नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2002 के गोधरा कांड पर बनी फिल्म 'द साबरमती रिपोर्ट' की तारीफ की है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा-यह अच्छी बात है कि यह सच्चाई सामने आ रही है, और वह भी एक ऐसे तरीके से जिससे आम लोग इसे देख सकें। एक फर्जी कहानी सीमित समय तक ही चल सकती है। आखिरकार, सच हमेशा सामने आते हैं! पीएम मोदी ने विक्रांत मैसी, राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा सहित अन्य कलाकारों द्वारा अभिनीत फिल्म की प्रशंसा करते हुए यह बात कही।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह टिप्पणी एक एक्स यूजर की फिल्म पर प्रतिक्रिया देते हुए की। यूजर ने अपनी समीक्षा में फिल्म को बताया कि इस फिल्म को जरूर देखें। यूजर ने कहा कि निर्माताओं ने 2002 के गोधरा कांड के पीछे की सच्चाई को उजागर करने के लिए सराहनीय काम किया है। गोधरा कांड में महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों की जान चली गई थी।
गोधरा की घटना पर आधारित फिल्म
'द साबरमती रिपोर्ट' का निर्देशन धीरज सरना ने किया है। यह फिल्म गोधरा की घटना पर आधारित है। गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस को जलाए जाने के बाद गुजरात के कई हिस्सों में दंगे भड़क उठे थे। इस फिल्म में मुख्य किरदार की भूमिका विक्रांत मैसी निभा रहे हैं। यह फिल्म 15 नवंबर को रिलीज हुई। एक एक्स यूजर ने अपनी संक्षिप्त समीक्षा में कहा कि निर्माताओं ने इस मुद्दे को बहुत संवेदनशीलता और गरिमा के साथ संभाला है। यूजर ने यह भी दावा किया कि इस घटना का एक "निहित स्वार्थ समूह" द्वारा राजनीतिकरण किया गया और इसे "एक नेता की छवि को धूमिल करने" के अवसर के रूप में इस्तेमाल किया गया।
क्या था गोधरा कांड?
बता दें कि 27 फरवरी, 2002 की सुबह, साबरमती एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय पर लगभग 12:00 बजे गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर पहुंची। बिहार के मुजफ्फरपुर से अहमदाबाद के बीच चलनेवाली इस ट्रेन में सैकड़ों यात्री सवार थे, जिनमें बड़ी संख्या में कारसेवक भी शामिल थे। ये कार सेवक अयोध्या में कार सेवा से लौट रहे थे। ट्रेन को गोधरा से रवाना होते ही जंजीर खींच कर ट्रेन को स्टेशन के आउटर सिग्नल के पास रोक दिया गया। इसके बाद ट्रेन पर करीब 2 हजार लोगों की भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया और चार डिब्बों में आग लगा दी। आग से एस-6 कोच बुरी तरह से जल गया और 59 लोगों की मौत हो ई थी। मृतकों में 27 महिलाएं और 10 बच्चे शामिल थे। इस हमले में 48 यात्री घायल हो गए थे। गोधरा की घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे। राज्य सरकार द्वारा तीन दिनों के भीतर हिंसा पर काबू पाने के दावों के बावजूद, कई हफ़्तों तक हिंसक झड़पें होती रहीं।