Highlights
- स्वस्थ समाज के लिए मजबूत न्याय व्यवस्था बहुत जरूरी: PM
- न्याय मिलने से आम लोगों का विश्वास बढ़ता है: PM
- न्याय में देरी नागरिकों की सबसे बड़ी चुनौती है
PM Modi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न्याय में देरी को देश की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बताते हुए शनिवार को कहा कि आत्मविश्वास से भरे समाज और देश के विकास के लिए भरोसेमंद और त्वरित न्याय व्यवस्था बहुत ही आवश्यक है। यहां आयोजित विधि मंत्रियों और विधि सचिवों के अखिल भारतीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब न्याय मिलते हुए दिखता है तो संवैधानिक संस्थाओं के प्रति देशवासियों का भरोसा मजबूत होता है और उनका आत्मविश्वास भी उतना ही बढ़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘न्याय में देरी एक ऐसा विषय है, जो भारत के नागरिकों की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। हमारी न्यायपालिकाएं इस दिशा में काफी गंभीरता से काम कर रही हैं। अब अमृतकाल में हमें मिलकर इस समस्या का समाधान करना होगा।’’
वैकल्पिक विवाद समाधान
मोदी ने न्याय में देरी होने के मामलों के समाधान के तौर पर वैकल्पिक विवाद समाधान को बहुत सारे प्रयासों में से एक बताया और राज्यों से इसे बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत के गांवों में इस तरह की व्यवस्था बहुत पहले से काम करती रही है, ऐसे में राज्यों को स्थानीय स्तर पर इस व्यवस्था को समझना होगा और इसे कानूनी तंत्र का हिस्सा बनाने की दिशा में काम करना होगा। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में ‘इवनिंग’ अदालतों की शुरुआत करने और फिर उसकी सफलता का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि इससे लोगों का समय भी बचता था और मामले की सुनवाई भी तेजी से होती थी।
लोक अदालतों का किया जिक्र
उन्होंने कहा कि लोक अदालतें भी देश में त्वरित न्याय का एक और माध्यम बनी हैं और कई राज्यों में इसे लेकर बहुत अच्छा काम भी हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘लोक अदालतों के माध्यम से देश में बीते वर्षों में लाखों मामलों को सुलझाया गया है। इनसे अदालतों का बोझ भी बहुत कम हुआ है और खासतौर पर गांव में रहने वाले लोगों को, गरीबों को न्याय मिलना भी बहुत आसान हुआ है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि कानून बनाने का मकसद कितना ही अच्छा हो लेकिन अगर उसमें ही भ्रम और स्पष्टता का अभाव होगा तो इसका बहुत बड़ा खामियाजा भविष्य में आम नागरिकों को उठाना पड़ता है और इस चक्कर में आम नागरिकों को बहुत सारा धन खर्च करके न्याय पाने के लिए इधर-उधर दौड़ना पड़ता है।