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आज ही ‘बुद्ध फिर मुस्कुराए’ थे, पोखरण परमाणु परीक्षण के 25 साल पूरे, जहां प्याज की मदद से किया गया था विस्फोट

परमाणु परीक्षण के बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी खुद धमाके वाली जगह पर गए थे। भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की अगुआई में यह मिशन कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: May 11, 2023 8:26 IST
पोखरण परमाणु परीक्षण...- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO पोखरण परमाणु परीक्षण के 25 साल पूरे

नई दिल्ली: पोखरण में 11 मई 1998 को हुए परमाणु परीक्षण के आज 25 साल पूरे हो गए हैं। आज ही के दिन भारत ने राजस्थान के पोखरण में 3 परमाणु हथियारों का परीक्षण किया था। पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में खेतोलोई गांव के पास कुल 5 टेस्ट हुए जिनमें दो टेस्ट दो दिन बाद 13 मई को किए गए थे। इसके साथ ही भारत भी परमाणु हथियारों वाले देश की लिस्ट में शामिल हो गया। इसकी वर्षगांठ के तौर पर हर साल 'राष्‍ट्रीय प्रोद्यौगिकी दिवस (नेशनल टेक्‍नोलॉजी डे)' मनाया जाता है।

धमाके वाली जगह पर गए थे वाजपेयी

परमाणु परीक्षण के बाद देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी खुद धमाके वाली जगह पर गए थे। भारत के महान वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की अगुआई में यह मिशन कुछ इस तरह से अंजाम दिया गया कि अमेरिका समेत पूरी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी। कलाम ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उस वक्त भारत पर काफी अंतरराष्ट्रीय दबाव था लेकिन वाजपेयी ने तय किया था कि वह आगे बढ़कर परीक्षण करेंगे। इजराइल के अलावा सभी देश इस परीक्षण के खिलाफ थे। अमेरिका सहित कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे।

भारत किसी से कम नहीं
कलाम का कहना था कि ‘सपने वे नहीं जो सोते हुए देखे जाएं, बल्कि सपने वे हैं जो इंसान को सोने न दें.’ डॉ. कलाम के नेतृत्व में ही भारत ने अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया था। अपने वैज्ञानिकों की दक्षता और कड़ी मेहनत की वज़ह से आज भारत की गिनती परमाणु शक्ति संपन्न देशों में होती है हालांकि भारत की परमाणु शक्ति संपन्नता किसी देश को धमकाने के लिए नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए है, जिसे शायद ही कभी इस्तेमाल किया जाए लेकिन परमाणु बम बनाकर भारत ने यह ज़रूर साबित कर दिया है कि वह किसी से कम नहीं है।

Pokhran nuclear test

Image Source : FILE PHOTO
परमाणु परीक्षण के बाद वाजपेयी खुद धमाके वाली जगह पर गए थे।

11 से 13 मई में भारत ने किए 5 धमाके
आज ही के दिन भारत ने जैसे ही तीन न्यूक्लियर परीक्षण सफल होने की घोषणा की तो अमेरिका सहित पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई थी। 11 मई, 1998 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मीडिया के सामने आए और उन्होंने घोषणा की- आज दोपहर पौने चार बजे भारत ने पोखरण रेंज में तीन भूमिगत परमाणु परीक्षण किए। दो दिन बाद भारत ने दो और परमाणु परीक्षण किए।

1974 के परीक्षण का कोड नेम था ‘बुद्ध मुस्कुराए’
इस तरह 1974 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में हुए पहले परमाणु परीक्षण के 24 साल बाद भारत एक बार फिर दुनिया को बता रहा था कि शक्ति के बिना शांति संभव नहीं है। 18 मई 1974 को इससे पहले पोखरण में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्देश पर पहला परमाणु परीक्षण हुआ था। इंदिरा गांधी ने परमाणु परीक्षण का कोड 'बुद्ध मुस्कुराए' रखा था, तो अटल बिहारी वाजपेयी ने इसे 'शक्ति' का नाम दिया।

प्याज की मदद से किया गया था विस्फोट
क्या आपको पता है कि इस परीक्षण में ‘प्याज’ का भी इस्तेमाल हुआ था? जी हां...यह सच है। 11 मई 1998 की सुबह थार के रेगिस्तान में पोखरण में खेतोलाई गांव के पास भारत ने अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया था। भारतीय वैज्ञानिकों ने जिस शॉफ्ट में परमाणु बम का धमाका किया गया उसका कोड नाम वाइट हाउस रखा गया था। भारत ने 58 किलोटन क्षमता के परमाणु बम का परीक्षण कर सभी को चौंका दिया था। यह अमेरिका की ओर से दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा में गिराए गए परमाणु बम लिटिल बॉय से चार गुना अधिक शक्तिशाली था।

पोखरण में किए गए दोनों परमाणु परीक्षणों में प्याज की भूमिका बेहद अहम रही थी। इन परीक्षणों में भारी मात्रा में प्याज का इस्तेमाल किया गया। भारत के दूसरे परमाणु बम परीक्षण में मुख्य भूमिका निभाने वाले वैज्ञानिक अनिल काकोडकर ने एक बार स्वीकार किया था कि हां, प्याज का उपयोग किया गया।

क्यों किया गया था ‘प्याज’ का इस्तेमाल?
परमाणु परीक्षण के लिए वाइट हाउस नामक पहली शॉफ्ट को 208 मीटर गहरा खोदा गया। इसमें पहले कुछ प्याज भरे गए। फिर डेढ़ सौ मीटर की गहराई पर बम को लगाया गया। बम के ऊपर मिट्‌टी के साथ प्याज भरे गए। इसके बाद सतह पर शॉफ्ट के निकट प्याज बिछाए गए। जोधपुर प्रमुख प्याज उत्पादक जिला है और इस परीक्षण से काफी पहले सेना सहित कुछ एजेंसियों ने सुनियोजित तरीके से बड़ी मात्रा में प्याज की खरीद शुरू कर दी थी। इस प्याज को लगातार कई दिन तक किश्तों में पोखरण पहुंचाया जाता रहा, ताकि किसी को भनक नहीं लगे कि एक साथ इतना प्याज क्यों पोखरण पहुंचाया जा रहा है।

परमाणु विस्फोट के पश्चात अल्फा, बीटा व गामा रेज निकलती है। इनमें से गामा रेज को सबसे घातक माना जाता है। गामा रेज शरीर के अंदर तक प्रवेश कर टीशू को नष्ट करना शुरू कर देती है। भौतिक वैज्ञानिकों का मानना है कि प्याज गामा रेज को बहुत अच्छी तरह से सोख लेता है इस कारण ये ज्यादा दूरी तक नहीं फैल पाती। पोखरण में परमाणु विस्फोट के दौरान इसी उद्देश्य से प्याज को परीक्षण वाले शॉफ्ट में भरा गया। साथ ही इस शॉफ्ट के चारों तरफ भारी मात्रा में इसे बिछाया गया।

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