प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इजराइल-हमास संघर्ष को लेकर शनिवार को मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी से फोन पर चर्चा की है। मिस्र की ओर से आधिकारिक बयान जारी कर इस बात की जानकारी दी गयी है। इस बयान के अनुसार दोनों नेताओं ने गाजा पट्टी में इजराइली सेना के मौजूदा अभियानों के बारे में विस्तार से बात की। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति सिसी ने नागरिकों के जीवन पर इसके भयानक प्रभाव और पूरे क्षेत्र की सुरक्षा के लिए पैदा हुए खतरे को देखते हुए, मौजूदा स्थिति की गंभीरता पर विचार-विमर्श किया।
गाजा पट्टी में जमीनी हमले और मानवीय सुरक्षा पर हुई बातचीत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी ने गाजा पट्टी में इजराइली सेना के अभियानों के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया। मिस्र की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति सिसी ने गाजा पट्टी में जमीनी हमले के गंभीर मानवीय और सुरक्षा परिणामों को लेकर चेताया। बता दें कि इस बातचीत से पहले शनिवार को भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘आम नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी एवं मानवीय दायित्वों को कायम रखने’ शीर्षक वाले जॉर्डन के मसौदा प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहा। इस प्रस्ताव में इजराइल-हमास युद्ध में तत्काल मानवीय संघर्ष-विराम और गाजा पट्टी में निर्बाध मानवीय पहुंच सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया था। संयुक्त राष्ट्र की 193 सदस्यीय महासभा ने उस प्रस्ताव को अपनाया, जिसमें तत्काल, टिकाऊ और निरंतर मानवीय संघर्ष-विराम का आह्वान किया गया है, ताकि दुश्मनी खत्म हो सके।
UNGA में भारत के रुख पर विपक्ष ने किया हमला
वहीं कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा में संघर्ष-विराम का आह्वान करने संबंधी प्रस्ताव पर मतदान से भारत के दूर रहने को लेकर शनिवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सरकार फिलस्तीन के मुद्दे पर भारत के पुराने रुख के खिलाफ चली गई है। दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि सरकार ने सही कदम उठाया है और भारत कभी आतंकवाद के पक्ष में खड़ा नहीं हो सकता। कांग्रेस, भाकपा, माकपा, बसपा और एआईएमआईएम जैसे विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि जॉर्डन द्वारा लाये गये इस प्रस्ताव पर भारत के रूख से वे स्तब्ध हैं।
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