श्रीनगर: 14 फरवरी 2019 का दिन देश को एक गहरा जख्म देकर गुजर गया। आज भी इस जख्म की टीसें रह रहकर उभरती हैं। यह एक ऐसा दिन था जिसे आज तक देश नहीं भूल पाया है। इस दिन सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ था और इस हमले में सीआरपीएफ के करीब 44 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले में शहीद जवानों को आज लतपुरा सीआरपीएफ कैंप में श्रद्धांजलि दी गई।
लतपुरा सीआरपीएफ कैंप में उन सभी शहीद जवानों की याद में एक वॉल बनाया गया है जिस पर शहीद जवानों के नाम लिखे गए हैं। साथ ही साथ इस वॉल के पास एक कलश रखा गया है जिसमें उन सभी जवानों के घरों के आंगन की मिट्टी जमा कर लाई गई है और हर साल जवान और अफसर उन सभी जवानों की शहादत को याद करते हैं। उन पर फूल बरसाते हैं और उन्हें नाम आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित कर सलाम करते हैं।
दरअसल,14 फरवरी 2019 फोर्स डिप्लॉयमेंट के तहत सीआरपीएफ का एक बहुत बड़ा काफिला श्रीनगर की तरफ आ रहा था। ठीक 3:15 पर यह काफिला जैसे ही नेशनल हाईवे पुलवामा के लतपुरा के पास पहुंचा, आत्मघाती हमलावर आदिल ने विस्फोटकों से लैस अपनी ईको कार को सीआरपीएफ के काफिले में शामिल एक बस से टकरा दिया। पूरा इलाका धमाके की गूंज से दहल उठा। धमाके में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए।
पुलवामा का यह हमला कश्मीर की मिलिटेंसी के इतिहास में सबसे बड़ा आतंकी हमला था। हमले के तुरंत बाद देशभर में इस हमले का बदला लेने की आवाज गूंजी थी। हमले के कुछ दिनों बाद ही भारतीय सेना ने पाक के कब्जे वाले कश्मीर में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की और जैश के आतंकी ठिकानों को तबाह किया। कश्मीर में जैश और दूसरे आतंकी संगठनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर ऑपरेशन ऑल आउट चलाया गया। ऑपरेशन ऑल आउट में न सिर्फ पुलवामा हमले में शामिल आतंकी बल्कि लश्कर, जैश, हिजबुल मुजाहिदीन और अंसार उल गजवत अल हिंद के सभी टॉप कमांडर्स को या तो मार गिरा दिया गया या फिर गिरफ्तार कर लिया गया।
यह हमला कश्मीर में आतंक को खत्म करने के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। इस हमले से सीआरपीएफ के हौसले काफी बुलंद हुए। सीआरपीएफ ने जम्मू कश्मीर पुलिस और सेना के साथ मिलकर आतंकियों का मुकाबला किया। इतना ही नहीं इस हमले के तुरंत बाद कश्मीर में पार्लियामेंट के चुनाव भी करवाए गए जिसमें सीआरपीएफ की भूमिका अहम रही। वहीं सीआरपीएफ की टीम ने अमरनाथ यात्रा को भी सुरक्षा प्रदान किया। धारा, 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर के हालात पर कड़ी निगाह रखी और कोई खून खराबा नहीं हुआ। उन जवानों पर पूरा देश आज गर्व महसूस कर रहा है कि उनकी शहादत से आज कश्मीर में अमन लौट आया है। कश्मीर की तस्वीर बदल गई है। आज ना हिंसा का डर है ना पत्थर बाजी का, और ना ही आतंकवाद का।