पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राज्य में एक कथित रेत खनन मामले से जुड़ी धनशोधन जांच के सिलसिले में छह घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। 59 वर्षीय कांग्रेस नेता जालंधर में स्थित प्रवर्तन निदेशालय के क्षेत्रीय कार्यालय से बुधवार रात धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपना बयान दर्ज करवा कर बाहर निकले।
चन्नी ने ट्वीट कर कहा कि ईडी ने कल उन्हें खनन मामले में तलब किया था। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘मैंने अपनी जानकारी के अनुसार उनके द्वारा पूछे गए सभी प्रश्नों का जवाब दिया। इस मामले से ईडी द्वारा पहले ही एक चालान माननीय अदालत में प्रस्तुत किया जा चुका है। अधिकारियों ने मुझे फिर से आने के लिए नहीं कहा है।’
इसी मामले में चन्नी के भतीजे भूपिंदर सिंह उर्फ हनी को ईडी ने पंजाब विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले 20 फरवरी को गिरफ्तार किया था। इस मामले में उनके और नामजद किए गए अन्य लोगों के खिलाफ जालंधर की एक विशेष पीएमएलए अदालत में 31 मार्च को आरोपपत्र दायर किया गया था।
हनी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। उन्होंने जमानत के लिए आवेदन किया है। सूत्रों के मुताबिक, प्रवर्तन निदेशालय ने चन्नी को पहले भी कई बार समन भेजे थे। ईडी के अधिकारियों ने चन्नी से हनी और अन्य लोगों के साथ उनके संबंधों और मुख्यमंत्री कार्यालय में उनके भतीजे की कुछ यात्राओं के बारे में पूछताछ की।
साथ ही सूत्रों के मुताबिक उनसे राज्य में अवैध बालू खनन अभियान के तहत कुछ अधिकारियों के तबादले और पदस्थापना के आरोपों के बारे में भी पूछताछ की गई। पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रभारी नवजोत सिंह सिद्धू ने बिना किसी का नाम लिए ट्वीट किया, ‘मेरी लड़ाई पंजाब के लिए थी, न कि रेत के लिए। जमीन, रेत और शराब माफियाओं ने सरकारी खजाने को लूटकर पंजाब को अपने स्वार्थों के लिए अपमानित किया। मौजूदा आर्थिक हालात में पंजाब हो या माफिया, लड़ाई जारी है।’
गौरतलब है कि चन्नी ने 10 मार्च को पंजाब विधानसभा चुनाव की मतगणना के बाद राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था क्योंकि आम आदमी पार्टी (आप) ने इन चुनावों में जीत हासिल की थी। कांग्रेस नेता चन्नी दोनों विधानसभा सीटों - चमकौर साहिब और भदौर से भी चुनाव हार गए थे। इस मामले में ईडी की कार्रवाई 18 जनवरी को हनी और अन्य के खिलाफ छापेमारी के बाद शुरू हुई थी।
हनी के परिसर से ईडी ने लगभग 7.9 करोड़ रुपये नकद और संदीप कुमार नामक एक व्यक्ति से लगभग 2 करोड़ रुपये जब्त किए थे। ईडी के अधिकारियों ने कहा था कि उन्होंने तलाशी के दौरान कुदरतदीप सिंह, भूपिंदर सिंह (हनी), हनी के पिता संतोख सिंह और संदीप कुमार के बयान दर्ज किए और यह ‘‘पता चला’’ कि जब्त 10 करोड़ रुपये भूपिंदर सिंह पुत्र संतोख सिंह के थे।’
ईडी ने एक बयान में दावा किया था, ‘इसके अलावा, भूपिंदर सिंह ने स्वीकार किया कि उन्हें रेत खनन कार्यों और अधिकारियों के स्थानांतरण व पदस्थापना में मदद के बदले में जब्त की गई नकदी प्राप्त हुई थी।’ एजेंसी के अनुसार, हनी अपनी गिरफ्तारी से पहले पूछताछ के लिए उनके सामने पेश हुआ था। उसने अपना बयान दिया था, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ हनी ने कहा था कि वह खनन से संबंधित गतिविधियों में शामिल है, लेकिन कुछ अहम सवालों पर उसने टालमटोल का रुख अपनाया।
हनी, कुदरतदीप सिंह और संदीप कुमार 'प्रोवाइडर्स ओवरसीज कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड' नामक एक कंपनी के निदेशक बताए जाते हैं, जिस पर जनवरी में प्रवर्तन निदेशालय ने छापा मारा था। ईडी ने पिछले साल नवंबर में पंजाब पुलिस (राहोन पुलिस स्टेशन, शहीद भगत सिंह नगर) की 2018 की प्राथमिकी का संज्ञान लेने के बाद धनशोधन का मामला दर्ज किया था, जिसमें भारतीय दंड संहिता और (विकास का विनियमन) अधिनियम, 1957 की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।
पुलिस प्राथमिकी में, ईडी ने यह उल्लेख किया था कि खनन विभाग, नागरिक प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों की एक टीम ने मार्च 2018 में राहोन पुलिस स्टेशन में अवैध रेत खनन के संबंध में प्राप्त एक शिकायत के आधार पर औचक निरीक्षण किया था। ईडी के अधिकारियों ने कहा, ‘यह पाया गया कि विभिन्न मशीनों द्वारा कई खदानों की खुदाई की जा रही थी और खनन निर्दिष्ट क्षेत्र से परे किया जा रहा था।’
ईडी ने पुलिस प्राथमिकी का हवाला देते हुए कहा, ‘जांच दल द्वारा कई टिपर/ट्रक, पोर्सेलीन मशीनों, जेसीबी मशीनों आदि को जब्त कर लिया गया। जब्त किए गए टिपर या ट्रक भी रेत से भरे हुए पाए गए।’ इसके अनुसार, कार्यालय की मोहर वाली जब्त तौल पर्ची संबंधित कार्यालय द्वारा जारी नहीं की गई थी। वह जाली थीं।
इसके बाद, मलिकपुर खनन स्थल (कुदरतदीप सिंह को आवंटित) में खनन कार्य और तौल पर्चियों की स्वीकृति को टीम द्वारा रोक दिया गया था। प्राथमिकी के अनुसार ईडी ने कहा, मलिकपुर के अलावा बुर्जतहल दास, बरसाल, लालेवाल, मंडला और खोसा में भी अवैध खनन गतिविधियां की गईं।