नई दिल्ली: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने यूक्रेन संकट को हल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बड़े कदम उठाने का आग्रह करते हुए मंगलवार को लोकसभा में कहा कि सरकार को यह करना चाहिए ताकि लोग कह सकें कि महात्मा गांधी के देश ने दुनिया को बचा लिया। उन्होंने सदन में नियम 193 के तहत यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि उन्हें संयुक्त राष्ट्र से कोई उम्मीद नहीं है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र लगातार विफल रहा है। यह वियतनाम में विफल रहा है। दक्षिण कोरिया में विफल रहा। यह पश्चिम एशिया में विफल रहा है। मुझे अब इस संगठन से कोई उम्मीद नहीं है।’’
उन्होंने भारतीय छात्रों को लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और सरकार के प्रयासों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि रूस को लगा उसकी सुरक्षा को खतरा है क्योंकि यूक्रेन नाटो के साथ जा रहा है। अब्दुल्ला ने कहा कि श्रीलंका की स्थिति देखिए, ऐसे में ‘‘हम आशा करते हैं कि हमें ऐसी स्थिति नहीं देखनी पड़े। इसलिए यह युद्ध खत्म होना चाहिए।’’ उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया, ‘‘अब बड़े कदम उठाने चाहिए ताकि यह युद्ध खत्म हो सके। अगर आप ऐसा नहीं कर सके तो हम भविष्य की पीढ़ियों को नहीं बता पाएंगे कि आपने क्या किया।’’ अब्दुल्ला ने सरकार से कहा, ‘‘तेजी से कदम बढ़ाइए। कम से कम लोग कहें कि गांधी के देश ने दुनिया को बचाया।’’
बसपा के श्याम सिंह यादव ने कहा कि यूक्रेन में जो ‘नरंसहार’ की स्थिति पैदा हुई, उस पर सरकार को आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की स्थिति को सरकार को समय रहते भांप लेना चाहिए था और भारतीय छात्रों को बाहर निकालना चाहिए था। यादव ने दावा किया कि यह सरकार ‘प्यास लगने पर कुआं खोदने’ का काम करती है और समय रहते कदम नहीं उठाती। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले ने कहा कि कोविड और इस संकट के समय विदेश मंत्रालय ने जो भूमिका निभाई उसकी तारीफ होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन गंगा’ के बाद सरकार के मंत्रियों की ओर से जो बयानबाजी हुई वह निराशाजनक थी। सुप्रिया ने कहा कि भारत सरकार को यूक्रेन में हो रहे ‘नरसंहार’ को रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज विदेश नीति को लेकर हम वहीं पहुंचे हैं जिसकी बुनियाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी।
(इनपुट- एजेंसी)