बर्खास्त आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने यूपीएससी पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि UPSC के पास उनके खिलाफ कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है। यूपीएससी द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों पर दिल्ली हाई कोर्ट में अपने जवाब में पूजा खेडकर ने कहा कि एक बार चयनित होने और प्रोबेशनर के रूप में नियुक्त होने के बाद UPSC को उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य घोषित करने का कोई अधिकार नहीं है। साथ ही खेडकर ने यह भी कहा कि उन्होंने यूपीएससी में अपने नाम में हेरफेर नहीं किया या कोई गलत जानकारी नहीं दी। कोर्ट ने खेडकर को यूपीएससी और दिल्ली पुलिस के रुख पर जवाब देने के लिए समय दिया।
यूपीएससी ने दिल्ली हाई कोर्ट में पूर्व आईएएस प्रोबेशनर की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध किया था और कहा था कि उसने आयोग और जनता के खिलाफ धोखाधड़ी की है। दिल्ली पुलिस ने भी इस आधार पर गिरफ्तारी से पहले जमानत याचिका को खारिज करने की मांग की थी कि उसे कोई भी राहत देने से "गहरी साजिश" की जांच में बाधा होगी और इस मामले का जनता के भरोसे के साथ-साथ सिविल सेवा परीक्षा की ईमानदारी पर भी बड़ा असर पड़ेगा।
UPSC ने जवाब में क्या कहा?
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा कि खेडकर से हिरासत में पूछताछ करना "धोखाधड़ी" की गंभीरता को उजागर करने के लिए जरूरी था, जो अन्य व्यक्तियों की मदद के बिना नहीं किया जा सकता था। इसलिए, उनकी गिरफ्तारी से पहले की जमानत याचिका खारिज की जानी चाहिए। खेडकर ने कथित तौर पर आरक्षण लाभ पाने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा-2022 के लिए अपने आवेदन में गलत जानकारी दी।
बता दें कि 31 जुलाई को यूपीएससी ने पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से भी वंचित कर दिया था। दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत FIR दर्ज की है।
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