Monday, November 18, 2024
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  4. प्रशांत किशोर ने 'आपकी अदालत' में रजत शर्मा से कहा, 'बीजेपी को विपक्ष पर भारी बढ़त हासिल है, लेकिन राजनीति में 2 महीने बहुत लंबा वक्त है'

प्रशांत किशोर ने 'आपकी अदालत' में रजत शर्मा से कहा, 'बीजेपी को विपक्ष पर भारी बढ़त हासिल है, लेकिन राजनीति में 2 महीने बहुत लंबा वक्त है'

प्रशांत किशोर ने ‘आप की अदालत’ में कहा कि उनके आकलन के मुताबिक बीजेपी फिलहाल विपक्ष के किसी भी कॉम्बिनेशन पर बहुत भारी है।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Updated on: February 04, 2024 0:03 IST
Prashant Kishor, Prashant Kishor Aap Ki Adalat, Rajat Sharma- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV ‘आप की अदालत’ में प्रशांत किशोर।

नई दिल्ली:  चुनावी रणनीतिकार से राजनीतिक कार्यकर्ता बने प्रशांत किशोर ने इस साल के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले NDA की "भारी" बढ़त की भविष्यवाणी की, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि 'राजनीति में 2 महीने एक लंबा वक्त होता है।'

इंडिया टीवी पर आज सुबह 10 बजे दोबारा प्रसारित होने वाले रजत शर्मा के लोकप्रिय शो 'आप की अदालत' में सवालों का जवाब देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, "मैं आमतौर पर प्रेडिक्शन नहीं करता कि किसको कितनी सीटें मिलेंगी, लेकिन मेरा अभी तक का आकलन ये है कि बीजेपी के नेतृत्व वाला NDA विपक्ष के किसी भी कॉम्बिनेशन पर बहुत भारी है। लेकिन राजनीति में 2 महीना बहुत लम्बा हो सकता है। कह नहीं सकते कि अंतिम परिणाम क्या होंगे। लेकिन आज अगर चुनाव होंगे, तो मुझे लगता है कि NDA, BJP को बहुत बड़ी बढ़त है।"

‘वन-टू-वन कॉन्टेस्ट’ का विचार अप्रासंगिक है

प्रशांत किशोर ने अपने आकलन के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा: "बीजेपी के खिलाफ 'वन टू वन फाइट' की बात ही अप्रासंगिक है। देश में 300 से ज्यादा सीटें है जहां बीजेपी की दूसरों से सीधी फाइट है। गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में बीजेपी की कांग्रेस से 250 सीटों पर सीधी फाइट है। यहां सीधा मुकाबला है। इसी तरह करीब 100 सीटों पर जहां क्षेत्रीय पार्टियां हैं, जैसे तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, वहां बीजेपी से सीधा मुकाबला है। लेकिन इन चारों पार्टियों की स्ट्राइक रेट इन राज्यों में सिंगल डिजिट में है। चाहे एक उम्मीदवार खड़ा करो या दो खड़ा करो, उससे क्या फर्क पड़ता है। लेकिन 350 में से 150 या 125 भी जीत गए, तो बीजेपी को हटा सकेंगे।"

लोकसभा चुनावों में मोदी और बीजेपी की ताकत के बारे में पूछे जाने पर प्रशांत किशोर ने 4 कारण गिनाए: एक: हिंदुत्व विचारधारा जो मतदाताओं के बीच फैल गई है, दो: मोदी का भारत को एक बड़ी शक्ति के रूप में पेश करना और 'नए राष्ट्रवाद' पर उनका जोर, तीन: जनधन, शौचालय, एलपीजी गैस, पेयजल, किसानों जैसे लाभार्थियों के लिए डायरेक्ट डिलिवरी मॉडल, और चार: संगठनात्मक ताकत और वित्तीय ताकत।

