Friday, June 28, 2024
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3 गुना मेहनत, आपातकाल और ड्रामा; संसद सत्र से पहले पीएम मोदी के संबोधन की 10 बड़ी बातें

अपने लगातार तीसरे कार्यकाल में संसद में शपथ लेने से पहले पीएम मोदी ने मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बताया कि आने वाले समय में उनकी सरकार की प्राथमिकताएं क्या होंगी।

Edited By: Shakti Singh
Updated on: June 24, 2024 11:07 IST
PM Modi- India TV Hindi
Image Source : ANI पीएम नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की 18वीं लोकसभा के शुरुआती सत्र से पहले मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस संसद में युवा सांसदों की संख्या अच्छी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार चलाने के लिए बहुमत की जरूरत होती है, जबकि देश चलाने के लिए सहमति की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार कोशिश करेगी कि सभी की सहमति से फैसले लिए जाएं और देश हित में काम हो। उन्होंने देश की जनता से वादा किया कि तीसरे कार्यकाल में उनकी सरकार तीन गुना ज्यादा मेहनत करेगी और तीन गुना नतीजे लाकर रहेगी। आइए जानते हैं उनके संबोधन की 10 बड़ी बातें...

  1. "आज से 18वीं लोकसभा शुरू हो रही है। दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव बहुत ही भव्य और गौरवशाली तरीके से संपन्न हुआ। ये चुनाव इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया, क्योंकि आजादी के बाद दूसरी बार देश की जनता ने किसी सरकार को लगातार तीसरी बार सेवा करने का मौका दिया।"
  2. "बीते 10 वर्षों में हमने हमेशा एक परंपरा को निभाने का प्रयास किया है, क्योंकि हमारा मानना ​​है कि सरकार चलाने के लिए बहुमत की जरूरत होती है, लेकिन देश चलाने के लिए सर्वसम्मति सबसे जरूरी होती है। इसलिए हमारा निरंतर प्रयास रहेगा कि मां भारती की सेवा की जाए और 140 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं और महत्वाकांक्षाओं को सबकी सहमति से, सबको साथ लेकर पूरा किया जाए। हम संविधान की मर्यादा को बनाए रखते हुए, सबको साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं और फैसले लेने की गति बढ़ाना चाहते हैं।"
  3. "कल 25 जून है। 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर लगे उस कलंक को 50 साल हो रहे हैं। भारत की नई पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह से नकार दिया गया था। संविधान के हर हिस्से की धज्जियां उड़ा दी गई थीं, देश को जेलखाना बना दिया गया था। लोकतंत्र को पूरी तरह से दबा दिया गया था।"
  4. "अपने संविधान की रक्षा करते हुए, भारत के लोकतंत्र की, लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए, देशवासी संकल्प लेंगे कि भारत में दोबारा कोई ऐसा करने की हिम्मत न कर सके जो 50 साल पहले किया गया था। हम एक जीवंत लोकतंत्र का संकल्प लेंगे। हम भारत के संविधान के निर्देशों के अनुसार सामान्य मानवी के सपनों को पूरा करने का संकल्प लेंगे।"
  5. "देश की जनता विपक्ष से अच्छे कदमों की अपेक्षा रखती है। मुझे उम्मीद है कि विपक्ष लोकतंत्र की गरिमा को बनाए रखने के लिए देश के आम नागरिकों की अपेक्षाओं पर खरा उतरेगा। जनता को ड्रामा, उपद्रव नहीं चाहिए। जनता को नारे नहीं, सार्थकता चाहिए। देश को एक अच्छा विपक्ष चाहिए, एक जिम्मेदार विपक्ष चाहिए और मुझे पूरा विश्वास है कि इस 18वीं लोकसभा में जीतकर आए सांसद आम आदमी की इन अपेक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करेंगे।"
  6. "देश की जनता ने हमें तीसरी बार अवसर दिया है। ये बहुत बड़ी जीत है, भव्य जीत है। हमारी जिम्मेदारी तीन गुना बढ़ गई है। इसलिए मैं देशवासियों को भरोसा देता हूं कि अपने तीसरे कार्यकाल में हम तीन गुना मेहनत करेंगे और तीन गुना परिणाम प्राप्त करेंगे।"
  7. "अगर हमारे देश के नागरिकों ने लगातार तीसरी बार किसी सरकार पर भरोसा किया है, तो इसका मतलब है कि उन्होंने सरकार की नीतियों और नीयत पर मुहर लगाई है। मैं आप सभी के समर्थन और भरोसे के लिए आभारी हूं। सरकार चलाने के लिए बहुमत जरूरी है, लेकिन देश चलाने के लिए आम सहमति जरूरी है।"
  8. "संसद का ये गठन भारत के सामान्य मानवी के संकल्पों की पूर्ति का है। नए उमंग नए उत्साह के साथ नई गति प्राप्त करने के लिए ये अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर है। श्रेष्ठ भारत के निर्माण और विकसित भारत का लक्ष्य ये सारे सपने लेकर आज 18वीं लोकसभा का प्रारंभ हो रहा है। विश्व का सबसे बड़ा चुनाव बहुत ही शानदार तरीके से, बहुत ही गौरवमय तरीके से संपन्न होना, ये हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। करीब 65 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया।"
  9. "संसदीय लोकतंत्र में आज का दिन गौरव मय है,यह वैभव का दिन है। आजादी के बाद पहली बार हमारे अपने नए संसद में यह शपथ हो रहा है, अब तक ये प्रक्रिया पुराने संसद में होती थी। आज के इस महत्वपूर्ण दिन पर मैं सभी नव निर्वाचित सांसदों का स्वागत करता हूं सबका अभिनंदन करता हूं और सबको शुभकामनाएं देता हूं।"
  10. "देश की 18वीं लोकसभा कई मायनों में खास है। देश में 18 वर्ष की उम्र में ही लोगों को मतदान करने का अधिकार मिलता है। देश में वेदों और उपनिषद की संख्या भी 18 ही है। इसका भारतीय संस्कृति में बेहद अहम योगदान है।"

 

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