Highlights
- पोस्टमार्टम 6 से 10 घंटे के भीतर हो जानी चाहिए
- अब 24 घंटे पोस्टमार्टम किया जा जाएगा
- फॉरेंसिक साइंस में बैगनी कलर का कहीं भी जिक्र नहीं है
Postmartam: इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में आपको अक्सर सुनने को मिलता होगा कि फलाने की एक्सीडेंट में मौत हो गई या किसी अन्य कारण से मौत हो गई। जब व्यक्ति की मौत हो जाती है तो प्रशासन के द्वारा सबसे पहले मृत शरीर को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाता है। क्या मन में आपके कभी सवाल आया पोस्टमार्टम कैसे करते हैं, आखिर पोस्टमार्टम क्यों किया जाता है। आज हम पोस्टमार्टम के बारे में पूरी विस्तार जानकारी बताएंगे।
पोस्टमार्टम क्या होता है?
पोस्ट का मतलब होता है आफ्टर और मार्टम का अर्थ होता है डेथ यानी आसान भाषा में समझे जब किसी व्यक्ति की मौत समय से पहले, दुर्घटना या किसी अन्य कारण से होता है तो ऐसे में प्रशासन बॉडी का पोस्टमार्टम कराती है ताकि मरने की असल वजह पता चल सके। इसमें शरीर की पूरी तरह से जांच की जाती है।
पोस्टमार्टम कैसे होता है?
डॉक्टरों के मुताबिक, सबसे पहले मृत शरीर की छाती के पास कट लगाए जाते हैं। जिसके जरिए शरीर के अंदर के पार्ट्स को निकाला जा सके। डॉक्टर की टीम शरीर से दिल, किडनी, लीवर और अन्य बॉडी के पार्ट्स को निकालती है। इसे हम विसरा भी कहते हैं। इसके बाद डॉक्टर की टीम पूरी डिटेल तरीके से मरने की वजह का पता लगाती है।
क्या रात में हो सकती है पोस्टमार्टम?
आपने अक्सर देखा होगा कि अगर किसी का एक्सीडेंट रात में हो जाता है तो उसकी पोस्टमार्टम रात में नहीं की जाती है और अगली सुबह की इंतजार होती है। इसके पीछे की वजह है कि जब मृत शरीर में चोट लगी रहती है तो रात में जो लाल रंग होता है चोट लगने के कारण वह ट्यूबलाइट के रोशनी में बैंगनी कलर की तरह दिखता है। आपको बता दें कि फॉरेंसिक साइंस में बैगनी कलर का कहीं भी जिक्र नहीं है। यानी आसान भाषा में समझे की ट्यूबलाइट की रोशनी में रंगों का हेरफेर हो जाता है जिसके कारण हम यह स्पष्ट नहीं कर पाते हैं कि चोट का रंग किस कलर का है। हांलाकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भी ट्वीट करते हुए बताया था कि अंग्रेंजो के समय की व्यवस्था खत्म कर दी है। अब 24 घंटे पोस्टमार्टम किया जा जाएगा। उन्होंने आगे लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन के विचार को आगे बढ़ाते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने निर्णय लिया है। जिन अस्पतालों में रात को भी पोस्टमार्ट करने की सुविधा है उन अस्पतालों में अवश्य किए जाएंगे। अगर वर्तमान में जमीनी हकीकत की बात करेंगे तो भारत में अनगिनत अस्पताल मिल जाएंगे जहां पर रात में पोस्टमार्टम करने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।
पोस्टमार्टम कौन कर सकता है?
जो डॉक्टर पोस्टमार्टम करते हैं उन्हें पैथोलॉजिस्ट कहते हैं। हालांकि पोस्टमार्टम सामान्य डॉक्टर भी कर सकते हैं लेकिन जो पैथोलॉजिस्ट होते हैं इन कार्यों में वह काफी दक्ष होते हैं। आपने देखा होगा कि पोस्टमार्टम स्थल पर चिरफाड करने वाला कोई कम रैंक का कर्मचारी होता है तो आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि वह कर्मचारी ही डॉक्टर होता है। अगर आप ऐसा सोच रहे थे तो बिल्कुल गलत हो सकते हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि लोअर रैंक के कर्मचारी चिरफाड़ करते हैं और उनके द्वारा निकाले गए बॉडी के पार्ट्स का अध्ययन पैथोलॉजिस्ट करते हैं। और पैथोलॉजिस्ट है बताते हैं कि व्यक्ति की मौत किन कारणों से हुई है।
कितने समय के अंदर पोस्टमार्टम किया जा सकता है?
किसी व्यक्ति की पोस्टमार्टम 6 से 10 घंटे के भीतर हो जानी चाहिए। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि व्यक्ति के मृत होने के बाद बॉडी में बदलाव आना शुरू हो जाते हैं। कई पार्टसों में ऐठन हो जाते हैं। और धीरे-धीरे बॉडी फूलना भी शुरू हो जाता है। इसलिए समय रहते पोस्टमार्टम कर लेते हैं तो हम मरने की असल वजह पता लगा पाते हैं।
कितने दिन में पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आती है?
जब डॉक्टर किसी बॉडी की पोस्टमार्टम करते हैं तो इनिशियल रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर दे देते हैं हालांकि उस दौरान डॉ यह भी कहते हैं कि फिलहाल यह इनिशियल रिपोर्ट है। बॉडी के पार्ट्स को अध्ययन करने के लिए लैब में भेजा गया है कम से कम 1 से 2 महीने के भीतर पोस्टमार्टम की डिटेल रिपोर्ट मिलती है। आमतौर पर देखा जाता है कि 1 महीने के भीतर ही रिपोर्ट मिल जाती है।