प्रशांत किशोर ने कहा, "उन्हें (विपक्ष को) चार में से तीन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा। आपको हिंदुत्व का मुकाबला करना होगा, आपको राष्ट्रवाद से बेहतर नरैटिव लाना होगा, आपको इस लाभार्थी मॉडल से बेहतर मॉडल लाना होगा, और यदि आप बीजेपी की चुनावी ताकत का मुकाबला नहीं कर सकते, तो आपको इसकी तुलना में कुछ बेहतर करना होगा।”

EVM में हेराफेरी से इनकार

प्रशांत किशोर ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में हेरफेर की किसी भी संभावना से इनकार किया। हालांकि, उन्होंने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग को प्रत्येक मतदान केंद्र से फॉर्म 19 और 20 को अपनी वेबसाइट पर डिजिटल रूप से अपलोड करना चाहिए।

प्रशांत किशोर ने कहा: "मैं उन विषयों पर कमेंट नहीं करता जिनमें मेरी कोई विशेषज्ञता नहीं है। वो गॉसिप है। मुझे ऐसा नहीं लगता कि ईवीएम में, अगर टेक्निकल बातें हटा दें, तो ऑपरेशनली इतने बड़े स्तर पर, 10 लाख बूथ हैं देश में, इनमें वे राज्य भी हैं जिनमें गैर-बीजेपी सरकारें हैं, इतनी बड़ी व्यवस्था, इतने सारे लोग, इनको आप 'कॉन्सटैंटली मैनिप्युलेट' कर दें और वो बात बाहर न निकले। इसकी संभावना बहुत कम है।"

उन्होंने कहा: "दूसरी बात, अभी तक ऐसा तो नहीं है कि  सर्वे में हम पा रहे हैं कि कांग्रेस को 40 पर्सेंट आ रहे हैं और नतीजे 20 पर्सेंट आ रहे हैं, तो उस पर सोचा जा सकता है।  लेकिन जो आम साइंटिफिक सर्वे हैं, सही या गलत छोड दें, कहीं ये नहीं बताया जा रहा कि कांग्रेस या I.N.D.I.A. की बहुत बड़ी बड़त है। मैं सभी सर्वे को मिलाकर बात कर रहा हूं, आप इनकी एवरेज ही ले लें, पिछले 10 वर्ष के सर्वे से बिलकुल उल्टे नतीजे कहीं नही आए, अगर आए हैं तो बीजेपी के खिलाफ ही गए हैं।  मुझे ऐसा नहीं लगता कि ये (हेराफेरी) संभव है, अगर है भी तो  मान लें एक बार हुआ तो विकल्प क्या है , आप तो उस पर भी आंदोलन खड़ा नहीं कर पा रहे हो। मीडिया में आकर बोलने से, बयानबाजी करने से तो होगा नहीं।"

प्रशांत किशोर ने कहा: "हालांकि इसमें  इंप्रूवमेंट के लिए 2-3 चीजें जरूर करनी चाहिए। मैने इलेक्शन कमीशन को लिखा है - हर बूथ पर जो  फॉर्म 19 भरा जाता है, जो ईवीएम सील होने से पहले सब लोग साइन करते हैं, उसे अपलोड करें। अभी पता नहीं किस वजह से इस फॉर्म को अपलोड नहीं किया जा रहा है। फॉर्म 20 काउंटिंग के बाद अपलोड होता है। फॉर्म 19 और 20 दोनों अपलोड कर दें तो सारा विवाद कुछ हद तक खत्म हो जाएगा।"

