प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कार्यभार संभाल लिया। कार्यभार संभालने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में कर्मचारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 10 साल पहले हमारे देश में एक छवि बनी हुई थी कि PMO एक शक्ति का केंद्र है। एक बहुत बड़ा पावर सेंटर है। उन्होंने कहा कि ना मैं सत्ता के लिए पैदा हुआ हूं, ना मैं शक्ति अर्जित करने के लिए सोचता हूं। मेरे लिए पीएमओ सत्ता केंद्र बने, शक्ति केंद्र, ये ना मेरी इच्छा है और ना मेरा रास्ता है।
पीएम मोदी ने आगे कहा, "2014 से हमने इसमें कई बदलाव किए। पीएमओ एक People’s PMO होना चाहिए। मेरे दिल दिमाग में 140 करोड़ नागरिक नहीं है, ये 140 करोड़ परमात्मा का रूप है। सरकार में अकेला मोदी नहीं होता, उसके साथ जो हजारों दिमाग जुड़े हुए हैं उसी का परिणाम होता है कि समान मानवीय को भी उसे सामार्थ्य साक्षात्कार होता है। एक बार सामार्थ्य का साक्षात्कार हो जाता है, तो समर्पण अपने आप समाहित हो जाता है। ये पूरा तीन महीने का कालखंड उस सामार्थ्य के प्रति साक्षात्कार का, समर्पण का और उस समर्पण के अंदर नए संकल्पों की ऊर्जा जुड़ी हुई थी, जिसका परिणाम है कि आज हम फिर एक बार देश की सेवा के लिए प्रशस्त हो रहे हैं।"
"हमारे लिए समय का बंधन नहीं"
उन्होंने कहा, "हम वो लोग नहीं है कि इतने बजे ऑफिस शुरू होता है और इतने बजे बंद। हमारे लिए समय का बंधन नहीं है। हमारे लिए सोचने की सीमाएं नहीं हैं। जो इससे परे हैं, वही तो मेरी टीम है और उसी टीम पर देश को भरोसा है। 10 साल से कई लोग आपमें से मुझे झेल रहे हैं और कई लोग जो अब झेलना शुरू करेंगे। जो मन भाव से खप जाना चाहता है पांच साल के लिए, आइए निमंत्रण है। एक ही लक्ष्य नेशन फर्स्ट, एक ही इरादा 2047 विकसित भारत, मेरा पल-पल देश के नाम है। मैंने देश को वादा किया है कि 24*7 फॉर 2047। मुझे वो टीम से अपेक्षाएं हैं। मैंने मिला हुआ काम समय से पूरा कर दिया, मुझे मिला हुआ काम गलती के बिना पूरा कर दिया, अच्छी चीज है, लेकिन परिपपूर्णता नहीं है, इसमें वैल्यू एडिशन क्या किया? हर चीज में वैल्यू एडिशन, क्वालिटी अपडेशन हो, 10 साल का मेरा अनुभव है, जो तय किया उसको हम करके रहे हैं।"
"इच्छा स्थिर है, तो संकल्प में बदल जाती है"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "इच्छा अगर अस्थिर है तो तरंग है। अगर इच्छा स्थिर है, तो संकल्प में बदल जाती है। संकल्प के अंदर जब परिश्रम की पराकाष्ठा जुड़ जाती है, तब जाकर सिद्धी प्राप्त होती है और जीवन के हर काम को इस दिशा में देखना चाहिए।" पीएम ने कहा, "अब मेरा दायित्व भी 10 साल जो मैंने सोचा है उससे ज्यादा सोचने का है। 10 साल जो किया है उससे ज्यादा करने का है। अब जो करना है वो ग्लोबल बेंच मार्क को पार करने वाली दिशा में करना है। जहां कोई नहीं पहुंचा वहां हमें हमारे देश को पहुंचाना है। व्यक्ति का जीवन हो, समूह का जीवन हो या राष्ट्र का जीवन हो, जब तक वो बड़े संकल्प के साथ सोचता नहीं है, परिणाम नहीं मिलता है।"
"मेरी टीम ने मुझे 10 सालों में बहुत कुछ दिया"
उन्होंने कहा, "जब हम काम करते हैं, तब तीन चीजें बहुत अनिवार्य होती हैं- क्लैरिटी ऑफ थॉट्स, फेथ इन कन्विक्शन, कैरेक्टर टू एक्ट। मेरी टीम के पास ये सबकुछ संभव है। जिस टीम ने मुझे 10 सालों में बहुत कुछ दिया है। अब उससे और नया क्या कर सकते हैं, और ज्यादा स्केल पर कैसे कर सकते हैं? ये चुनाव मोदी के भाषणों की मुहर नहीं है। ये चुनाव आपके 10 साल के हर सरकारी कर्मचारियों के पुरुषार्थ को मुहर लगी है। सफल वो इंसान होता है, जिसके भीतर का विद्यार्थी कभी मरता नहीं है। मेरी एनर्जी का रहस्य, मैं जीवन भर अपने भीतर के विद्यार्थी को जिंदा रखता हूं और जो व्यक्ति अपने भीतर विद्यार्थी को जिंदा रखता है वो कभी भी सामार्थ्य हीन नहीं होता है, आलसी नहीं होता है।"
ये भी पढ़ें-