स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता लागू करना और भेदभावपूर्ण सांप्रदायिक नागरिक संहिता को खत्म करना समय की मांग है। उन्होंने कहा "हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यूसीसी को लेकर चर्चा की है, अनेक बार आदेश दिए हैं। क्योंकि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है कि जिस सिविल कोड को लेक हम जी रहे हैं। वह सिविल कोड सचमुच में एक सांप्रदायिक और भेदभाव करने वाला सिविल कोड है।"
पीएम मोदी ने कहा "मैं मानता हूं कि इस (समान नागरिक संहिता) विषय पर देश में गंभीर चर्चा हो। हर कोई अपने विचार लेकर आए। जो कानून धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं। ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं। उन कानूनों का आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता। अब देश की मांग है कि देश में धर्मनिरपेक्ष सिविल कोड हो।" अमित शाह पहले ही गारंटी दे चुके हैं कि इस कार्यकाल में एनडीए सरकार समान नागरिक संहिता लेकर आएगी
चुनाव के दौरान अमित शाह ने दी थी गारंटी
26 मई को चुनावी प्रचार के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने पर सभी पक्षों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद अगले पांच वर्ष के भीतर पूरे देश के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू की जाएगी। उन्होंने कहा था ‘‘समान नागरिक संहिता एक जिम्मेदारी है जो हमारे संविधान निर्माताओं द्वारा स्वतंत्रता के बाद से हमारी संसद और हमारे देश के राज्य विधानसभाओं पर छोड़ी गई है। संविधान सभा ने हमारे लिए जो मार्गदर्शक सिद्धांत तय किए थे, उनमें समान नागरिक संहिता शामिल है। और उस वक्त भी के एम मुंशी, राजेंद्र बाबू, आंबेडकर जी जैसे कानूनविदों ने कहा था कि एक पंथनिरपेक्ष देश के अंदर धर्म के आधार पर कानून नहीं होना चाहिए। एक समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।’’
उत्तराखंड में प्रयोग
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा था कि भरतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तराखंड में एक प्रयोग किया है, क्योंकि वहां बहुमत की सरकार है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि केंद्र के साथ यह राज्यों का भी विषय है। शाह ने कहा था ‘‘मेरा मानना है कि समान नागरिक संहिता एक बड़ा सामाजिक, कानूनी और धार्मिक सुधार है। उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाए गए कानून की सामाजिक और कानूनी जांच होनी चाहिए। धार्मिक नेताओं से भी सलाह ली जानी चाहिए। मेरे कहने का मतलब है कि इस पर एक व्यापक बहस होनी चाहिए और इस व्यापक बहस के बाद उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाए गए मॉडल कानून में कुछ परिवर्तन करना है या नहीं तय किया जाना चाहिए। क्योंकि कोई न कोई कोर्ट में जाएगा ही जाएगा। न्यायपालिका का अभिप्राय भी सामने आएगा।’’
पांच साल में ही लागू होगी नागरिक संहिता
उन्होंने कहा था ‘‘उसके बाद देश के विधानमंडलों में और संसद को इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए और हां कानून जरूर बनना चाहिए। इसलिए हमने इसे अपने संकल्प पत्र में रखा है। भाजपा का लक्ष्य है कि पूरे देश के लिए समान नागरिक संहिता हो। यह पूछे जाने पर कि क्या यह अगले पांच साल में हो सकता है, शाह ने कहा था कि यह अगले पांच साल में ही होगा। उन्होंने कहा था, ‘‘पांच साल का समय पर्याप्त है।’’
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