ED और CBI का दुरुपयोग

विपक्ष के इस आरोप पर कि बीजेपी सरकार उसके नेताओं को परेशान करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय और CBI का दुरुपयोग कर रही है, प्रशांत किशोर ने कहा: "सब सरकारें एजेंसियों का सदुपयोग या दुरुपयोग करती है। लेकिन सब कहते हैं एजेंसियां अपना काम करती है। ऐसा देश में पहली बार नहीं हो रहा है। किस हद तक कर रहे हैं इसमें अंतर हो सकता है। अगर आप बीजेपी के समर्थक हैं तो आप कहेंगे कि इंदिरा जी के समय होता था, अब कम हो रहा है। अगर आप कांग्रेस के समर्थक हैं तो कहेंगे कि हमारे जमाने में कम होता था, अब ज्यादा हो रहा है। लेकिन बतौर नागरिक आपको समझना है कि जनता को इन सबसे कोई दिक्कत नहीं है। लोगों को इस बात से कोई परेशानी नहीं है कि लालूजी पर छापा पड़ गया, अरविंद केजरीवाल पर छापा पड़ा या हेमंत सोरेन पर छापा पड़ा, लेकिन जनता को दिक्कत तब है जब वही हेमंत सोरेन बीजेपी में चले जाएं और छापा रुक जाए। लोगों को उसमें दिक्कत है। यह मोदी जी के दावे के अनुरूप नहीं है (It is not consistent with what Modiji claims)। एजेंसियों का सदुपयोग, दुरुपयोग पहले भी होता था और अब भी हो रहा है।"

मजबूत इरादों वाले हैं राहुल गांधी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के व्यक्तित्व की तुलना करते हुए प्रशांत किशोर ने मोदी की सराहना की और साथ ही उन्होंने कहा कि "राहुल गांधी का स्वभाव मुझे आश्चर्यचकित करता है। राहुल 'हैज नर्व्ज ऑफ स्टील'। पिछले 10 साल में 90 पर्सेंट चुनाव हारने के बावजूद पॉजिटिव रहना और सोचना कि वह सही रास्ते पर हैं, ये कम बात नहीं है।"

राजनीतिक रणनीतिकार ने कहा: "राहुल जी के साथ मैंने ज्यादा काम नहीं किया। राहुल जी और मोदी जी के व्यक्तित्व में 'जन्मजात' फर्क है। राहुलजी की 'पेडिग्री' है, मोदीजी का अलग बैकग्राउंड है। मोदीजी की ताकत ये नहीं है कि वो सबसे बड़े वक्ता हैं, या उनके पीछे हिन्दुत्ववादी शक्तियों का समर्थन है। उनकी सबसे बड़ी ताकत है, उनका 45 साल का अनुभव। जिसमें पहले 15 साल वो संघ के प्रचारक के रूप में समाज से जुड़े रहे, अगले 15 साल बीजेपी ऑर्गेनाइजर के रूप में काम किया, और अब 15 साल सीएम और पीएम रहे। भारत की राजनीति में इतना ज्यादा अलग-अलग अनुभवों वाला नेता कोई नहीं है। जो ये कहते हैं कि मोदीजी विज्ञापनों के कारण, पब्लिसिटी के कारण या मीडिया पर कंट्रोल के कारण लोकप्रिय हैं, ऐसा नहीं है। पत्रकार आपको बताएंगे कि जनता के साथ जुड़े होने के कारण मोदी 'सेकंड गेस' कर सकते हैं कि जनता उनसे क्या चाहती है। लेकिन आप किसी का मुकाबला तब तक नहीं कर सकते जब तक आप उसकी ताकत का आकलन नहीं करते। जब तक आप किसी का आकलन नहीं करेंगे, आप उसे कैसे हरा सकते हैं?"

'आप की अदालत' शो में प्रशांत किशोर ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपने संबंधों के बारे में बताया। प्रशांत किशोर ने यह भी बताया कि कैसे उन्होंने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए RJD के साथ गठबंधन करने में नीतीश कुमार की मदद की, और कैसे उन्होंने तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की मदद की। बनर्जी ने 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव जीता था।

प्रशांत किशोर ने आम आदमी पार्टी को "वन मैन शो" बताया, जिसमें संस्थागत तंत्र और वैचारिक जड़ों का अभाव है। किशोर ने किसी भी राजनीतिक दल के लिए बतौर चुनावी रणनीतिकार अपनी वापसी की किसी भी संभावना से इनकार किया और कहा कि वह बिहार में अपने राजनीतिक संगठन जन सुराज अभियान को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं।

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