रांची/भुवनेश्वर:झारखंड और ओडिशा में कुर्मी संगठनों द्वारा अपने समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग को लेकर शुरू किया गया रेल रोको आंदोलन बुधवार को समाप्त हो गया। हालांकि, दोनों राज्यों में यह अलग-अलग कारणों से समाप्त हुआ। वहीं आंदोलन से प्रभावित इन रेल मार्गों पर जल्द से जल्द रेल यातायात बहाल होने की उम्मीद है। दोनों राज्यों में कुर्मी समुदाय के सदस्यों के विरोध प्रदर्शन और रेल रोको आंदोलन की वजह से दक्षिण पूर्वी रेलवे (एसईआर) और पूर्वीय तटीय रेलवे (ईसीओआर) ने बुधवार को कई ट्रेन रद्द कर दीं या उनके मार्गों को बदल दिया जिनमें राजधानी एक्सप्रेस और वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन भी शामिल हैं।
राज्य सरकार के आश्वासन के बाद आंदोलन वापस
झारखंड में प्रमुख कुर्मी संगठन ’टोटेमिक कुर्मी विकास मोर्चा (टीकेवीएम) के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने मांगों पर चर्चा के लिए राज्य सरकार के आश्वासन के बाद आंदोलन को वापस ले लिया। ओडिशा स्थित एक संगठन ने दावा किया कि यह एक दिन का आंदोलन था और बुधवार को खत्म हो गया। कई कुर्मी संगठनों ने पहले बुधवार से झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के नौ स्टेशनों पर आंदोलन की घोषणा की थी। वे समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने और कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।
कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस टीए शिवज्ञानम की अगुवाई वाली पीठ ने कुर्मी समुदाय द्वारा अनिश्चितकालीन रेल और सड़क नाकेबंदी के आह्वान को मंगलवार को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया था। इसके बाद पश्चिम बंगाल में आदिवासी कुर्मी समाज ने रेल रोको आंदोलन वापस ले लिया था। झारखंड में टीकेवीएम के अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा, " झारखंड के मुख्य सचिव से 25 सितंबर को चर्चा के लिए लिखित आश्वासन मिलने के बाद हम रेल रोको आंदोलन वापस ले रहे हैं।"
सुबह से ही पटरियों पर बैठे गए थे लोग
टीकेवीएम के बैनर तले कुर्मी समाज के लोग सुबह से ही रांची जिले के मुरी स्टेशन, पश्चिमी सिंहभूम के घाघरा, सरायकेला-खरसवां के नीमडीह और धनबाद जिले के गोमो में पटरियों पर बैठे गए थे जिससे रेल यातायात बाधित हुआ। उनके आंदोलन को देखते हुए, बुधवार को दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) के रांची रेलवे मंडल के तहत आने वाली कम से कम 15 ट्रेन रद्द कर दी गईं और 14 अन्य ट्रेन का मार्ग बदल दिया गया। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा नौ ट्रेन का मार्ग छोटा किया गया है। रांची रेल मंडल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) निशांत कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “राज्य प्रशासन के साथ चर्चा के बाद आंदोलन समाप्त कर दिया गया। रेल यातायात यथाशीघ्र सामान्य कर दिया जाएगा।”
कई ट्रेनों के रूट बदले गए
एसईआर रेलवे ने एक विज्ञप्ति में बताया कि ‘कुर्मी समाज द्वारा किए जा रहे आंदोलन’ की वजह से ट्रेन के मार्गों में बदलाव किया गया है जिनमें पटना-रांची वंदे भारत एक्सप्रेस और हावड़ा-मुंबई दुरंतो एक्सप्रेस शामिल हैं जबकि हावड़ा-मुंबई गीतांजलि एक्सप्रेस और हटिया-खड़गपुर एक्सप्रेस समेत अन्य ट्रेन को रद्द किया गया है। इस बीच, ईसीओआर ने एक अन्य विज्ञप्ति में बताया कि आज के लिए कई ट्रेन को रद्द या उनके मार्गों में परिवर्तन किया गया है जिनमें भुवनेश्वर-नई दिल्ली दुरंतो एक्सप्रेस और भुवनेश्वर-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि कोलकाता हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत कुर्मी आदिवासी समाज के आंदोलन को कल रद्द कर दिया गया था लेकिन उसने आज नया मोड़ ले लिया और झारखंड के विभिन्न इलाकों में आंदोलन शुरू हो गया। विज्ञप्ति में कहा गया है कि आंदोलन झारखंड में चक्रधरपुर के पास मनोहरपुर तथा गोमोह और मुरी के पास अन्य स्थानों पर किया जा रहा था। आंदोलनकारियों को रेल की पटरियों से दूर रखने के लिए, राज्य और रेलवे प्रशासन ने सभी चार स्टेशनों पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए थे।
मुरी रेलवे स्टेशन के पास निषेधाज्ञा लागू
एक अधिकारी ने बताया कि रांची प्रशासन ने मंगलवार शाम छह बजे से मुरी रेलवे स्टेशन के पास सिल्ली सर्कल में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। यही आदेश धनबाद के गोमो स्टेशन के आसपास भी लागू किया गया है। हालांकि, निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते हुए आंदोलनकारी सुबह मुरी रेलवे स्टेशन पर एकत्र हुए और रेल सेवा को बाधित किया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुधवार को सरायकेला-खरसावां जिले के नीमडीह में कर्मियों पर पथराव किए जाने के बाद पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज किया। ओडिशा में कुर्मी एकता मंच के राज्य संयोजक छोटेलाल महंत ने कहा, ''यह एक दिन का आंदोलन था और कल कोई रेल रोको आंदोलन नहीं होगा।'' पश्चिम बंगाल में आदिवासी कुर्मी समाज के नेता अजीत महतो ने मंगलवार को कहा था कि, ‘‘अनिश्चिकालीन रेल रोको आंदोलन के आह्वान को वापस ले लिया गया है, क्योंकि पुलिस हमारे वरिष्ठ नेताओं को परेशान कर रही है। हम 30 सितंबर को पुरुलिया में मिलकर अपने भावी कदम पर निर्णय करेंगे।’ (इनपुट-भाषा)