Monday, November 18, 2024
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पीवी नरसिम्हा राव: अर्थव्यवस्था के द्वार दुनिया के लिए खोले लेकिन अंतिम यात्रा के दौरान उनके लिए कांग्रेस कार्यालय का दरवाजा तक ना खोला गया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और डॉ. एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। इससे पहले लालकृष्ण आडवाणी और कर्पूरी तःकुर को भी यह सम्मान दिए जाने का ऐलान किया जा चुका है।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Updated on: February 09, 2024 13:45 IST
पीवी नरसिम्हा राव- India TV Hindi
Image Source : FILE पीवी नरसिम्हा राव

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न देने का ऐलान किया। सरकार का यह ऐलान कई मायनों में खास है। राव ने देश के नौवें प्रधानमंत्री के रूप में 20 जून 1991 से 16 मई 1996 तक देश की सेवा की। देश की अर्थव्यवस्था के विस्तार और इसके उदारीकरण का श्रेय राव को ही जाता है। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री का काम सौंपा और देश की अर्थव्यवस्था का इलाज करने की जिम्मेदारी दी।

पीवी नरसिम्‍हा राव को व्यापक आर्थिक सुधारों की शुरुआत करने के लिए जाना जाता है, उन्होंने 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाया और भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ फिर से एकीकृत किया। नरसिम्‍हा राव लाइसेंस राज को खत्म करने और भारतीय उद्योगों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए लालफीताशाही को कम करने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार थे।  

पीवी नरसिम्हा राव

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पीवी नरसिम्हा राव

देश की अर्थव्यवस्था को नया रूप देने वाले यह कांग्रेसी प्रधानमंत्री अपने जीवन के अंतिम समय में पार्टी के लिए एक अछूत बन गए थे। अपना पूरा जीवन पार्टी के लिए समर्पित करने वाले इस नेता को देहांत के बाद पार्टी की तरफ से सम्मान भी नहीं दिया गया। मृत शरीर को पार्टी मुख्यालय के बाहर काफी देर तक इंतजार कराया गया, लेकिन इसके बाद भी मुख्यालय के दरवाजे नहीं खोले गए। 

23 दिसंबर 2004 को हुआ था निधन

लेखक विनय सीतापति की पुस्तक 'द हाफ लायन' में दावा किया गया है कि 23 दिसंबर 2004 को राव ने एम्स में आखिरी सांस ली। राव के बेटे की इच्छा थी कि उनके पिता का अंतिम संस्कार दिल्ली में ही किया जाए। लेकिन उस समय के गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने पूर्व पीएम के छोटे बेटे प्रभाकर को सुझाव दिया कि वह शव को हैदराबाद ले जाएं और वहीं अंतिम संस्कार किया जाए। प्रभाकर मान जाते हैं और शव को उनके निवास स्थान 9 मोती लाल नेहरु मार्ग पर लाया जाता है। 

पीवी नरसिम्हा राव

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पीवी नरसिम्हा राव

इसके बाद अगले दिन 24 दिसंबर को शव हैदराबाद ले जाने के लिए एयरपोर्ट ले जाया जाता है। घर से हवाईअड्डे के रास्ते में कांग्रेस का मुख्यालय पड़ता है। परम्परा रही है कि जब भी पार्टी के किसी बड़े नेता का निधन होता है तो उसका शव पार्टी मुख्यालय में रखा जाता है, जिससे कार्यकर्ता नेता को श्रद्धांजलि दे सकें। इसी मकसद से शव को पार्टी मुख्यालय के आगे लाया गया, लेकिन उनके शव को अंदर नहीं जाने दिया गया। यहां तक पार्टी मुख्यालय का गेट तक नहीं खोला गया। 

अंतिम दिनों में कांग्रेस पार्टी से नाराज चल रहे थे राव

कहा जाता है कि नरसिम्हा राव अपने अंतिम दिनों में कांग्रेस पार्टी से नाराज चल रहे थे। आलाकमान को भी वह खटकते थे। इसके साथ ही माना जाता है कि राव का अंतिम संस्कार दिल्ली में हो, यह पार्टी आलाकमान भी नहीं चाहता था। पूर्व पीएम का शव एयरपोर्ट तक एयरफ़ोर्स के वाहन से जा रहा था और मुख्यालय के बंद दरवाजे के आगे उनका शव उसी वाहन में रखा रहा लेकिन गेट नहीं खोला गया। राव के परिजन अंदर जाने का इंतजार करते रहे, लेकिन वह आधे घंटे के इंतजार करने के बाद एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए। गेट के बाहर जब यह सब हो रहा था तब उस समय पार्टी मुख्यालय के अंदर तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी मौजूद थीं। 

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