Sunday, December 22, 2024
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President Draupadi Muru: पहले पति खोया, दो बेटे खोए, फिर मां और फिर भाई... जानें कितना कठिन रहा द्रौपदी मुर्मू का पार्षद से राष्ट्रपति तक का सफर

President Draupadi Muru: द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति बन गई हैं। मुर्मू के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह गहरी आध्यात्मिक और मृदुभाषी व्यक्ति हैं।

Written By: Swayam Prakash @@SwayamNiranjan
Published : Jul 21, 2022 19:40 IST, Updated : Jul 22, 2022 6:11 IST
The political journey of Draupadi Muru
Image Source : INDIA TV The political journey of Draupadi Muru

Highlights

  • भारत की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति
  • चमक दमक और प्रचार-प्रसार से दूर रहने वाली हैं मुर्मू
  • ऐसी राष्ट्रपति बनीं जिनका जन्म स्वतंत्रता के बाद हुआ

President Draupadi Muru: एक आदिवासी नेता से पार्षद और झारखंड की पूर्व राज्यपाल से अब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की उम्मीदवार से द्रौपदी मुर्मू भारत के राष्ट्रपति पद पर आसीन हो गई हैं। अपनी निजी दुश्वारियों को पार करते हुए राजनीति के सर्वोच्च पद पर पहुंची हैं। चमक दमक और प्रचार से दूर रहने वाली मुर्मू ब्रह्मकुमारियों की ध्यान तकनीकों की गहन अभ्यासी हैं। उन्होंने यह गहन अध्यात्म और चिंतन का दामन उस वक्त पकड़ा था, जब उन्होंने 2009 से लेकर 2015 के बीच अपने पति, दो बेटों, मां और भाई को खो दिया था। 

द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति बन गई हैं। अपने गृह राज्य ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित रायरंगपुर में पुरंदेश्वर शिव मंदिर के फर्श पर झाड़ू लगाते हुए जब 64 साल की मुर्मू की तस्वीरें सामने आईं तो वह उनके व्यक्तित्व के साथ तालमेल बिठाती नजर आ रही थी। मुर्मू के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह गहरी आध्यात्मिक और मृदुभाषी व्यक्ति हैं। 

राजनीति की पहली सीढ़ी

रायरंगपुर से ही मर्मू ने भारतीय जनता पार्टी के साथ राजनीति की सीढ़ी पर पहला पहला कदम रखा था। वह 1997 में रायरंगपुर अधिसूचित क्षेत्र परिषद में पार्षद बनाई गईं और 2000 से 2004 तक ओडिशा की बीजू जनता दल (बीजद)-भाजपा गठबंधन सरकार में मंत्री भी रहीं। उन्हें 2015 में झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया और वह 2021 तक इस पद पर रहीं। बीस जून, 1958 को जन्मीं मुर्मू राज्य की पहली महिला राज्यपाल थीं। विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर जीत हासिल कर जीती मुर्मू देश की ऐसी राष्ट्रपति बनीं जिनका जन्म स्वतंत्रता के बाद हुआ है। 

सामाजिक कार्यों में समर्पित
ओडिशा भाजपा के पूर्व अध्यक्ष मनमोहन सामल ने कहा कुछ दिन पहले कहा था, ‘‘वह (मुर्मू) बहुत तकलीफों और संघर्षों से गुजरी हैं, लेकिन वह विपरीत परिस्थितियों से नहीं घबराती हैं।’’ सामल ने कहा कि संथाल परिवार में जन्मी मुर्मू संथाली और ओडिया भाषाओं में एक उत्कृष्ट वक्ता हैं। उन्होंने कहा कि मुर्मू ने क्षेत्र में सड़कों और बंदरगाहों जैसे बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है। झारखंड के राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद, मुर्मू ने अपना समय रायरंगपुर में ध्यान चिंतन और सामाजिक कार्यों में समर्पित किया। द्रौपदी मुर्मू ने बताया था कि वह 2015 में झारखंड की राज्यपाल बनने के बाद छह साल से अधिक समय से किसी भी राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हुई थी। 

कला में स्नातक फिर सरकारी नौकरी
देश के सबसे दूरस्थ और अविकसित जिलों में से एक मयूरभंज की रहने वाली मुर्मू ने भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और ओडिशा सरकार में सिंचाई तथा बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में नौकरी भी की। उन्होंने रायरंगपुर स्थित श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में मानद सहायक शिक्षक के रूप में भी काम किया। मुर्मू को 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मुर्मू की बेटी इतिश्री ओडिशा के एक बैंक में काम करती हैं।

 

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