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भारत में इंटरपोल की असेंबली को संबोधित करेंगे पीएम मोदी, कार्यक्रम में मौजूद होंगी 195 देशों की जांच एजेंसियां

इससे पहले साल 1997 में पहली बार भारत में इंटरपोल की आमसभा का आयोजन हुआ था। अधिकारियों के मुताबिक, इंटरपोल के महासचिव जर्गेन स्टॉक के अगस्त में भारत दौरे के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस संदर्भ में उनको एक प्रस्ताव सौंपा था।

Reported By : Abhay Parashar Written By : Piyush Padmakar Updated on: October 17, 2022 19:32 IST
PM Modi- India TV Hindi
Image Source : FILE PM Modi

Highlights

  • भारत में इंटरपोल की असेंबली को संबोधित करेंगे पीएम मोदी
  • कार्यक्रम में मौजूद होंगी 195 देशों की जांच एजेंसियां
  • दिल्ली के प्रगति मैदान में होगी यह असेंबली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को इंटरपोल की भारत में हो रही 90वीं असेंबली को संबोधित करेंगे। ये असेंबली 18 अक्टूबर से लेकर 21 अक्टूबर तक दिल्ली के प्रगति मैदान में होगी। इस असेंबली को सीबीआई कॉर्डिनेट कर रही है, क्योंकि सीबीआई इंटरपोल की भारत की तरफ से नोडल एजेंसी है। ये असेंबली भारत मे 25 साल बाद हो रही है। इस असेंबली में दुनियाभर की 195 देशों की जांच एजेंसियां मौजूद होंगी। भारत के लिए गर्व की बात इसलिए है क्योंकि वह दूसरी बार इस महासभा की मेजबानी करने जा रहा है। कहा जा रहा है भारत ऐसा करके विदेशों में बैठे अपराधियों पर नकेल कसने के अपने काम को और तेज कर रहा है।

इससे क्या फायदा होगा

भारत में इस असेंबली का होना देश के लिए कई मायनों में खास है। इस असेंबली का मकसद है आने वाले सालों में आपराधिक चुनौतियों का सभी देश कैसे सामना करेंगे, कैसे आपसी समन्यवय के साथ अपराध और अपराधियों पर नकेल कसी जायेगी। इतना ही नहीं, सभी देश एक-दूसरे से अपने-अपने देश की पुलिसिया कार्यशैली को भी शेयर करेंगे, ताकि सभी को एक दूसरे से कुछ ऐसी सीख मिले जिससे कानून-व्यवस्था को मजबूत किया जा सके। देश और दुनिया में चल रहे आपराधिक गठजोड़ को देखते हुए दिल्ली में होने वाली इंटरपोल की ये महासभा बेहद खास मानी जा रही है। इस महासभा के जरिये दुनिया की तमाम एजेंसिया अपने अपने देशों में सक्रिय उन इंटरनेशनल गैंग पर नकेल लगाने की रणनीति बनाएंगे, जो विदेशों में बैठकर देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बन रहे हैं।

1997 में पहली बार भारत ने की थी मेजबानी

इससे पहले साल 1997 में पहली बार भारत में इंटरपोल की आमसभा का आयोजन हुआ था। अधिकारियों के मुताबिक, इंटरपोल के महासचिव जर्गेन स्टॉक के अगस्त में भारत दौरे के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस संदर्भ में उनको एक प्रस्ताव सौंपा था। इंटरपोल एक तरह से अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन है, जिसमें भारत समेत 194 सदस्य देश हैं। इंटरपोल का मुख्यालय फ्रांस के लयोन में स्थित है। इसकी स्थापना अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस आयोग के तौर पर 1923 में हुई थी और इसने 1956 में अपने आप को इंटरपोल कहना शुरू कर दिया। साल 1949 में भारत इसका सदस्य बना।

सीबीआई इन्टरपोल से सम्पर्क में रहने के लिए अधीकृत है

दरअसल, सभी देशों से तेजतर्रार पुलिस ऑफिसर्स को ही अपने-अपने देश से इन्टरपोल में डेपुटेशन पर भेजते हैं, जिनका काम होता है ऐसे अपराध या अपराधी के खिलाफ जांच करना या उस पर अंकुश लगाना जिसकी जड़ें अलग अलग देशो में फैली हों। सभी देश इस प्लेटफार्म पर आकर अपने अपने देश में मौजूद अपराधियों या फिर अपराध की जानकारियां एक दूसरे से शेयर करते हैं। हिंदुस्तान में सीबीआई इन्टरपोल से सम्पर्क में रहने के लिए अधीकृत है, यानी सीबीआई इन्टरपोल और देश की अन्य जांच एजेंसियों के बीच नोडल एजेंसी है।

सीबीआई के पूर्व निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला ने चिली के सैंटियागो में चल रहे 88वें इंटरपोल महासभा में अपने संक्षिप्त संबोधन के दौरान भारत की मेजबानी का प्रस्ताव रखा था। जिसके बाद सदस्य देशों ने भारी बहुमत से भारत की मेजबानी के प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल में मध्य प्रदेश के डीजीपी और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर शामिल हैं।

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