने अपने बयान 'पियोगे, तो मारोगे' को दोहराया और कहा, 'इसका तो हम और ज्यादा प्रचार करेंगे। कहेंगे कि देखो, शराब पीया तो मरा।'
नीतीश कुमार ने शुक्रवार को गुजरात के मोरबी में पुल ढहने की घटना का जिक्र करते हुए बीजेपी पर तंज कसा। उन्होंने कहा, 'गुजरात में कुछ दिन पहले पुल गिरा। कितने लोग मरे, लेकिन खबरों में कितने आया। बस एक दिन आया। इसके बाद बंगाल में जो हुआ वो भी कहीं नहीं छपा, लेकिन बिहार में जो हुआ वो खूब चर्चा में है।' उन्होंने दावा किया कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की तुलना में बिहार में जहरीली शराब के सेवन से कम मौतें होती हैं।
मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने कहा, 'नीतीश कुमार के हाथ सीधे खून से सने हैं।' विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि स्प्रिट के रूप में जब्त की गई और थाने में पड़ी जहरीली शराब लोगों को पीने के लिए बेची गई। बीजेपी के सांसद सुशील कुमार सिंह ने बिहार में जहरीली शराब से होने वाली मौतों को ‘नरसंहार’ बताया और इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
बिहार में जहरीली शराब के सेवन से 60 लोगों की मौत एक दर्दनाक हादसा है। मरने वाले गरीब थे, नासमझ थे। उनके पीछे छूट गए परिवार बेबस और बेसहारा हैं। मैं मान लेता हूं कि जिन्होंने जहरीली शराब पी, उन्होंने गलत किया। शराब पीने की वजह से उनकी जान चली गई, लेकिन राज्य सरकार इन गरीब परिवारों को मझधार में छोड़कर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकती। सिर्फ इतना ही नहीं, मुआवजे की मांग को ठुकराते हुए मुख्यमंत्री यह कहकर उनके जख्मों पर नमक छिड़कते हैं कि ‘जो शराब पीएगा, वह मरेगा ही।’ यह एक असंवेदनशील बयान है। सरकार का काम सिर्फ शराबबंदी का कानून बनाकर ही खत्म नहीं हो जाता।
नीतीश कुमार दावा कर रहे हैं कि शराबबंदी कानून सख्ती से लागू हो रहा है, लेकिन आंकड़े कुछ और कहानी कहते हैं। आधिकारिक आंकड़े देखकर लगता है कि जैसे बिहार में शराब की नदियां बह रही हों। आपको जानकर हैरानी होगी कि पिछले 6 साल में शराबबंदी के बाद बिहार में 2 करोड़ 9 लाख 79 हजार लीटर शराब जब्त की गई है। सोचिए शराब की सप्लाई किस स्तर पर हो रही होगी। हर रोज औसतन 10 हजार लीटर शराब जब्त हो रही है। शराब पीने या एक-आध बोतल शराब रखने के चक्कर में 6 लाख लोगों को जेल भेजा चुका है। जहरीली शराब के सेवन से एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
अब तक 4 लाख मामले दर्ज हो चुके हैं और निपटारा सिर्फ 4 हजार मामलों का हुआ है। सुप्रीम कोर्ट तक यह टिप्पणी कर चुका है कि अदालतों का पूरा वक्त सिर्फ शराबबंदी से जुड़े केस में जमानत की सुनवाई में जा रहा है। सोचिए सिस्टम पर कितना प्रेशर है, कितना बोझ बढ़ गया है, और नतीजा कुछ नहीं निकल रहा है। लोग अब भी जहरीली शराब पी रहे हैं, और मर रहे हैं। बस इतना फर्क आया है कि पहले सरकारी दुकान से सस्ती शराब 20 रुपये में मिलती थी, अब अवैध रूप से जहरीली शराब 100 रुपये में मिल रही है।
कोई यह नहीं कहता कि शराब सेहत के लिए एक अच्छी चीज है। कोई नहीं कहता कि शराब पर पाबंदी लगाना गलत बात है। लेकिन कोई भी कानून लागू करने से पहले यह सोचा जाना चाहिए कि सरकार में इसे लागू करने की क्षमता है या नहीं, सिस्टम है या नहीं। इस बात पर विचार होना चाहिए था कि अगर इन परिस्थतियों में यह कानून लागू किया गया तो इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।
बिहार में चल रही जुबानी जंग के बीच लोगों को केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर से सीखना चाहिए। कौशल किशोर आवासन और शहरी कार्यों के राज्य मंत्री हैं और यूपी के मोहनलालगंज से बीजेपी के सांसद हैं। करीब 2 साल पहले, 19 अक्टूबर 2020 को शराब के ज्यादा सेवन की वजह से लीवर फेल होने के कारण उनके 28 साल के बेटे आकाश किशोर की मौत हो गई। कौशल और उनकी विधायक पत्नी जया देवी ने अपने बेटे की जिंदगी बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। दोनों ने अब शराब और ड्रग्स के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है।
कौशल किशोर कहते हैं, ‘मैंने 2 साल पहले अपने बेटे को शराब के कारण खो दिया। उसके बाद मैंने भारत को नशा मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। अब तक 18 लाख लोगों ने शराब या नशीले पदार्थों का सेवन न करने का संकल्प लिया है और लगभग 10,000 लोग शराब का सेवन बंद कर चुके हैं। जहर तुरंत मार देता है, लेकिन शराब या नशीली दवाएं धीमे जहर की तरह काम करती हैं और लोग तिल-तिल कर मरते हैं। हमें युवा पीढ़ी को शराब या नशे की लत से बचाना है। हमने आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान अपना अभियान 'हिंदुस्तानियों, नशा छोड़ो' शुरू किया है।’
कौशल किशोर लोगों को अपनी कहानी सुनाते हैं कि जब गलत लोगों की संगत में पड़कर बेटे को शराब की लत लगी तो उन पर और उनकी पत्नी पर क्या गुजरी। अब उनके घर में उनकी बहू और 4 साल का एक पोता है। कौशल किशोर लोगों से कहते हैं कि बच्चों पर ध्यान दीजिए और उनके दोस्तों पर नजर रखिए। वह कहते हैं कि लोगों को अपने बच्चों को जरूर बताना चाहिए कि कोई भी नशा कितना खतरनाक हो सकता है।
कौशल किशोर अपने अनुभव से एक और जरूरी सलाह सभी मां-बाप को देना चाहते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने यह जानते हुए भी कि उनका बेटा शराब का आदी है, उसकी शादी करके गलती कर दी। उन्होंने कहा, ‘कोई अपने बेटे की शादी तब तक न करे जब तक कि वह नशे को पूरी तरह नहीं छोड़ देता। और कोई लड़का कितना भी रईस हो, अगर वह नशा करता है तो किसी लड़की के पिता को अपनी बेटी की शादी उससे नहीं करनी चाहिए।’
मैं कौशल किशोर और जया देवी की प्रशंसा करूंगा कि उन्होंने लोगों को शराब के खतरे के प्रति आगाह करने का अभियान शुरू किया। उन्होंने अपने बेटे की मौत से जो सीखा, उसे समाज के साथ शेयर किया। यह आसान काम नहीं है। दिल पर पत्थर रखकर लोगों को बताना कि शराब की लत कितनी खतरनाक होती है, अपने बेटे की मौत का उदाहरण देकर समझाना बहुत हिम्मत का काम है। कौशल किशोर अब लोगों से कह रहे हैं कि उन्हें यह समझने में देर हो गई कि बेटा बुरी संगत में है, यह गलती कोई और न करे। (रजत शर्मा)
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