Highlights
- पीएम मोदी की फोटो एडिट करके वायरल करने वाले की खैर नहीं
- मध्य प्रदेश सरकार ने दिए जांच के आदेश
- जन्मदिन के मौके पर पीएम मोदी ने छोड़े थे चीते
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Naredra Modi) ने पिछले दिनों मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आए चीतों को विमुक्त करने के साथ उनकी तस्वीर खींची थी, प्रधानमंत्री द्वारा चीतों की तस्वीर खींचने वाली फोटो से छेड़छाड़ की गई है। राज्य सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जांच के आदेश दिए हैं। राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि प्रधानमंत्री की तस्वीर से छेड़छाड़ की जांच के लिए पुलिस की साइबर सेल को निर्देश दिए हैं और यह कहा है कि इसका पता किया जाए कि इसकी शुरूआत कहां से हुई है, जो भी दोषी होगा उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
ज्ञात हो कि 17 सितंबर को प्रधानमंत्री श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान आए थे, जहां उन्होंने नामीबिया से लाए गए चीजों को बाड़े में विमुक्त किया था। इस दौरान प्रधानमंत्री ने चीतों की तस्वीर भी ली थी और प्रधानमंत्री द्वारा चीतों की फोटो लेते हुए तस्वीरें भी सामने आई थी। प्रधानमंत्री की इसी फोटो से किसी ने छेड़छाड़ की है और उसे सोशल मीडिया पर वायरल किया है।
जन्मदिन के मौके पर छोड़े थे चीते
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन के मौके पर आज कूनो नेशनल पार्क में 8 चीते छोड़े दिए। इन चीतों को अफ्रीका के नामबिया शहर से लाया गया था। सरकार की कड़ी मशक्कत के बाद अब फिर से भारत में चीते की प्रजातियां देखने को मिलेंगी। आपको बता दें कि भारत से चीते विलुप्त हो गए थे। साल 1952 में तत्कालीन सरकार ने औपचारिक रूप से बताया था कि भारत से अब चीते खत्म हो गए। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर भारत से चीते खत्म क्यों हो गए, आखिर चीते को किसने मारा। जो विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं। आइए जानते हैं हर सवाल का जवाब।
आखिरी चीता
इतिहासकारों के मुताबिक, साल 1948 में छत्तीसगढ़ के कोरिया जंगल में मृत हालत में आखिरी चीता पाया गया था। जिसके बाद भारत की धरती से चीता खत्म हो गए। ऐसा माना जाता है कि मुगल शासक अकबर ने अपने शासनकाल के दौरान लगभग 1000 चीते को संरक्षित कर रखा था और उस समय देश में चीतों की संख्या काफी अधिक थी। मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के जर्नल के मुताबिक, भारत में हमेशा से चीता रहे हैं लेकिन लगातार शिकार होने के वजह से यह धीरे-धीरे खत्म हो गए। इतिहासकारों की माने तो उनका कहना है कि पुराने जमाने में राजा महाराजा चीतों का शिकार करने में काफी माहिर होते थे। हमेशा अपनी छुट्टियों पर शिकार करने के लिए निकल जाते थे, उस समय किसी जानवर का शिकार करना गैरकानूनी नहीं था। जिसके कारण यह हालात देखने को मिला।
किसने मारा था
इतिहासकार बताते हैं कि भारत में तीन आखिरी एशियाई चीता बचे थे लेकिन कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने 1947 में 3 चीतों का शिकार किया था। ऐसा माना जाता है कि आखिरी तीन चीतों का शिकार महाराजा ने ही किया था। इसके बाद भारत से चीता जैसे जानवर पूरी तरह से खत्म हो गए। तत्कालीन सरकार ने भी 1952 में स्वीकार कर लिया कि भारत से चीता विलुप्त हो गए।